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8 साल से ताले में कैद है राष्ट्र की धरोहर, जानिये- कब देख सकेंगे पर्यटक

शेरशाह सूरी गेट स्मारक को बचाने के लिए दीवार गिरने के पांच साल बाद दिसंबर 2017 में इसके संरक्षण का काम शुरू हो सका। मगर एएसआइ द्वारा निकाले गए अस्थायी कर्मचारियों के कारण यह कार्य बंद हो गया था।

By JP YadavEdited By: Published: Wed, 09 Dec 2020 01:10 PM (IST)Updated: Wed, 09 Dec 2020 01:10 PM (IST)
8 साल से ताले में कैद है राष्ट्र की धरोहर, जानिये- कब देख सकेंगे पर्यटक
रशाह सूरी का पुराना किला के ठीक सामने यह गेट लाल दरवाजा के नाम से भी मशहूर है।

नई दिल्ली [वीके शुक्ला]। शेरशाह सूरी गेट स्मारक पर आठ साल से लगा ताला जल्द हटेगा। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) इस स्मारक के बचे हुए संरक्षण कार्य को पूरा कराने जा रहा है। कार्य इस माह के अंत तक शुरू हो जाएगा। जिसे शुरू होने के तीन माह में पूरा किया जाएगा। इसके बाद इसे पर्यटकों के लिए खोल दिया जाएगा। शेरशाह सूरी का पुराना किला के ठीक सामने यह गेट लाल दरवाजा के नाम से भी मशहूर है।

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बता दें कि शेरशाह द्वारा बनवाए गए मथुरा रोड स्थित इस राष्ट्रीय स्मारक शेरशाह सूरी गेट का राष्ट्रमंडल खेलों के समय 2010 में संरक्षण कार्य कराया गया था, मगर 2012 में हुई एक तेज बारिश में इस गेट के बाईं ओर की दीवार गिर गई थी, जिससे गेट खतरनाक स्थिति में आ गया था। उस समय एएसआइ ने आनन फानन में इस गेट के आधे हिस्से में ईंटों की दीवार खड़ी कर गेट को बचा लिया था, मगर इस गेट को बचाने के लिए बनाई गई दीवार को आठ साल बाद भी नहीं हटाया जा सका है। इस गेट को बचाने के लिए दीवार गिरने के पांच साल बाद दिसंबर 2017 में इसके संरक्षण का काम शुरू हो सका। मगर एएसआइ द्वारा निकाले गए अस्थायी कर्मचारियों के कारण यह कार्य बंद हो गया था। उसके बाद एएसआइ ने इस संरक्षण कार्य के लिए जो टेंडर निकाले, उसे लेने के लिए कोई कंपनी आगे नहीं आई।

वर्ष 2019 में एएसआइ ने फिर से प्रयास किया और संरक्षण का कार्य शुरू कराया। 95 फीसद काम पूरा हो गया था। मगर कोरोना के चलते काम बंद हो गया। अब फिर से एएसआइ इस कार्य को शुरू कराने की तैयारी कर रही है। माना जा रहा है कि इस माह के अंत तक काम शुरू हो जाएगा।

दिल्ली के 13 दरवाजों में शामिल है यह दरवाजा

इस गेट को शेरशाह सूरी ने वर्ष 1540 में बनवाया था। यह दिल्ली के प्रवेश द्वारों में से एक है। इसकी ऊंचाई 15.5 मीटर है। जो चिडि़याघर के ठीक सामने स्थित है। ताला लगा होने के कारण पर्यटक बाहर से ही इसे देख कर लौट जाते हैं।  

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