अब सीमा पर खाली पड़े टेंटों के सहारे चल रहा कृषि कानून विरोधी आंदोलन, किसान लौट गए वापस
कृषि कानून के विरोध में सीमाओं पर बैठे किसान भी यहां से खिसकते जा रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत चाहे जितना दावा करे कि किसानों का आंदोलन मांगें न माने जाने तक चलता रहेगा मगर सच्चाई इससे एकदम उलट है।
नई दिल्ली/ साहिबाबाद [अवनीश मिश्र]। राजधानी और आसपास के इलाके में जैसे-जैसे कोरोना संक्रमितों की संख्या में इजाफा हो रहा है, कृषि कानून के विरोध में सीमाओं पर बैठे किसान भी यहां से खिसकते जा रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत चाहे जितना दावा करे कि किसानों का आंदोलन मांगें न माने जाने तक चलता रहेगा मगर सच्चाई इससे एकदम उलट है।
बीते तीन माह से यूपी गेट पर चल रहे धरना प्रदर्शन स्थल के हालात भी अब पूरी तरह से बदल चुके हैं, यहां पर न तो किसानों की लंबी भीड़ दिखती है न ही उनकी संख्या। यूपी गेट पर कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे धरना-प्रदर्शन में गिनती के प्रदर्शनकारी ही रह गए हैं।
एक बात ध्यान देने वाली ये है कि यहां पर शुरुआत में जो टेंट लगा दिए गए थे वो अब तक वैसे ही बरकरार हैं इस वजह से ऐसा लगता है कि यहां किसानों की संख्या उतनी ही है मगर सच्चाई इससे एकदम उलट है। यहां लगे अधिकतर टेंट खाली पड़े हुए हैं। इससे तस्दीक हो रही है कि नेता टेंटों के सहारे धरना चला रहे हैं।
यूपी गेट पर 28 नवंबर से धरना-प्रदर्शन चल रहा है। प्रदर्शनकारियों ने फ्लाईओवर के नीचे, संपर्क मार्ग, राष्ट्रीय राजमार्ग-नौ और दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे की दिल्ली जाने वाली लेन पर टेंट लगाकर कब्जा किया है। प्रदर्शनकारियों के टेंट खोड़ा के इतवार पुश्ता के आगे तक लगे हैं।
आंकड़ों की बात करें, तो यहां पर 25 बड़े, 70 मध्यम और सौ छोटे टेंट लगे हैं। बड़े टेंट में 40, मझले में 10, छोटे में दो प्रदर्शनकारियों के ठहरने का स्थान है। इस प्रकार इनमें 19 सौ प्रदर्शनकारियों के ठहरने के इंतजाम हैं। इसके अलावा 17 लंगर चल रहे हैं। उनमें भी ठहरने की व्यवस्था है, मगर स्थिति यह है कि यहां पर गिनती के तीन-चार सौ प्रदर्शनकारी ही बचे हैं। उनमें से भी करीब सौ प्रदर्शनकारी आसपास के गांवों व जिलों के हैं, जो आते-जाते रहते हैं। इस वजह से टेंट सूने रहते हैं।
प्रदर्शनकारियों को यहां पर रोके रखने और भीड़ बढ़ाने के लिए नेता लग्जरी व्यवस्थाएं, पंचायत आदि कर रहे हैं। यह सभी हथकंडे फेल हो रहे हैं। यहां पर नए प्रदर्शनकारी नहीं आ रहे हैं। फिर भी नेता टेंट नहीं हटा रहे हैं। इससे पता चल रहा है कि अब धरना टेंटों के सहारे चल रहा है। शनिवार को यहां टेंट और सड़कें पूरी तरह से सूनी रहीं। लंगर भी खाली रहे।
एक बात ये भी है कि यूपी गेट पर चल रहे किसानों के धरना प्रदर्शन में एक बड़ी संख्या खोड़ा और आसपास के रहने वाले युवाओं की भी है। ये वो युवा हैं जो धरना स्थल पर खाने पीने के लिए पहुंचते हैं। उधर संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर शनिवार को प्रदर्शनकारियों ने 24 घंटे के लिए डासना पर कुंडली, मानेसर, पलवल एक्सप्रेस-वे (केएमपी) जाम करने के लिए भी यहां से चले गए थे।