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ऑक्सीजन सिलेंडर पहुंचाकर सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल बन रहे मुस्लिम छात्र, रोजा रखकर खिदमत को दे रहे अंजाम

ऐसे वक्त में मुस्लिम छात्र मददगार बनकर रोजे की हालत में आक्सीजन सिलेंडर होम आइसोलेट मरीजों तक पहुंचा रहे हैं। जिस वक्त तड़के रमजान में सहरी का समय होता है। उस वक्त उनके पास आक्सीजन के लिए मदद मांगी गई। वह सहरी बीच में छोड़कर आक्सीजन पहुंचाने चले गए।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Sun, 25 Apr 2021 06:12 PM (IST)Updated: Sun, 25 Apr 2021 06:12 PM (IST)
ऑक्सीजन सिलेंडर पहुंचाकर सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल बन रहे मुस्लिम छात्र, रोजा रखकर खिदमत को दे रहे अंजाम
एक युवती की काल पर सहरी के वक्त उसके घर पहुंचाया आक्सीजन सिलेंडर।

नई दिल्ली, [शुजाउद्दीन]। छात्रों को यूं ही देश का भविष्य नहीं कहा जाता है। इस दौर में जब लोग कोरोना के डर से अपने घरों में कैद हैं, अस्पतालों में आक्सीजन के लिए हाहाकार मचा हुआ है। ऐसे वक्त में मुस्लिम छात्र मददगार बनकर रोजे की हालत में आक्सीजन सिलेंडर होम आइसोलेट मरीजों तक पहुंचा रहे हैं। उनकी खिदमत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है, जिस वक्त तड़के रमजान में सहरी का समय होता है। उस वक्त उनके पास एक हिंदू युवती ने फोन करके आक्सीजन के लिए मदद मांगी। वह सहरी बीच में ही छोड़कर उसके घर आक्सीजन पहुंचाने चले गए।

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कासिम उस्मानी मूलरूप से उत्तर प्रदेश के देवबंद के रहने वाले हैं और जामिया मिल्लिया इस्लामिया से पढ़ाई कर रहे हैं। पढ़ाई के दौरान उन्होंने यूनाइट फॉर ह्यूमैनिटी नाम से एक ग्रुप बनाया है। इस ग्रुप से गुजरात, उत्तर प्रदेश, जम्मू कश्मीर, दिल्ली सहित अन्य राज्यों के विश्वविद्यालयों के एक हजार से ज्यादा विद्यार्थी जुड़े हुए हैं, अधिकतर मुस्लिम हैं। बहुत से विद्यार्थी पढ़ाई के साथ नौकरियां भी कर रहे हैं। इस वक्त कोरोना से राजधानी के हालत बहुत खराब हो गए हैं, बड़ी संख्या में लोग कोरोना की चपेट में आ रहे हैं।

कोरोना की इस दूसरी लहर में लोग आक्सीजन के लिए तरस रहे हैं, ऐसे वक्त में मुस्लिम छात्र किसी तरह से आक्सीजन सिलेंडर का इंतजाम करके मरीजों तक पहुंचा रहे हैं। पिछले एक सप्ताह में विद्यार्थियों ने दिल्ली-एनसीआर में करीब 200 लोगों को आक्सीजन पहुंचाएं हैं। 20 पाेर्टेबल आक्सीजन सिलेंडर दिए गए हैं। उन्हाेंने कहा कि रमजान की वजह से अधिकतर छात्र रोजे से हाेते हैं, रोजा रखकर वह खिदमत में लगे हुए हैं। सिर्फ इसलिए ताकि किसी तरह से लोगों की मदद हो जाए।

उन्होंने बताया ग्रुप की सदस्य व शारदा विश्वविद्यालय की छात्रा तसनीम जफर के पास शनिवार रात तीन बजे नजफगढ़ के पास के इलाके एक हिंदू युवती का फोन आया और उसने बताया कि उसकी मां का आक्सीजन स्तर 35 पहुंच गया है। जिस वक्त फोन आया, उस समय रोजा रखने के लिए तसनीम सहरी कर रही थी। उन्होंने अपने तीन साथी मुजाहिद, माज और सैफ से मदद मांगी, वह भी तीनों सेहरी कर रहे थे। लेकिन किसी की जान का सवाल था, उन्होंने सहरी बीच में ही छोड़ी और जामिया से करीब 30 किलोमीटर दूर रात में ही आक्सीजन पहुंचाने गए।

बाजार से सामान लाकर आक्सीजन कीट तैयार कर रहे हैं

तसनीम जफर ने बताया कि ग्रुप के सदस्य बाजार से खाली आक्सीजन सिलेंडर, पाइप व अन्य सामान खरीदकर घर के अंदर आक्सीजन सिलेंडर की पूरी कीट तैयार कर रहे हैं। कुछ जगहों से सिलेंडर में गैस भरवाकर मरीजों तक पहुंचाते हैं। दाे सौ नए पाेर्टेबल आक्सीजन सिलेंडर खरीदने के आर्डर भी दिए हुए हैं। जब मरीज की जरूरत पूरी हो जाती है तो सिलेंडर वापस लाकर दूसरे मरीज को दे देते हैं। पल्स आक्सीमीटर भी जरूरतमंदों तक पहुंचा रहे हैं, ताकि वह समय पर अपने शरीर के आक्सीजन का स्तर जांच सके। इसके साथ ही भोजन भी पहुंचा रहे हैं।


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