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Farmer Protests: किसान आंदोलन के मुखौटे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोध

Farmer Protests यहां बुजुर्ग किसान युवा महिलाएं और संगठन के लोग हाथों में झंडे ले नारे लगाते हुए रैलियां निकालते रहते हैं। इनके नारे भी किसानों की समस्याओं को लेकर नहीं बल्कि मादी को लेकर ज्यादा रहते हैं।

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 11 Jan 2021 09:30 AM (IST)Updated: Mon, 11 Jan 2021 09:30 AM (IST)
Farmer Protests: किसान आंदोलन के मुखौटे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोध
गलत-सही का फर्क कोई नहीं समझना चाहता, बस तोते की तरह रटा-रटाया पहाड़ा पढ़ रहे हैं।

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। दिल्ली-उत्तर प्रदेश-हरियाणा की सीमाओं पर लगभग डेढ़ माह से आंदोलन भले ही कृषि कानूनों के विरोध में चल रहा हो, लेकिन इसके मुखौटे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोध छिपा है। चाहे किसान नेताओं के भाषण हों या किसान समूहों में होने वाली चर्चा या फिर आंदोलन स्थल पर होने वाली छोटी रैलियां, हर जगह मोदी का ही विरोध नजर आता हैं। गलत-सही का फर्क कोई नहीं समझना चाहता, बस तोते की तरह रटा-रटाया पहाड़ा पढ़ रहे हैं। 

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सिंघु बॉर्डर पर दिनभर नेता अपने भाषण में कृषि कानूनों की बात कम करता है, प्रधानमंत्री मोदी का जिक्र ज्यादा करता है। उसके भाषण में मोदी और अंबानी-अदाणी के संबंधों की चर्चा भी शामिल रहती है। अब तो बहुत से किसान भी दबी जुबान में स्वीकार करने लगे हैं कि आंदोलन में शामिल असली किसान तो घर लौटने लगा है, केवल मोदी विरोधी ही यहां डेरा डाले बैठे हैं। यहां बुजुर्ग किसान, युवा, महिलाएं और संगठन के लोग हाथों में झंडे ले नारे लगाते हुए रैलियां निकालते रहते हैं। इनके नारे भी किसानों की समस्याओं को लेकर नहीं बल्कि मादी को लेकर ज्यादा रहते हैं। बहुत सी रैलियों में तो महिलाओं के साथ छोटे- छोटे बच्चे भी मोदी हाय-हाय के नारे लगाते नजर आते हैं, जबकि उन्हें किसी चीज का मतलब तक नहीं पता।

सिंघु बॉर्डर से सोनीपत की ओर बढ़ने पर कैसल माल के पास कुछ युवाओं ने प्रधानमंत्री के पोस्टरों और पुतलों की प्रदर्शनी भी लगा रखी है। हालांकि ज्यादातर पोस्टर विकृत या आपत्तिजनक हैं। इससे भी आश्चर्यजनक यह कि अगर आंदोलन के लंबा खिंचने को लेकर किसानों से बात की जाती है तो इसका दोष भी वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मत्थे ही मढ़ने लगते हैं। ठंड से हो रही किसानों की मौत का जिम्मेदार भी वे मोदी को ही बताते हैं।

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