गांव में रहकर ऑनलाइन शिक्षण संभव नहीं - प्रो वी.रामगोप राव
संस्थान के निदेशक प्रो वी.रामगोपाल राव ने बताया कि हाल ही में मई में आइआइटी दिल्ली ने एक सर्वे कराया जिसमें छात्रों से पूछा गया कि किसे इंटरनेट की समस्या हो रही है।
नई दिल्ली [राहुल मानव]। देश समेत दुनिया भर में कोविड-19 महामारी के कारण लोग प्रभावित हैं। उच्च शिक्षण व्यवस्था को लेकर शिक्षण संस्थानों की तरफ से कई विकल्प भी तलाशें जा रहे हैं। देश में 24 मार्च से लॉकडाउन जारी है। कई शिक्षण संस्थानों के छात्र जो छात्रावास में रह रहे थे वह इससे पहले ही अपने घर चले गए थे। तो कुछ ने अपने छात्रों को मई में उनके घर भेजने की व्यवस्था भी कराई। अब यह बात भी सामने आने लगी है देश के दूरदराज के क्षेत्र में रहने वाले छात्रों को इंटरनेट की कमी भी हो रही है।
इसी को ध्यान में रखते हुए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) दिल्ली की तरफ से छात्रों के लिए एक सर्वे कराया गया। इसके बारे में संस्थान के निदेशक प्रो वी.रामगोपाल राव ने बताया कि हाल ही में मई में आइआइटी दिल्ली ने एक सर्वे कराया जिसमें छात्रों से पूछा गया कि किसे इंटरनेट की समस्या हो रही है। इस मामले में संस्थान के पांच में से एक छात्र को यानी कुल 20 फीसद छात्रों को इंटरनेट की समस्या है।
उनके घर में इंटरनेट कनेक्टिविटी की दिक्कत है। कुछ ऐसे छात्र भी हैं जिनके पास सिर्फ 2जी इंटरनेट नेटवर्क ही उपलब्ध है। इसलिए अब हम यह विकल्प तलाश रहे हैं कि छात्रों को किन माध्यम से पढ़ाया जाए। गांव में रहने वाले छात्रों के इंटरनेट कमी के अभाव से ऑनलाइन शिक्षण संभव नहीं है। ऐसे में आने वाले समय में वर्चुअल कक्षा के साथ सामान्य रूप से भी कक्षाओं का आयोजन किया जाएगा।
हमारा रेजिडेंशियल कैंपस है। जब छात्र कैंपस में वापिस लौटेंगे तब उनके लिए यह व्यवस्था की जा सकती है। जिसमें छात्रों को अपनी क्लासरूम में आकर कक्षा लेने की आवश्यकता नहीं होगी। शिक्षक उनकी कक्षाएं बिना क्लासरूम में आए भी ले सकेंगे। आइआइटी दिल्ली में पढ़ने वाले इंजीनियरिंग के छात्रों के लिए प्रेक्टिकल पढ़ाई भी बहुत जरूरी है। ऐसे में भविष्य में वर्चुअल कक्षा व सामान्य कक्षा दोनों का चलन होगा।
पास व फेल एवं ग्रेडिंग का विकल्प भी दिया जाएगा छात्रों को
प्रो राव ने बताया कि हमारे सामने प्रथम वर्ष व अंतिम वर्ष के बीटेक के छात्रों के लिए शिक्षण की व्यवस्था को कराने की सबसे पहले प्राथमिकता है। अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए उन्हें दो विकल्प भी दिए जाएंगे। यह सभी विभाग छात्रों के साथ मिलकर खुद सुनिश्चित करेंगे। जुलाई में अंतिम वर्ष के छात्रों की कैंपस में परीक्षा आयोजित करने का फैसला लिया है। जब कैंपस खुलेगा।
छात्रों को पहला विकल्प दिया जाएगा कि वह अपने सभी पिछले सेमेस्टरों में लाए गए अंकों के आधार पर और उनका फोन पर वाइवा लेकर उन्हें सिर्फ पास या फेल के बारे में बताया जाएगा। दूसरा विकल्प होगा कि छात्र जनवरी-अप्रैल 2020 के अंतिम सेमेस्टर की परीक्षा देना चाहते हैं तो उन्हें विभिन्न असाइनमेंट दिए जाएंगे। इसका फैसला छात्र स्वयं करेंगे।