Mumtaz Mahal: सबसे अधिक पर्यटक पहुंचते हैं मुमताज महल के निजी महल को देखने, आप भी जानें खूबियां
Mumtaz Mahal करीब एक साल पहले से इस महल को पर्यटकाें के लिए खोल दिया गया है। लालकिला में यह महल पीछे की ओर अंत में दक्षिण और पूर्वी कोने पर स्थित है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के अनुसार इस महल को देखने वाले पर्यटकों की संख्या अधिक है।
नई दिल्ली [वीके शुक्ला]। Mumtaz Mahal: दिल्ली के लालकिला के अंदर बने स्मारकों में सबसे अधिक पर्यटक मुमताल महल के निजी महल को देखने के लिए पहुंचते हैं। करीब एक साल पहले से इस महल को पर्यटकाें के लिए खोल दिया गया है। लालकिला में यह महल पीछे की ओर अंत में दक्षिण और पूर्वी कोने पर स्थित है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के अनुसार इस महल को देखने वाले पर्यटकों की संख्या अधिक है। एएसआइ ने शाहजहां की सबसे प्रिय बेगम मुमताज महल के लालकिला स्थित निजी महल का संरक्षण कार्य करीब दाे साल पहले पूरा करा दिया था। इसके बाद इसे भ्रमण करने के उद्देश्य से पर्यटकों के लिए खोल दिया गया था। इस महल का संरक्षण कार्य करीब 112 साल के बाद 2018-19 में कराया गया था। इससे पहले इस महल में संरक्षण कार्य करीब 1907 में कराया गया था। इस महल में 1919 से एएसआइ का एक संग्रहालय चल रहा था। जनवरी 2018 में यहां के संग्रहालय को हटा दिया था और महल पर एएसआइ ने ताला लगा दिया था। फरवरी में इसके संरक्षण के लिए काम शुरू किया गया था।
लालकिले में दक्षिणी और पूर्वी कोने पर एकांत में यह महल स्थित है। शाहजहां के समय निर्मित लालकिला में यह सबसे खूबसूरत महल था। जो शाहजहां के रंगमहल के करीब बनाया गया था। दीवारों और फर्श पर बेहतरीन नक्कासी की गई थी। एएसआइ के अधिकारी बताते हैं कि 1857 के विद्राेह के समय जब अंग्रेजों ने लालकिला पर कब्जा कर लिया था, उस समय लालकिला में बहुत तोड़फोड़ की गई थी। उस दौरान यहां स्वतंत्रता आंदोलन में भाग ले रहे लोगों को कैद कर रखा जाने लगा था। बाद में जब देश की राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली लाए जाने की योजना बनी तो 1911 से कुछ साल पहले से लालकिले को फिर से ठीक किया जाने लगा। इस महल में भी 1907 के करीब कुछ संरक्षण कार्य कराया गया। अभी भी इस महल की कुछ दीवारों पर चित्रकारी मौजूद है और कुछ स्थानों पर कांच का काम दिखाई दे जाता है। पुरातत्वविद इसी के आधार पर इस महल की भव्यता के बारे में अनुमान लगाते हैं।
मुमताज महल से जुड़ी कुछ बातें
- मुमताज महल का असली नाम अर्जुमंद बानो था।
- उनका जन्म अप्रैल 1593 में आगरा में हुआ था।
- 10 मई 1612 को शाहजहां से मुमताज का निकाह हुआ।
- वह शाहजहां की तीसरी और पसंदीदा बेगम थीं।
- उनका निधन मध्यप्रदेश के बुरहानपुर में 17 जून 1631 को बेटी गौहारा बेगम को जन्म देते वक्त हुआ। मृत्यु के बाद मुमताज महल को बुरहानपुर में ही दफनाया गया था।
- उनकी याद में शाहजहां ने ताजमहल बनाने का फैसला किया। बाद में बुरहानपुर के जैनाबाद से मुमताज महल के जनाजे को एक विशाल जुलूस के साथ आगरा ले जाया गया और ताजमहल के गर्भगृह में दफना दिया गया।
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