तीसरी लहर में इन वजहों से हो रही मरीजों की मौत, जानिए क्या कहती है रिपोर्ट
कोरोना की तीसरी लहर का कहर कम है।अस्पतालों में भर्ती मरीजों में तीसरी लहर में भी छह प्रतिशत मृत्यु दर देखी गई हैजो पहली व दूसरी लहर के मुकाबले कम है। मैक्स हेल्थकेयर के 13 अस्पतालों में भर्ती कोरोना मरीजों पर किए गए अध्ययन में यह बात सामने आई है।
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। कोरोना की पहली व दूसरी लहर की तुलना में इस बार तीसरी लहर में बहुत कम मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ी। इसलिए कोरोना का कहर कम रहा। अस्पतालों में भर्ती मरीजों में तीसरी लहर में भी छह प्रतिशत मृत्यु दर देखी गई है, जो पहली व दूसरी लहर के मुकाबले कम है। मैक्स हेल्थकेयर के 13 अस्पतालों में भर्ती कोरोना मरीजों पर किए गए अध्ययन में यह बात सामने आई है। जिसमें दिल्ली एनसीआर में स्थित मैक्स हेल्थ केयर के सभी अस्पतालों का डाटा शामिल किया गया है।
यह अध्ययन साकेत स्थित मैक्स अस्पताल के इंटरनल मेडिसिन के विशेषज्ञ व मैक्स हेल्थकेयर के समूह चिकित्सा निदेशक डा. संदीप बुद्धिराजा के नेतृत्व में डाक्टरों ने किया है। अध्ययन में कहा गया है कि दूसरी लहर के दौरान जब एक दिन में 28 हजार मामले आए थे तब अस्पतालों के बेड मरीजों से भरे हुए थे। आइसीयू में बेड खाली नहीं थे।
इसकी तुलना में तीसरी लहर में इस बार 28 हजार मामले पर आने पर अस्पतालों में बहुत कम मरीज पहुंचे। इसलिए मैक्स के अस्पतालों में बेड की कमी नहीं हुई। पहली लहर में अस्पतालों में भर्ती 63 प्रतिशत व दूसरी लहर में 74 प्रतिशत मरीजों को आक्सीजन की जरूरत पड़ी थी। जबकि तीसरी लहर में अस्पतालों में भर्ती 23.4 प्रतिशत मरीजों को ही आक्सीजन की जरूरत पड़ी।
70 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों की इस बार मौतें अधिक
कोरोना की पहली लहर में मार्च 2020 से जनवरी 2021 तक मैक्स के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कोरोना के 20,883 मरीजों में मृत्यु दर 7.2 प्रतिशत थी। दूसरी लहर में डेल्टा के संक्रमण के दौरान चार माह में 12,444 मरीज भर्ती हुए थे जिनमें मृत्यु दर 10.5 प्रतिशत थी। इस बार तीसरी लहर में अस्पतालों में भर्ती 1378 मरीजों में से 82 मरीजों की मौत हो गई। लिहाजा इस बार मृत्यु दर छह प्रतिशत दर्ज की गई है। इसका कारण यह है कि पिछले 10 दिनों में अस्पतालों में कोरोना के कुछ गंभीर मरीज बढ़े। इस बार किडनी, दिल की गंभीर बीमारियों, मधुमेह, कैंसर इत्यादि रोगों से पीड़ित 70 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों की मौत अधिक हुई। साथ ही मृतकों में 60 प्रतिशत ऐसे मरीज थे जिन्हें कोरोना का टीका नहीं लग था या सिर्फ एक डोज टीका लगा था।
बच्चों पर नहीं देखा गया ज्यादा असर
बच्चों पर इस बार भी कोरोना का ज्यादा असर नहीं देखा गया। यही वजह है कि कोरोना से संक्रमित 18 साल से कम उम्र के 41 बच्चे भर्ती किए गए। इनमें से किसी की मौत नहीं हुई। सात बच्चों को आइसीयू व दो बच्चों को वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत पड़ी थी।
पहली, दूसरी व तीसरी लहर में मैक्स के अस्पतालों में भर्ती मरीजों के आंकड़ें
कोरोना की लहर भर्ती हुए मरीज आइसीयू में भर्ती मृत्यु दर आक्सीजन सपोर्ट
पहली लहर 20,883 35% 7.2% 63%
दूसरी लहर 12,444 34% 10.5% 74%
तीसरी लहर 1378 45.9% 6% 23.4%