नेताजी सुभाषचंद्र बोस भारतीय राष्ट्रीयता के असली महानायक : प्रो. कुमुद शर्मा
कालेज के हिंदी विभाग के प्रभारी डा. हंसराज सुमन ने कहा कि नेताजी भारत में पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने भारत को आजाद कराने की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुहिम शुरू की। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य प्रो. विपिन कुमार ने की। संचालन डा. प्रदीप कुमार सिंह व योगराज सिंह ने किया।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। नेताजी सुभाषचंद्र बोस भारतीय राष्ट्रीयता के असली महानायक हैं। राष्ट्र के प्रति पूर्णरूपेण समर्पित हुए बिना अंतरराष्ट्रीयता की कल्पना नहीं की जा सकती और राष्ट्रीयता देश के लिए मरने की इच्छा का नाम है। नेताजी का चरित्र वर्तमान दौर में अत्यंत प्रेरणादायी और राष्ट्र के विकास में उच्च आदर्श स्थापित करने वाला है। ये बातें रविवार को सुभाषचंद्र बोस की 125वीं जयंती के अवसर पर श्री अरबिंदो कालेज के हिंदी विभाग की नवोन्मेष साहित्य सभा द्वारा राष्ट्रीयता और सुभाषचंद्र बोस विषय पर आयोजित वेबिनार में डीयू के हिंदी विभाग की प्रोफेसर कुमुद शर्मा ने कहीं।
छात्रों व विद्वतजनों को संबोधित करते हुए हिंदी विभाग में प्रोफेसर कुमुद शर्मा ने कहा कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस भारतीय राष्ट्रीयता के असली महानायक है । उन्होंने अपने वक्तव्य में राष्ट्रवाद, राष्ट्रीयता तथा राष्ट्रीय आचरण जैसे व्यापक विषय को राष्ट्र के प्रति पूर्ण रूपेण समर्पित नेताजी सुभाषचंद्र बोस के परिपेक्ष्य में परिभाषित करते हुए कहा कि भारतीय राष्ट्रीयता की अवधारणा एक विशिष्ट अवधारणा है जो भारतीय संस्कृति, उसके जीवन मूल्यों , आदर्शो तथा मान्यताओं को आचरण में उतरते हुए उसके प्रति समर्पित रहने की चेतना का नाम है ।
प्रो. शर्मा ने आगे कहा कि राष्ट्र के प्रति पूर्णरूपेण समर्पित हुए बिना अंतर्राष्ट्रीयता की कल्पना नहीं की जा सकती और राष्ट्रीयता देश के लिए मरने की इच्छा का नाम है । उन्होंने आगे कहा कि नेताजी का चरित्र आज के वर्तमान दौर में अत्यंत प्रेरणादायी और राष्ट्र के विकास में उच्च आदर्श स्थापित करने वाला है । उनके आचरण एवं विचार मात्र सैद्धान्तिक स्तर पर नहीं बल्कि व्यवहारिक स्तर पर उतारे जा सकते हैं ।
नेताजी के ऊर्जावान और बलिदानी चरित्र को याद करते हुए प्रोफेसर शर्मा ने उनके द्वारा उद्धरित कई सूक्तियों का हवाला देते हुए माना कि नेताजी राष्ट्रहित को मानव जाति के उच्चतम आदर्शो ,सत्यम ,शिवम , सुंदरम की तरह मानते थे ।उन्होंने युवाओं से अपील की है कि नेताजी के आदर्शों को अपने जीवन में उतारे ।
इस अवसर पर अरबिंदो कॉलेज के हिंदी विभाग के प्रभारी डॉ .हंसराज सुमन ने राष्ट्रीयता और नागरिकता दोनों को अलग -अलग परिभाषित करते हुए कहा कि राष्ट्रीयता एक मूल्य है जो कि व्यक्ति के जीवन मूल्यों और संस्कृति से परिभाषित होती है जबकि नागरिकता देश और व्यक्ति के बीच एक वैधानिक अनुबंध की तरह है जहाँ उसमें कुछ कर्त्तव्य भी है। उन्होंने कहा कि नेताजी भारत में पहले ऐसे व्यक्ति है जिन्होंने भारत को आजाद कराने की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुहिम शुरू की । डॉ.सुमन ने कहा कि तुम मुझे खून दो , मैं तुम्हें आजादी दूंगा , का नारा अपने आप में आत्मोत्सर्ग करने के लिए भारत की करोड़ों जनता को प्रेरित किया। इससे देश को आजाद कराने में सहायता मिली । राष्ट्रीयता को परिभाषित करने के लिए इससे बढ़कर और कोई वाक्य नहीं हो सकता ।
डॉ .सुमन ने आगे कहा कि आजादी महोत्सव की अवधारणा तभी सार्थक है जब समाज के प्रत्येक व्यक्ति को सामाजिक आर्थिक न्याय और समता का अधिकार प्राप्त न हो जाए। उन्होंने कहा कि हमारे देश के अमर वीर सेनानियों ने आजाद भारत के जो सपने संजोए थे वह कहीं न कहीं राजनीतिक गलियारों में गुम हो गए । हमारा विभाग ऐसे महानायकों के इतिहास को एक श्रृंखलाबद्ध तरीके से सामने लाने का प्रयास करेगा ताकि भावी पीढ़ी उनके विषय में जाने ।
प्राचार्य प्रोफेसर विपिन कुमार ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि आजादी महोत्सव मनाने के पीछे देश के वीर सपूतों के बलिदानों को याद करना है । नेताजी को इतिहास के पन्नों में जितना स्थान मिलना चाहिए था उतना नहीं मिला। अब समय है उनकी जयंती पर उनके बलिदान को याद करते हुए उनकी वास्तविक छवि को पुनः उदघाटित किया जाए। हमें वर्तमान समय में ऐसे ही ऐतिहासिक नायकों की आवश्यकता है जो राष्ट्रीय एकता के आदर्श है । उन्होंने कहा कि इस साल हम देश के सभी स्वतंत्रता सेनानी ,महानायकों की जयंती को बड़े धूमधाम से मनाएंगे ताकि छात्र उन्हें जानकर जीवन में उतार सकें।
हिंदी विभाग के शिक्षक डॉ. प्रदीप कुमार सिंह ने छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहा कि सुभाषचंद्र बोस एक महान राष्ट्र भक्त ,महानायक के रूप में हमारे देश की युवा शक्ति के प्रेरणास्रोत बने रहेंगे । देश का युवा हमेशा अपने संकीर्ण स्वार्थो से ऊपर उठकर राष्ट्रहित में पूर्ण रूपेण समर्पित हो सकता है यदि उसके अंदर के भावों को जगाने के लिए नेताजी जैसे आदर्शो को पुनः उनकी वास्तविक छवि को सामने लाया जाए।
नवोन्मेष साहित्य सभा के द्वारा आयोजित इस व्याख्यान माला में सभा के अध्यक्ष योगराज सिंह ने अपने वक्तव्य में राष्ट्र के नवनिर्माण की प्रक्रिया को परम्परा और आधुनिकता से जुड़कर उसकी मजबूत संभावनाओं पर बल दिया । साथ ही नेताजी के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प लिया । अंत में सभी का धन्यवाद डॉ. हंसराज सुमन ने किया । डॉ. विनय जैन ,डॉ. सीमा , डॉ. रोशन लाल मीणा व डॉ. शिवमंगल कुमार व डॉ . दीपा के अलावा सौ से अधिक छात्र ,शिक्षक इस व्याख्यान से जुड़े।