Move to Jagran APP

सिर्फ हाई कोर्ट के पास है अधीनस्थ न्यायालयों की अवमानना के लिए नोटिस जारी करने की शक्ति: HC

न्यायालय वाणिज्यिक न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली एक याचिका पर विचार करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने टिप्पणी की कि अधीनस्थ न्यायालयों की अवमानना के लिए नोटिस जारी करने की शक्ति केवल हाई कोर्ट के पास है और वही इस पर अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करती है।

By Vineet TripathiEdited By: Mangal YadavPublished: Wed, 19 Jan 2022 07:05 PM (IST)Updated: Wed, 19 Jan 2022 07:05 PM (IST)
सिर्फ हाई कोर्ट के पास है अधीनस्थ न्यायालयों की अवमानना के लिए नोटिस जारी करने की शक्ति: HC
सिर्फ हाई कोर्ट के पास है अधीनस्थ न्यायालयों की अवमानना के लिए नोटिस जारी करने की शक्ति: HC

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। न्यायालय वाणिज्यिक न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली एक याचिका पर विचार करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने टिप्पणी की कि अधीनस्थ न्यायालयों की अवमानना के लिए नोटिस जारी करने की शक्ति केवल हाई कोर्ट के पास है और वही इस पर अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करती है। न्यायमूर्ति अमित बंसल की पीठ ने कहा कि अधीनस्थ न्यायालय क्षेत्राधिकार ग्रहण नहीं कर सकते हैं और न ही अवमानना कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की गई इस संबंध में कारण बताओ नोटिस जारी कर सकती है। एक अधीनस्थ अदालत केवल अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए हाई कोर्ट का संदर्भ दे सकती है।

loksabha election banner

वाणिज्यिक न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली एक याचिका पर हाई कोर्ट विचार कर रहा था। इसमें प्रतिवादी को वाट्सएप के माध्यम से समन की तस्वीर भेजने पर न्यायालय ने आइसीआइसीआइ बैंक लिमिटेड को नोटिस जारी करने का निर्देश देते हुए पूछा था कि क्यों न उसके खिलाफ आपराधिक अवमानना की प्रक्रिया शुरू की जाए।पीठ ने माना कि वादी ने प्रक्रिया शुल्क दी थी और सामान्य प्रक्रिया के साथ-साथ स्पीड पोस्ट के माध्यम से प्रतिवादी को नियमित समन जारी करने के लिए कदम उठाए थे। समन की तस्वीर केवल वाट्सएप के माध्यम से एक अतिरिक्त उपाय के रूप में भेजी गई थी ताकि प्रतिवादी को वाणिज्यिक न्यायालय के समक्ष पेश किया जा सके।

इस प्रकार इसमें कुछ भी दुर्भावनापूर्ण नहीं है और यह नहीं कहा जा सकता है कि यह न्यायिक कार्यवाही को खत्म करने का प्रयास था। पीठ ने कहा कि अदालत की अवमानना अधिनियम 1971 की धारा-दस और 15 के मद्देनजर केवल उच्च न्यायालयों को अपने अधीनस्थ न्यायालयों की अवमानना के संबंध में संज्ञान लेने की शक्ति है। पीठ ने कहा कि अदालत की अवमानना एक विशेष अधिकार क्षेत्र है जिसे संयम से और बहुत सावधानी के साथ प्रयोग किया जाना चाहिए। पीठ ने कहा कि अवमानना कार्यवाही को हल्के में शुरू नहीं किया जाना चाहिए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.