Farmer Protest: किसानों के आंदोलन से अनजान बनने का नहीं, समाधान निकालने का समय
Farmer Protest In Delhi NCR दिल्ली-एनसीआर की सीमाओं पर एनसीआर में स्थित सभी औद्योगिक क्षेत्रों में मुख्यत दिल्ली के उद्यमी ही कार्यरत हैं जिन्हें अपनी फैक्टियों में आने-जाने में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
नई दिल्ली [सम्पत तोषनीवाल]। दिल्ली तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में स्थित विभिन्न औद्योगिक क्षेत्र और बाजार कच्चे व तैयार माल की आपूíत के लिए परस्पर आश्रित हैं। इसके अतिरिक्त हजारों श्रमिकों, कर्मचारियों और दिहाड़ी कामगारों का परस्पर रोजाना आवागमन होता है। गत एक वर्ष से दिल्ली की अंतरराज्यीय सीमाओं पर तथाकथित कृषि कानूनों के विरोध में धरने पर बैठे प्रदर्शनकारियों से लोगों का आवागमन और माल का परिवहन अत्याधिक प्रभावित हुआ है। मुख्य सड़क मार्ग अवरुद्ध होने से फैक्टियों और बाजारों तक पहुंचने के लिए निकटवर्ती गांवों से गुजरने वाले संकरे रास्तों का उपयोग करना पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप परिवहन की लागत और लोगों के आवागमन में लगने वाला समय पहले की अपेक्षा दोगुना हो गया है। पर्याप्त कामगारों के नहीं पहुंचने से अनेक फैक्टियों में उत्पादन शिथिल अथवा बंद हो गया है, लेकिन फेक्टियों के स्थायी खर्चे जैसे बिजली का बिल, वेतन, ब्याज, सुरक्षा आदि पूर्ववत जारी है। इन सबके फलस्वरूप उद्यमियों को भारी आíथक हानि का सामना करना पड़ रहा है।
दिल्ली की सीमाओं पर एनसीआर में स्थित सभी औद्योगिक क्षेत्रों में मुख्यत दिल्ली के उद्यमी ही कार्यरत हैं जिन्हें अपनी फैक्टियों में आने-जाने में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। सबसे अधिक प्रभावित जीटी करनाल रोड़ पर स्थित कुंडली, राई, बढ़ी, नाथूपुर इत्यादि औद्योगिक क्षेत्र हैं जिनमें छह हजार से अधिक फैक्टियों में लगभग डेढ़ लाख श्रमिक कार्यरत हैं।
बेरोजगारी व कर राजस्व की हानि
पंजाब की ओर से आने वाले अनेक भारी वाहन इन दिनों कुंडली औद्योगिक क्षेत्र से गुजर रहे हैं, जिसके कारण वहां की सड़कें क्षतिग्रस्त हो गई हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच)- नौ पर स्थित बहादुरगढ़ औद्योगिक क्षेत्र में 700 से अधिक फैक्टियां हैं और वहां का फुटवियर और आटो पार्ट्स उद्योग व्यापक रूप से प्रभावित हुआ है। दिल्ली में स्थित अनेक बड़े औद्योगिक क्षेत्र जैसे बवाना, नरेला, उद्योग नगर व वजीरपुर समेत अन्य की औद्योगिक गतिविधियों पर भी इसका प्रभाव दिखाई देता है। यदि औद्योगिक उत्पादन में आई गिरावट और इससे उत्पन्न प्रत्यक्ष एवं परोक्ष बेरोजगारी व कर राजस्व की हानि आदि को मिलाकर देखा जाए तो यह समाज और अर्थव्यवस्था के लिए एक अकल्पनीय आíथक क्षति है। उल्लेखनीय बात यह है कि उद्यमियों की इस पीड़ा से सभी सरकार व शासन बिलकुल अनजान बना हुए हैं। लघु उद्योग भारती केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और दिल्ली के सभी पड़ोसी राज्यों की सरकारों से यह अपील करती है कि देश की अर्थव्यवस्था और लघु उद्यमियों के व्यापक हित में दिल्ली की सीमाओं पर जारी सभी धरने अविलंब हटाएं जाएं।
(लेखक लघु उद्योग भारती में राष्ट्रीय सचिव हैं)