Move to Jagran APP

आम्रपाली से तकरीबन 4000 करोड़ रुपये वसूलने हैं प्राधिकरणों को, नहीं निकल रही कोई राह

प्राधिकरण अधिकारी ने बताया कि नोएडा में आम्रपाली की सात परियोजना है। इन परियोजनाओं के जमीन का आवंटन महज 10 प्रतिशत रकम लेकर किया गया।

By Edited By: Published: Mon, 15 Apr 2019 08:42 PM (IST)Updated: Tue, 16 Apr 2019 12:26 PM (IST)
आम्रपाली से तकरीबन 4000 करोड़ रुपये वसूलने हैं प्राधिकरणों को, नहीं निकल रही कोई राह
आम्रपाली से तकरीबन 4000 करोड़ रुपये वसूलने हैं प्राधिकरणों को, नहीं निकल रही कोई राह

नोएडा, जेएनएन। प्राधिकरण को आम्रपाली से 1930 करोड़ रुपये वसूलने हैं, लेकिन इसमें एक रुपया भी अब तक प्राधिकरण के खाते में नहीं आ सका है। यह पैसा प्राधिकरण के खाते में कैसे जमा हो? आम्रपाली की अधूरी परियोजना का निर्माण कैसे किया जाए? साथ ही निवेशकों का भविष्य कैसे सुरक्षित किया जाए? इन मुद्दों का प्राधिकरण जवाब बनाने में जुटा है। यह जवाब लेकर प्राधिकरण को सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) में 30 अप्रैल, 1 मई, दो मई को उपस्थित होना है। सुबह साढ़े दस से शाम साढ़े चार बजे तक इस मामले में सुनवाई की जाएगी। कयास लगाए जा रहे हैं कि इस सुनवाई के बाद घर खरीदारों, प्राधिकरण, बैंकों को राहत मिलने की उम्मीद है।

loksabha election banner

प्राधिकरण अधिकारी ने बताया कि नोएडा में आम्रपाली की सात परियोजना है। इन परियोजनाओं के जमीन का आवंटन महज 10 प्रतिशत रकम लेकर किया गया। आम्रपाली के निदेशकों ने खरीदारों को लुभाने के लिए एनिमेटड फ्रेम तैयार किया। जिसमें खरीदार फंस गए। नोएडा-ग्रेटर नोएडा में ऐसे करीब 46 हजार घर खरीदार हैं। जिनका पैसा आम्रपाली के पास है, लेकिन इनको अब तक फ्लैट नहीं मिला।

मामला सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है। पैसा नहीं होने से एनबीसीसी भी निर्माण कार्य करने में असहाय है। हाल ही में आम्रपाली के अस्पताल व मॉल निलाम किए गए लेकिन परियोजना के निर्माण में इससे कई गुना ज्यादा रकम की आवश्यकता है।

बकाए की तरफ ध्यान दें तो आम्रपाली को 1930 करोड़ रुपये नोएडा प्राधिकरण को और 2800 करोड़ रुपये ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को देने हैं। इसके अलावा बैंक व अन्य एजेंसियों को भी बकाया देना है। यह बकाया कैसे वापस मिले इसके लिए नोएडा प्राधिकरण से जवाब मांगा गया है। प्राधिकरण का नीति विभाग के साथ आला अधिकारी भी इस मंथन में जुटे हैं कि ऐसा विकल्प तैयार किया जाए जिससे घर खरीदारों का हित बचा रहे और प्राधिकरण को अपना पैसा भी मिल जाए। फिलहाल तीन दिनों तक चलने वाली इस सुनवाई में कयास यही है कि फैसला घर खरीदारों के हित में ही आ सकेगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.