बचाव के पुराने तरीके देंगे कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन को मात, रखें इन बातों का ख्याल
नई दिल्ली एम्स के मेडिसिन विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डा. नीरज निश्चल ने बताया कि दो साल से कोरोना संक्रमण परेशान कर रहा है और नए-नए स्वरूप में सामने आ रहा है। ऐसे में सभी को बचाव के नियमों को आदत बनाकर कामकाज करने की जरूरत है।
नई दिल्ली, रणविजय कुमार सिंह। कोरोना की दूसरी लहर के बाद बड़ी मुश्किल से लोग चुनौती भरे दौर से बाहर निकले हैं। अब नए स्ट्रेन ओमिक्रोन के रूप में एक नई चुनौती फिर हम सबके सामने है, जो बहुत संक्रामक है। यह वैरिएंट नया जरूर है, लेकिन कोरोना हमारे लिए नया नहीं रहा। इससे बचाव के उपायों से सभी अवगत हो चुके हैं। बचाव के उन पुराने उपायों का ठीक से पालन कर इस नए वैरिएंट को मात दी जा सकती है।
सरकार कोरोना से बचाव के लिए नियम बना सकती है, लेकिन अहम मसला उसके पालन का है और यह खुद पर निर्भर होना चाहिए। लोग खुद से बचाव के नियमों का पालन करें। चाहे अल्फा, गामा व डेल्टा वैरिएंट हों या ओमिक्रोन, बचाव के दो ही तरीके हैं। एक सामाजिक टीका और दूसरा वास्तविक टीका। सामाजिक टीकाकरण का मतलब लोग कोरोना के अनुकूल बचाव के नियमों का ठीक से पालन करें। भीड़ में जाने से जहां तक संभव हो बचने की कोशिश करें और शारीरिक दूरी के नियम का पालन करें व हाथों की स्वच्छता का ध्यान रखें। खांसी, जुकाम, बुखार है तो घर से बाहर न निकलें। यदि इन बातों का ध्यान रखेंगे तो हर एक स्ट्रेन से सुरक्षित रहेंगे।
लोग नहीं अपना रहे बचाव के नियम: अब लोग पहले की तरह बचाव के नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। बाजारों में भी बहुत से लोग मास्क के बगैर दिखाई देते हैं। इस तरह का व्यवहार कोरोना से बचाव के अनुकूल नहीं है। इससे मुश्किलें बढ़ सकती हैं। प्रशासन को अभी थोड़ी सख्ती करनी चाहिए, लेकिन सवाल यह है कि आखिर सख्ती कब तक? ऐसी स्थिति नहीं बननी चाहिए कि डंडे की चोट पर बचाव के नियमों का पालन कराना पड़े। दो साल से कोरोना संक्रमण परेशान कर रहा है और नया-नया स्वरूप बदलकर सामने आ रहा है। यदि टीकाकरण करा लिया और बचाव के नियमों का पालन जारी है तो नया वैरिएंट परेशान नहीं करेगा। टीका नहीं लगवाने और बचाव के नियमों का पालन नहीं करने पर न सिर्फ स्वयं, बल्कि परिवार के लोगों में भी संक्रमण कारण बन सकता है। दूसरी लहर में शायद ही कोई ऐसा बचा हो जिसने परिवार, रिश्तेदार, दोस्त या किसी परिचित को न खोया हो। सबको यह सुनिश्चित करने का प्रयास करना चाहिए कि दोबारा वैसी स्थिति न बनने पाए। अब भी पुराने अनुभवों से सीख लेकर आगे बढ़ना होगा।
बीमार होने पर न करें सफर: इन दिनों लोग पहले की तुलना में यात्राएं अधिक करने लगे हैं। अपने शहर व गांव से बाहर जाने से पहले यह जानकारी जरूर रखें कि जहां जा रहे हैं, उस क्षेत्र में कोरोना के मामलों की क्या स्थिति है। बीमार होने पर यात्राएं नहीं करनी चाहिए। बीमार होने के बावजूद सफर करने पर संक्रमण बढ़ने का खतरा हो सकता है।
