आक्सीजन बफर स्टाक को लेकर केंद्र द्वारा उठाए गए कदमों पर नहीं कोई स्पष्टता, हाई कोर्ट ने उठाया सवाल
Delhi coronavirus news कोरोना महामारी की तीसरी लहर को देखते हुए राष्ट्रीय राजधानी में लिक्विड मेडिकल आक्सीजन (एलएमओ) का बफर स्टाक बढ़ाने के संबंध में स्पष्ट जवाब नहीं दाखिल करने पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सवाल उठाया है।
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। कोरोना महामारी की तीसरी लहर को देखते हुए राष्ट्रीय राजधानी में लिक्विड मेडिकल आक्सीजन (एलएमओ) का बफर स्टाक बढ़ाने के संबंध में स्पष्ट जवाब नहीं दाखिल करने पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सवाल उठाया है। न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने कहा कि दाखिल किए गए हलफनामा में दिल्ली में आक्सीजन भंडारण क्षमता को बढ़ाने के लिए बफर स्टाक के सृजन को लेकर केंद्र द्वारा उठाए गए कदमों पर को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है। हाे सकता है कि आज स्थिति सामान्य दिखाई दे रही हो रही, लेकिन अप्रैल-मई माह में क्या हुआ हमने देखा है।
कोरोना महामारी के इलाज के लिए आक्सीजन की कमी व दवा समेत अन्य मामलों को लेकर अधिवक्ता राकेश मल्होत्रा की जनहित याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है। पीठ ने कहा कि हम बफर स्टाक सृजित करने भाग नहीं सकते हैं, यह बीमा के तरीके से है। पीठ ने कहा कि अगर केंद्र सरकार को लगता है कि बफर स्टाक सृजित करने की जरूरत नहीं है या फिर यह काम दिल्ली सरकार का है तो फिर उसे सुप्रीम कोर्ट से संपर्क करना चाहिए, जिसने उन्हें बफर स्टाक बनाने का आदेश दिया था।
पीठ ने कहा कि 30 अप्रैल को अपने आदेश में शीर्ष अदालत ने केंद्र व दिल्ली सरकार को एलएमओ के बफर स्टाक सृजित करने को कहा था। पीठ ने यह भी कहा कि बफर स्टाक एक या दो सप्ताह में बन सकता है, इसके लिए एक मूल ढांचा बनाना होता है। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता कीर्तिमान सिंह ने कहा कि बफर स्टाक के लिए दिल्ली सरकार ने पर्याप्त काम किया है।
उन्होंने बताया कि देशभर में क्रायोजेनिक टैंकर की संख्या को 1040 से बढ़ाकर 1700 किया गया है और दिल्ली के लिए 26 टैंकर की व्यवस्था की गई है। वहीं, आक्सीजन री-फिलिंग की क्षमता को 187 मैट्रिक टन से बढ़ाकर 224 किया गया है। वहीं, दिल्ली सरकार की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने पीठ को बताया कि दिल्ली सरकार ने विभिन्न स्थानों पर एलएमओ का 420 मैट्रिक टन के बफर स्टाक का इंतजाम किया है।
इसके अलावा अस्पताल के पास 724 मैट्रिक टन आक्सीजन भंडारण की क्षमता है। पीठ ने सुनवाई के बाद केंद्र सरकार को इस बाबत जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए सुनवाई 23 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी।
राज्य सरकार अब सीधे निर्माता से खरीद सकेगी फंगस की दवा
सुनवाई के दौरान फंगस की बीमारी के इलाज में इस्तेमाल होने वाली इम्फोटेरिसिन-बी की दवा के संबंध में केंद्र सरकार के अधिवक्ता कीर्तिमान सिंह ने पीठ को बताया कि इसके आंवटन की केंद्रीय व्यवस्था को बंद कर दिया गया है। अब राज्य सरकारें निर्माता कंपनियों से सीधे फंगस की दवा हासिल कर सकती हैं। कीर्तिमान ने पीठ को बताया कि फंगस मरीजों की संख्या 27 जून को 28475 थी, जोकि 30 जुलाई तक कम होकर 18833 हो गई है।