दिल्ली में 10 महीने के दौरान नहीं खरीदे गए एक भी वेंटिलेटर, आरटीआइ के जवाब में सामने आई बात
दिल्ली में अगस्त-सितंबर के बीच कोरोना की दूसरी लहर व नवंबर-दिसंबर में कोरोना की तीसरी लहर के दौरान आगे की जरूरतों को ध्यान में रखकर खास तैयारी नहीं की गई। इसका खामियाजा दिल्ली के लोग भुगत रहे हैं।
नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। कोरोना के संक्रमण के बीच अस्पताल इन दिनों संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं। अस्पतालों में वेंटिलेटर बेड व ऑक्सीजन की कमी बनी हुई है। यहां तक कि जरूरत मंद मरीजों के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर लोगों को नहीं मिल पा रहा है। इस बीच एक आरटीआइ के जवाब में यह बात सामने आई है कि पिछले 10 माह में दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के सेंट्रल प्रोक्यूरमेंट एजेंसी (सीपीए) ने एक भी वेंटिलेटर नहीं खरीदी है। जुलाई के बाद ऑक्सीजन सिलेंडर भी नहीं खरीदे गए हैं। यह हाल तब है जब जुलाई में कोरोना की पहली लहर खत्म होने के बाद दिल्ली के लोग चौथी लहर की मार झेल रहे हैं।
इसका मतलब यह हुआ कि दिल्ली में अगस्त-सितंबर के बीच कोरोना की दूसरी लहर व नवंबर-दिसंबर में कोरोना की तीसरी लहर के दौरान आगे की जरूरतों को ध्यान में रखकर खास तैयारी नहीं की गई। इसका खामियाजा दिल्ली के लोग भुगत रहे हैं।
दरअसल, आरटीआइ कार्यकर्ता विवेक पांडेय ने 18 अप्रैल को आरटीआइ दायर कर स्वास्थ्य विभाग से पूछा था कि दिल्ली सरकार ने जुलाई 2020 से अप्रैल 2021 के बीच कितने वेंटिलेटर, ऑक्सीजन सिलेंडर व टैंक की खरीद की। जवाब में सीपीए ने बताया है कि जुलाई 2020 से अप्रैल 2021 के बीच एक भी वेंटिलेटर नहीं खरीदे गए। वहीं जुलाई 2020 में 4500 ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदे गए। जिस पर चार करोड़ 15 लाख 79 हजार 908 रुपये खर्च हुआ।
विवेक पांडेय ने कहा कि इस आरटीआइ से यह जानने की कोशिश थी कि दिल्ली में कोरोना की पहली लहर के बाद व्यवस्था बेहतर करने के लिए कितना काम किया गया? लेकिन आइटीआइ का जवाब हैरान करने वाला है। जवाब से यह साफ है कि जुलाई 2020 के बाद ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदने की भी जरूरत नहीं समझी गई। लिहाजा, कोरोना की मौजूदा लहर से निपटने के लिए बिल्कुल तैयारी नहीं की गई थी।