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दिल्ली के 700 से ज्यादा निजी अस्पतालों को नहीं मिला फायर डिपार्टमेंट का एनओसी

दिल्ली के केवल 70 बड़े अस्पतालों को ही अग्निशमन विभाग का एनओसी मिला हुआ है जबकि दूसरे तय मानकों को पूरा नहीं करते अथवा रिहायशी इलाके में बने हुए हैं।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 07 Aug 2020 07:35 AM (IST)Updated: Fri, 07 Aug 2020 07:35 AM (IST)
दिल्ली के 700 से ज्यादा निजी अस्पतालों को नहीं मिला फायर डिपार्टमेंट का एनओसी
दिल्ली के 700 से ज्यादा निजी अस्पतालों को नहीं मिला फायर डिपार्टमेंट का एनओसी

नई दिल्ली [संतोष शर्मा]। गुजरात में अहमदाबाद के कोविड अस्पताल में आग लगने से आठ मरीजों की दर्दनाक मौत हो गई है। इसने सुरक्षा के प्रबंध पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि राजधानी दिल्ली की बात करें तो यहां भी स्थिति अहमदाबाद से अलग नहीं है। दिल्ली के चार बड़े सरकारी अस्पताल सहित 700 से ज्यादा निजी अस्पतालों को भी दमकल विभाग का एनओसी (गैर अनापत्ति प्रमाण पत्र) नहीं मिला है। ये अस्पताल विभाग द्वारा तय मानकों को पूरा नहीं करते अथवा रिहायशी इलाके में बने हुए हैं। असुरक्षित होने के बावजूद सभी अस्पताल बेधड़क चल भी रहे हैं और वहां हर रोज हजारों मरीज अपना इलाज करवाने जा रहे हैं। यहां आग लग जाती है तो जान-माल की बड़ी क्षति की आशंका है। दिल्ली के केवल 70 बड़े अस्पतालों को ही अग्निशमन विभाग का एनओसी मिला हुआ है।

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दिल्ली अग्निशमन विभाग के सूत्रों के मुताबिक, लोकनायक अस्पताल, जीबी पंत अस्पताल, रोहिणी स्थित बाबा साहब अंबेडकर अस्पताल और मोती बाग के डॉ. बीआर सुर होम्योपैथी अस्पताल को तकनीकी कारणों से विभाग का एनओसी नहीं मिला है। दरअसल, अस्पतालों के बिल्डिंग ब्लॉक में निर्माणगत या अन्य खामी हैं। कुछ अस्पतालों में समस्याओं को दूर करने की कवायद जारी है। लोकनायक और जीबी पंत अस्पताल में दमकल की गाडि़यों के आने-जाने के लिए अप्रोच रोड नहीं है। हालांकि आग से बचाव के लिए वहां अग्निशमन यंत्र जरूर लगाए गए हैं। बाबा साहब अंबेडकर अस्पताल में भवन के सभी खंडों में अलग-अलग अग्निरोधक व्यवस्था (कंपार्टमेंटेशन) नहीं कराया गया है। डॉ. बीआर सुर होम्योपैथी अस्पताल में भी ऐसी ही कई दिक्कतें हैं। इस कारण ये अस्पताल आग से पूरी तरह सुरक्षित नहीं हैं। यही नहीं दिल्ली में करीब 700 छोटे-बड़े अन्य निजी अस्पतालों को भी विभाग का एनओसी नहीं मिला है। ये सभी अस्पताल वर्ष 2010 के पहले के बने हुए हैं।

दमकल की गाड़ी खड़ी करने तक की जगह नहीं

ज्यादातर अस्पतालों में ज्यादातर अस्पतालों में अप्रोच रोड तो दूर दमकल की गाडि़यां खड़ी होने की जगह तक नहीं है। यही नहीं नौ मीटर से ज्यादा ऊंचे अस्पताल में दो मीटर चौड़ी सीढ़ी और ढाई मीटर चौड़ा कॉरिडोर होना भी जरूरी है। लेकिन अधिकांश अस्पताल इन मानकों पर खरे नहीं उतरते। ज्यादातर छोटे और मंझोले अस्पताल रिहायशी बिल्डिंग को परिवर्तित कर बनाए गए हैं। इन अस्पतालों में आग से सुरक्षा के पुख्ता इतंजाम नहीं होने से आग लगने पर बड़ा हादसा होने की आशंका है।

निजी अस्पतालों का सबसे बुरा हाल

दमकल अधिकारियों के मुताबिक, अस्पतालों को आग से सुरक्षा का प्रमाण पत्र प्रदान करने के लिए अगल-अलग 20 से ज्यादा मानक तय किए गए हैं। यदि एक भी मानक कम होता है तो उस परिसर को आग से सुरक्षित नहीं माना जाता। दिल्ली में वर्तमान में कुल 37 सरकारी अस्पताल मौजूद हैं। सबसे बुरा हाल निजी अस्पतालों का है। ज्यादातर ऐसे छोटे व मंझोले निजी अस्पताल रिहायशी व अन्य इलाके में चल रहे हैं। दरअसल, 2010 से पहले नौ मीटर से ऊंचे निजी अस्पताल के लिए आग से बचाव का कोई प्रावधान नहीं था। इन्हें वर्ष 2010 में अग्निशमन के दायरे में लाया गया है। वहीं, ज्यादातर निजी अस्पताल या तो अनधिकृत क्षेत्र में बने हैं या रिहायशी बिल्डिंग को कामर्शियल में तब्दील कर दिया गया है। इन अस्पतालों के लिए संबंधित विभाग से बिल्डिंग का प्लान तक पास नहीं कराया गया है। लिहाजा उन पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकती।

अतुल गर्ग (निदेशक, दिल्ली फायर सर्विस) का कहना है कि जिन सरकारी अस्पतालों में कमियां हैं उन्हें दूर करने के लिए सरकार द्वारा कमेटी बनाई गई है। कुछ अस्पतालों में कमियां दूर करने का काम शुरू भी कर दिया गया है। बीच में कोरोना संकट आ जाने से काम में देरी हुई। विभाग उन अस्पताल में आग से सुरक्षा के पुख्ता उपाय करने के लिए पीडब्ल्यूडी अधिकारियों के संपर्क में है। 

यह भी जानें

  • असुरक्षित होने के बावजूद बेधड़क चल रहे हैं सभी अस्पताल
  • हर रोज हजारों मरीज अपना इलाज करवाने जा रहे हैं इन अस्पतालों में
  • 2010 के पहले के बने हुए हैं ये सभी अस्पताल
  • 4 बड़े अस्पतालों में भी आग से बचाव के नहीं है पुख्ता प्रबंध
  • 70 अस्पतालों को ही मिला है अग्निशमन विभाग का एनओसी
  • 37 सरकारी अस्पताल मौजूद हैं दिल्ली में इस समय
  • 20 से ज्यादा मानक तय किए गए हैं अस्पतालों को एनओसी देने के लिए 

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