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फर्जी अनुमति पत्र के दम पर एमटीएनएल की भूमिगत केबल की करते थे चोरी, आठ गिरफ्तार

भूमिगत केबल को उखाड़ने के लिए एमटीएनएल द्वारा जारी एक फर्जी अनुमति पत्र तैयार करता था ताकि यदि पुलिस मौके पर आए तो उसे दिखाकर बेरोकटोक काम किया जा सके। यह मामला है जनकपुरी थाना पुलिस स्‍टेशन का।

By Prateek KumarEdited By: Published: Tue, 22 Sep 2020 09:17 PM (IST)Updated: Tue, 22 Sep 2020 09:17 PM (IST)
फर्जी अनुमति पत्र के दम पर एमटीएनएल की भूमिगत केबल की करते थे चोरी, आठ गिरफ्तार
पुलिस द्वारा गिरफ्तार व्‍यक्‍ति की प्रतिकात्‍मक फोटो।

नई दिल्ली, गौतम कुमार मिश्रा। जनकपुरी थाना पुलिस ने महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) की भूमिगत केबल पर हाथ साफ करने वाले गिरोह के आठ बदमाशों को गिरफ्तार किया है। गिरोह बड़े ही शातिर अंदाज में वारदात को अंजाम देता था। एक सदस्य ने तो बीबीए की पढ़ाई की हुई है। यह शख्स भूमिगत केबल को उखाड़ने के लिए एमटीएनएल द्वारा जारी एक फर्जी अनुमति पत्र तैयार करता था, ताकि यदि पुलिस मौके पर आए तो उसे दिखाकर बेरोकटोक काम किया जा सके।

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किसी को शक न हो इसके लिए गिरोह के बदमाश वारदात के दौरान हेलमेट, फ्लोरोसेंट जैकेट पहन लेते ताकि ये बिल्कुल कामगार नजर आएं। केबल निकालने के सड़क पर कोई दिक्क्त नहीं हो, इसके लिए ये घटनास्थल पर बोलार्ड लगाकर वहां से यातायात को किसी अन्य रूट पर डायवर्ट कर देते थे। आरोपितों में मोशिर सिद्दकी, अजहरउद्दीन, परवेज, शाकिब, लड्डू, मंजूर आलम, शाहिद व मो. युसूफ शामिल है। इनमें अजहरउद्दीन व युसूफ को छोड़कर सभी बिहार के अररिया जिला स्थित जोकीहाट क्षेत्र के गांव तारन के रहने वाले हैं। इस पूरे मामले की तहकीकात जारी है। अजहरउद्दीन द्वारका सेक्टर तीन व युसूफ उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद स्थित मुख्तारपुर नवादा का रहने वाला है। इस मामले में पुलिस ने क्रेन, बड़ी मात्रा में केबल व औजार बरामद किए हैं।

दरअसल पिछले कुछ दिनों से एमटीएनएल अधिकारियों की ओर से पुलिस को केबल चोरी की शिकायतें लगातार मिल रही थी। एक के बाद एक मामले को देखते हुए जनकपुरी थाना प्रभारी जयप्रकाश के नेतृत्व में सबइंस्पेक्टर संदीप, सुशील, एएसआइ विजेंद्र, हेड कांस्टेबल सुनील, कांस्टेबल जयदीप, करण की एक टीम बनाई गई। टीम ने जांच में एक ओर तकनीकी छानबीन की मदद ली तो दूसरी ओर मुखबिरों से भी जानकारी जुटाई। बदमाशों ने इससे पहले जिन जगहों पर केबल चोरी की वारदातों को अंजाम दिया था, उन जगहों के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज व डंप डाटा के विश्लेषण के आधार पर पुलिस ने आरोपितों की पहचान कर ली और फिर एक के बाद एक को टीम दबोचती चली गई। पुलिस के अनुसार भूमिगत केबल को उखाड़ने के लिए ये क्रेन की मदद लेते थे। पहले जमीन की खुदाई कर केबल को एक जगह काट देते थे। फिर इसके सिरे को क्रेन की मदद से ये खींचते थे। इस तरह ये बड़े इलाके में फैले केबल को उखाड़ लेते थे। पुलिस अभी गिरोह के अन्य बदमाशों को तलाश में जुटी है।

पुलिस के अनुसार परवेज, शाकिब व लड्डू काम की तलाश में अलग अलग समय में दिल्ली आए। यहां आकर ये पूर्वी दिल्ली में मजदूरी करने लगे। ये एमटीएनएल के केबल को बिछाने व मरम्मत का कार्य करते थे। काम के दौरान कभी कभार ये केबल चुराते और अजहरउद्दीन को बेचते थे। यहीं से इनके मन में बड़े पैमाने पर केबल चुराने का विचार आया। शुरुआती दौर में इन्होंने भूमिगत केबल उखाड़ने के लिए मजदूरों का सहारा लिया। लेकिन बाद में ये क्रेन का इस्तेमाल करने लगे।

युसूफ जहां चालक का काम करता था वहां उसके मालिक के पास क्रेन था। उससे किराए पर क्रेन लिया जाता था। कुछ जगहों पर चोरी के दौरान इन्हें सड़क की खोदाइ करते समय नगर निगम व अन्य एजेंसियों के कर्मचारियों के पूछताछ का सामना करना पड़ा। इसे ध्यान में रखते हुए मोशिर के साथ इनके लिए फर्जी अनुमति पत्र तैयार करता था, जो अंग्रेजी में लिखा होता था। इस कार्य में परवेज मदद करता था। अनुमति पत्र पर फर्जी स्टांप का इस्तेमाल होता था। शाकिर व लड्डू मजदूरों का इंतजाम करते थे। इनके पास केबल उखाड़ने व काटने के सभी औजार थे। केबल उखाड़कर उससे तांबा व अन्य धातु निकालकर ये उसे बेच देते थे।

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