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राजीव गांधी अस्पताल में बचा कोरोना का सिर्फ एक मरीज, जल्द दूसरी बीमारियों के लोगों को मिलेगा इलाज

यमुनापार में सबसे पहले राजीव गांधी सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल को ही कोरोना विशेष घोषित किया गया था। इसके बाद यहां से कोरोना का इलाज चल रहा है। अस्पताल के निदेशक डा. बीएल शेरवाल ने एक मरीज होने की पुष्टि की है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sun, 20 Jun 2021 07:30 AM (IST)Updated: Sun, 20 Jun 2021 07:54 AM (IST)
राजीव गांधी अस्पताल में बचा कोरोना का सिर्फ एक मरीज, जल्द दूसरी बीमारियों के लोगों को मिलेगा इलाज
सारी बीमारियों से पीड़ित मरीजों के लिए पूरी तरह से शुरू हो सकता है अस्पताल।

नई दिल्ली, स्वदेश कुमार। ताहिरपुर स्थित कोरोना विशेष राजीव गांधी सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल जल्द ही दूसरी बीमारियों से पीड़ित मरीजों के लिए पूरी तरह से शुरू हो सकता है। यहां कोरोना का अब सिर्फ एक मरीज बचा है। उक्त मरीज को एक-दो दिनों में जीटीबी एंक्लेव के रामलीला मैदान में बने अस्थायी अस्पताल में स्थानांतरित करने की तैयारी है। इसके बाद सैनिटाइजेशन आदि की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। सूत्रों की मानें तो एक हफ्ते बाद यहां दूसरे मरीजों के लिए भर्ती की सुविधा शुरू हो जाएगा। इससे यमुनापार ही नहीं बल्कि सीमावर्ती उप्र के क्षेत्रों के लोगों को भी बड़ी राहत मिलेगी। यहां हृदय रोग सहित कई अन्य गंभीर बीमारियों का इलाज होता है।

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अस्पताल में अभी ओपीडी की सुविधा शुरू की गई है। ओपीडी का विभाग कोरोना वार्ड से अलग है। लेकिन, किसी मरीज को भर्ती नहीं किया जा रहा है। रूटीन आपरेशन भी अभी शुरू नहीं हुए हैं। करीब 550 बेड की क्षमता वाले अस्पताल में 325 आइसीयू बेड हैं। इनमें सिर्फ एक मरीज भर्ती है। इसके अलावा छह मरीज फंगस के भर्ती हैं। इस तरह से 318 आइसीयू बेड खाली पड़े हैं। इसे देखते हुए कोरोना मरीज को दूसरी जगह स्थानांतरित कर फंगस के मरीजों को एक साथ रखने की व्यवस्था की जा रही है। बाकी बेड दूसरी बीमारियों से पीड़ित मरीजों के लिए शुरू किए जा सकते हैं।

बता दें कि यमुनापार में सबसे पहले राजीव गांधी सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल को ही कोरोना विशेष घोषित किया गया था। इसके बाद यहां से कोरोना का इलाज चल रहा है। अस्पताल के निदेशक डा. बीएल शेरवाल ने एक मरीज होने की पुष्टि की है। हालांकि उनका कहना है कि अन्य बीमारियों के लिए अस्पताल को पूरी तरह से शुरू करने का फैसला स्वास्थ्य विभाग लेगा।

कैंसर इंस्टीट्यूट में सीटी और पेट स्कैन की मशीनें फांक रहीं धूल

कोरोना काल में कैंसर मरीजों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट में पिछले डेढ़ साल से सीटी और पेट स्कैन की मशीनें धूल फांक रही हैं। यहां मरीजों को जांच की सुविधा नहीं मिल पा रही है। हालांकि, अस्पताल प्रशासन का कहना है कि जिन मरीजों को जरूरत होती है उनकी जांच आरोग्य कोष से निजी केंद्रों में कराया जाता है। हालांकि यह सुविधा सिर्फ दिल्ली के निवासियों के लिए है। जबकि यहां काफी संख्या में उप्र के मरीज भी आते हैं। वह इससे वंचित रह जाते हैं। अस्पताल के सूत्रों के मुताबिक सीटी स्कैन की मशीन डेढ़ साल से ही खराब पड़ी है। वहीं पेट स्कैन की मशीन की मरम्मत कराई गई थी। लेकिन कुछ दिन बाद ही फिर से खराब हो गई। इस वजह से यह दिक्कत आ रही है।


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