कालकाजी शिफ्ट होंगे नेहरू प्लेस के 67 फेरीवाले, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एसडीएमसी की कार्रवाई
दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) 67 फेरीवालों को नेहरू प्लेस से गोविंदपुरी मेट्रो स्टेशन के पास स्थानांतरित करेगा। सात जनवरी को दिए अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने भीड़भाड़ वाले बाजार नेहरू प्लेस में अवैध फेरीवालों के खिलाफ कार्रवाई करने का रास्ता साफ कर दिया।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) 67 फेरीवालों को नेहरू प्लेस से गोविंदपुरी मेट्रो स्टेशन के पास स्थानांतरित करेगा। सात जनवरी को दिए अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने भीड़भाड़ वाले बाजार नेहरू प्लेस में अवैध फेरीवालों के खिलाफ कार्रवाई करने का रास्ता साफ कर दिया था जिसके बाद निगम ने कार्रवाई शुरू की है।
एसडीएमसी सेंट्रल जोन के चेयरमैन राजपाल सिंह ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार नेहरू प्लेस से सभी फेरीवालों को गोविंदपुरी मेट्रो के पास स्थित अग्रवाल धर्मशाला के सामने वाली रोड पर चार गुणा छह फुट जगह दी गई है। हालांकि, स्थानीय आरडब्ल्यूए इसका विरोध कर रही है। वहीं, फेरीवाले भी कह रहे हैं कि वहां उनकी दुकानदारी नहीं हो पाएगी। राजपाल सिंह ने कहा कि नेहरू प्लेस में निगम की तहबाजारी है, इसलिए निगम ही उनके लिए अलग जगह की व्यवस्था कर रहा है।
स्थानीय आरडब्ल्यूए समेत सभी पक्षों से बात कर जल्द मामले का हल निकाला जाएगा। वहीं, आल दिल्ली कंप्यूटर ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष महेंद्र अग्रवाल ने कहा कि नेहरू प्लेस नो-हाकिंग जोन है। फेरीवालों के कारण यहां आने वाले ग्राहकों को काफी परेशानी होती है। संबंधित एजेंसियों को कोर्ट के आदेश का पालन करवाना चाहिए। इस मार्केट में रेहड़ी-पटरी की कुल 116 दुकानें हैं जिनमें से 67 को हटाया जाना है। शेष दुकानों का मामला अभी कोर्ट में है।
हालांकि, नेशनल एसोसिएशन आफ स्ट्रीट वेंडर्स आफ इंडिया (नासवी) के राष्ट्रीय समन्वयक अर¨बद सिंह ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर मांग करेंगे कि 67 स्थानांतरित फेरीवालों को ही नहीं, बल्कि सभी को समायोजित किया जाए। उन्होंने कहा कि दिल्ली में स्ट्रीट वेंडर्स (आजीविका का संरक्षण और स्ट्रीट वें¨डग का विनियमन) अधिनियम, 2014 का कार्यान्वयन रोकने के लिए तो सिविक एजेंसियां हर संभव प्रयास करती हैं, लेकिन उनके हक की बात कोई नहीं करता। इसलिए नासवी सुप्रीम में अपील दाखिल कर राहत की मांग करेगा।
गौरतलब है कि उपराज्यपाल ने वर्ष- 2009 में नेहरू प्लेस को नो-हाकिंग जोन घोषित किया था। फेरीवाले इसके खिलाफ हाई कोर्ट चले गए, इसलिए यह आदेश पूरी तरह से लागू नहीं हो पाया था। वर्ष 2017 में दिल्ली हाई कोर्ट ने इन्हें हटाने का आदेश दिया। इसके बाद फेरीवाले सुप्रीम कोर्ट चले गए जहां से उन्हें अंतरिम सुरक्षा दी गई। हालांकि, इसी सात जनवरी को शीर्ष अदालत ने वर्ष 2017 के दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए अंतरिम सुरक्षा वापस ले ली और एसडीएमसी को फेरीवालों को नेहरू प्लेस से हटाने का निर्देश दिया।