देशी मुद्रा लेनदेन के लिए समान बैंकिंग संहिता लागू करने की मांग पर केंद्र सरकार को HC का नोटिस
Indigenous currency transaction case दिल्ली हाई काेर्ट ने केंद्र सरकार से मंगलवार को सुनवाई के दौरान उस याचिका पर जवाब मांगा है जिसमें विदेशी मुद्रा लेनदेन के लिए एक समान बैंकिंग संहिता लागू करने की मांग की गई है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। विदेशी मुद्रा लेनदेन के लिए एक समान बैंकिंग संहिता लागू करने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर दिल्ली हाई काेर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए सुनवाई 25 मई तक के लिए सुनवाई स्थगित कर दी।सुनवाई शुरू होने पर जब पीठ ने कहा कि यह किस तरह की याचिका है कुछ समय नहीं आ रहा है। इस पर याचिकाकर्ता व अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने चौंकाने वाला आंकड़ा पेश करते हुए पीठ को बताया कि देश में विभिन्न माध्यम से विदेश से हर साल देश व समाज को तोड़ने के लिए 50 हजार करोड़ रुपये भेजे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वे इस तरह के संगठन का नाम नहीं लेना चाहते, लेकिन यह गंभीर मामला है।ऐसे में बैंकिंग संहिता लागू करने की जरूरत है।उन्होंने यह भी कहा कि यह समस्या समझने में मुझे एक साल का समय लगा।
उन्होंने यह भी कहा कि अगर आप पालिका बाजार और पहाड़गंज कुछ रुपये लेकर जाएं तो वहां पर एेसे लोग बैठे हैं जोकि इसे आपके अकाउंट में विदेश से ट्रांसफर हुआ धन बताकर ट्रांसफर कर देंगे। वहीं, केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए एडिशनल सालिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा कि यह एक गंभीर मामला है और पर पर विस्तार से विचार किए जाने की जरूरत है।याचिका के साथ दाखिल किए गए दस्तावेजों की जांच की जाएगी।पीठ ने इस पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
उपाध्याय ने याचिका में कहा कि यह सुनश्चित करने का निर्देश दिया जाए कि भारतीय बैंकों में विदेशी धन जमा करने के लिए रीयल टाइम ग्रास सेटलमेंट (आरटीजीएस), नेशनल इलेक्ट्रानिक फंड ट्रांसफर (एनईएफटी) और इंस्टेंट मनी पेमेंट सिस्टम (आइएमपीएस) का उपयोग नहीं किया जाए।उपाध्याय ने दलील दी कि यह न केवल भारत के विदेशी मुद्रा भंडार के राष्ट्रीय हितों को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि अलगाववादियों, कट्टरपंथियों, नक्सलियों, माओवादियों, आतंकवादियों, देशद्रोहियों, धर्मांतरण माफियाओं व आतंकी संगठनों को धन मुहैया कराने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।
उपाध्याय ने दलील दी कि इसके अलावा केवल एक व्यक्ति या कंपनी को आरटीजीएस, एनईएफटी और आइएमपीएस के माध्यम से भारत के क्षेत्र में एक बैंक खाते से दूसरे बैंक खाते में भारतीय रुपये भेजने की अनुमति दी जानी चाहिए।अंतरराष्ट्रीय बैंकों को इन घरेलू बैंकिंग लेनदेन उपकरणों का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।