बूस्टर डोज सबको जरूरी नहीं: टीके की बूस्टर डोज पर विशेषज्ञों की कमेटी विचार कर रही है। वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर कमेटी जो भी फैसला करेगी उसका सबको पालन करना होगा। फिलहाल बूस्टर डोज के लिए बहुत ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है। देश में पहले ही बड़ी आबादी कोरोना से संक्रमित हो चुकी है और बहुत लोगों को टीका भी लग चुका है। इसलिए हर किसी को इसकी जरूरत नहीं है। बुजुर्ग व पुरानी बीमारियों से पीड़ित लोगों को बूस्टर डोज दी जा सकती है।
सजग रहें तो स्कूल खुलने में नहीं दिक्कत: संक्रमण होना और बीमार होना इन दोनों में फर्क है। दूसरी लहर में भी बहुत बच्चों को संक्रमण हुआ था, लेकिन बच्चे ज्यादा बीमार नहीं हुए। ऐसा साक्ष्य नहीं आया जिससे यह कहा जा सके कि बच्चे कोरोना से ज्यादा बीमार होंगे। इसलिए बच्चों को ओमिक्रोन से उतना ही जोखिम होगा, जितना पुराने वैरिएंट से था। हालांकि, बच्चों को बचाकर रखना हमारी जिम्मेदारी है। वैसे भी बच्चों को स्कूल न भेजकर बहुत महत्वपूर्ण समय हमने बर्बाद कर दिया। कई राज्यों में स्कूल खुले भी हैं। यदि अभिभावक, शिक्षक व स्कूल के कर्मचारियों ने सावधानी रखी तो बच्चों को स्कूल भेजने में ज्यादा परेशानी नहीं है। इसके लिए जरूरी है कि परिवार के सभी वयस्क सदस्यों, शिक्षकों व कर्मचारियों को टीका लगा होना चाहिए। परिवार का कोई सदस्य या शिक्षक आदि कोई भी बीमार हो तो बच्चों को स्कूल नहीं जाना चाहिए। यदि मामले बढ़ते हैं तो स्कूल बंद कर देने चाहिए।
पौष्टिक आहार के साथ व्यायाम: खानपान में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन, विटामिन व एंटीआक्सीडेंट युक्त भोजन शामिल होना जरूरी है। पौष्टिक आहार से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता ठीक बनी रहती है। कम से कम एक बार शाम को घर आने पर भाप जरूर लें। इसके अलावा प्रतिदिन कम से कम आधे घंटे का समय व्यायाम व योग के लिए जरूर निकालें। बाजार व खुले स्थान पर बिकने वाली चीजों के सेवन से बचें।
मास्क न पहनने पर टोकें: कार्यस्थलों व सार्वजनिक स्थलों पर कोई बगैर मास्क के है तो उसे जरूर टोकना चाहिए। आसपास के लोगों को जागरूक करते रहना जरूरी है कि मास्क पहनें, टीका लगवाएं और संक्रमण को लेकर गंभीर रहें। शोधों से भी यह बात साबित हो चुकी है कि टीका सुरक्षित है और कोरोना से जान बचाने में असरदार है। इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है।
टीका लेने में न करें देरी: जिन लोगों ने अब तक किसी भी कारण से टीका नहीं लिया है, वे टीका लेने में बिल्कुल देर न करें, जो लोग विदेश यात्रा करके आ रहे हैं, वे स्वेच्छा से कुछ दिन के लिए क्वारंटाइन हो जाएं। जिम्मेदार नागरिक की तरह सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन करें और विदेश से आने वाले लोग अपनी यात्रा को छिपाने से बचें। हो सकता है कि उनमें बीमारी के लक्षण न हों, लेकिन यदि वे संक्रमित होंगे तो दूसरे लोगों को संक्रमित कर सकते हैं।