दिल्ली से सटे शहर में 2 साल से छिपाए था सेना की गोलियों का जखीरा, ऐसे हुआ खुलासा
डीसीपी क्राइम लोकेंद्र सिंह के अनुसार पूछताछ में पता चला है कि सेना से निकलने वाले कबाड़ में इनके पास ये गोलियां आईं। ये गोलियों से पीतल अलग कर बेचने की फिराक में थे।
फरीदाबाद [हरेंद्र नागर]। क्राइम ब्रांच सेक्टर-30 पुलिस बृहस्पतिवार शाम जीवन नगर गौंछी कबाड़ी मार्केट में एक कबाड़ गोदाम से गोलियों का जखीरा बरामद किया। गोदाम मालिक की पहचान चाचा चौक निवासी राजकुमार के रूप में हुई है। पुलिस ने राजकुमार व उसके दो साथियों जीवन नगर पार्ट-2 निवासी दिनेश व ओल्ड फरीदाबाद इस्लामनगर निवासी इरफान को गिरफ्तार किया है। डीसीपी क्राइम लोकेंद्र सिंह के अनुसार पूछताछ में पता चला है कि सेना से निकलने वाले कबाड़ में इनके पास ये गोलियां आईं। ये गोलियों से पीतल अलग कर बेचने की फिराक में थे। पत्रकारों से बातचीत के दौरान डीसीपी ने बताया कि सेना व इंटेलिजेंस ब्यूरो को सूचित कर दिया है, ताकि आरोपितों से पूछताछ कर मास्टर माइंड तक पहुंचा जा सके।
दो साल से छिपाई हुई थीं गोलियां
सूत्रों से पता चला है कि आरोपित राजकुमार ने करीब दो साल से गोलियों का जखीरा छिपाकर रखा हुआ था। कबाड़ी मार्केट में लोगों से बातचीत में पता चला कि राजकुमार और दिनेश के बीच रुपयों का लेनदेन था। दो साल पहले दिनेश ने राजकुमार से 54 हजार रुपये उधार लिए थे। जब राजकुमार ने रुपये वापस मांगने शुरू किए तो दिनेश कहीं से गोलियों का जखीरा ले आया। इसमें करीब 54 किलो चली हुई गोलियों के खोल, पांच बम, 1756 विभिन्न हथियारों के जिंदा कारतूस थे। दिनेश ने राजकुमार के पास यह जखीरा गिरवी रख दिया और कहा कि अगर गोलियों का पीतल अलग कर बेचा जाए तो काफी रुपये मिलेंगे। इसके बाद दिनेश रुपये वापस नहीं लौटा पाया तो दोनों के बीच अनबन हो गई। इसी बीच सेक्टर-30 क्राइम ब्रांच पुलिस को मुखबिर से गोलियों की सूचना मिल गई। पुलिस ने जब राजकुमार के गोदाम पर छापा मारा तो गोलियां एक बड़े से टब में मिलीं, जिसमें बारिश का पानी भरा हुआ था।
बरामद हुईं गोलियां हथियार
- एके-47 राइफल की गोलियां 28
- इनसास मशीनगन की गोलियां 190
- 9 एमएम गोलियां 194
- प्वाइंट 22 गोलियां 1161
- एसएंडपी राइफल की गोलियां 72
- एसएलआर राइफल 80
- 38 बोर की गोलियां 28
- खाली कारतूस 53 किलो
- गोलियों के सिक्के
- 30 किलो आरोपितों से पांच बम भी मिले हैं।
लोकेंद्र सिंह (डीसीपी क्राइम) का कहना है कि इनके बारे में यह नहीं कहा जा सकता कि ये चले हुए हैं या ¨जदा बम हैं। जांच के लिए विशेषज्ञों को बुलाया गया है। इंस्पेक्टर विमल कुमार और उनकी टीम ने बेहतरीन कार्य किया है।
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