डाक्टरों की हड़ताल से ओपीडी व इमरजेंसी सेवाएं खस्ताहाल, मरीज हो रहे बेहाल
राजधानी में रेजिडेंट डाक्टरों की हड़ताल के दूसरे दिन भी अधिकतर बड़े अस्पतालों में ओपीडी और इमरजेंसी सेवाएं सामान्य रूप से नहीं चल सकी। इस वजह से दिल्ली व दिल्ली के बाहर के इलाकों से इलाज के लिए विभिन्न अस्पतालों में पहुंचे मरीज व उनके तीमारदार बेहाल दिखे।
नई दिल्ली [राहुल चौहान]। राजधानी में रेजिडेंट डाक्टरों की हड़ताल के दूसरे दिन भी अधिकतर बड़े अस्पतालों में ओपीडी और इमरजेंसी सेवाएं सामान्य रूप से नहीं चल सकी। इस वजह से दिल्ली व दिल्ली के बाहर के इलाकों से इलाज के लिए विभिन्न अस्पतालों में पहुंचे मरीज व उनके तीमारदार बेहाल दिखे। साथ ही मरीज की गंभीर हालत के चलते मजबूरी में निजी अस्पताल में ले जाने को विवश हुए। इस दौरान राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल में दोपहर में पिता को लेकर पहुंची कामिनी यादव ने बताया कि उनके पिता का पैर टूट गया है, लेकिन अस्पताल में हड़ताल के कारण कोई डाक्टर देखने को तैयार नहीं हुआ। इसके लिए उन्होंने कई वरिष्ठ डाक्टरों से जाकर भी बात की, लेकिन उन्होंने भी इलाज करने से मना कर दिया।
वहीं, लेडी हार्डिंग में भी सुबह से लेकर दोपहर तक मरीज उपचार के लिए इधर से उधर भटकते रहे, लेकिन किसी मरीज को नहीं देखा गया। आरएमएल के डा. मनीष जांगड़ा का कहना है कि जल्द ही काउंसलिंग कराई जाए, जिसके बाद ही रेजिडेंट डाक्टर काम पर लौटेंगे। इसके साथ ही सफदरजंग अस्पताल में भी हड़ताल जारी रहने से मरीजों को वापस लौटाया गया।
वहीं, हरि नगर स्थित दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में रेजीडेंट डाक्टरों ने ओपीडी में काम नहीं किया। उनकी जगह वरिष्ठ डाक्टर ओपीडी में मौजूद रहे। साथ ही इमरजेंसी सेवाएं रोजाना की तरह जारी रही। ऐसे में मरीजों को ज्यादा परेशानी नहीं हुई। लेकिन, ओपीडी में चिकित्सकों की संख्या कम होने के कारण इमरजेंसी के बाहर मरीजों की लंबी कतार नजर आई। जिसके कारण अति गंभीर मरीजों को इलाज के लिए काफी देर इंतजार करना पड़ा।
डीडीयू अस्पताल में रेजीडेंट डाक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) के अध्यक्ष डा राजकुमार ने कहा कि यदि सरकार ने काउंसलिंग प्रक्रिया को जल्द शुरू नहीं किया तो वे भी इमरजेंसी सेवाएं ठप कर देंगे। इसी तरह दिलशाद गार्डन स्थित गुरु तेग बहादुर अस्पताल (जीटीबी) में भी रेजिडेंट डाक्टरों की हड़ताल जारी रही। इस दौरान डाक्टरों ने इमरजेंसी सेवाओं का बहिष्कार कर अस्पताल में मार्च निकाला।
अस्पताल में वरिष्ठ डाक्टरों द्वारा इमरजेंसी में सिर्फ उन्हीं मरीजों को देखा जा रहा था, जो जिंदगी और मौत से जूझ रहे थे। इमरजेंसी में पहुंचे मरीजों का पर्चा डाक्टरों के कहने पर ही बन रहा था। वहीं, डाक्टरों की कमी की वजह से शनिवार को ओपीडी में भी न के बराबर ही मरीज देखे गए। इसी तरह लोकनायक, जीबी पंत और गुरू नानक आई केयर अस्पतालों में की ओपीडी और इमरजेंसी में भी नाम मात्र के ही मरीज देखे गए।