छेड़छाड़ के आरोपित को अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए करनी होगी सामुदायिक सेवा, पढ़िए कोर्ट की टिप्पणी
महिला से बदतमीजी करने के आरोपित को दिल्ली हाई कोर्ट ने सामुदायिक सेवा करने के निर्देश देते हुए राहत दी है। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता और शिकायतकर्ता के बीच समझौता हो चुका है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। महिला से बदतमीजी करने के आरोपित को दिल्ली हाई कोर्ट ने सामुदायिक सेवा करने के निर्देश देते हुए राहत दी है। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता और शिकायतकर्ता के बीच समझौता हो चुका है। पीठ ने इस मामले में दर्ज एफआइआर को रद करने का आदेश देते हुए कहा कि याचिकाकर्ता अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए सामुदायिक सेवा करने को तैयार है।
न्यायमूर्ति ने कहा कि ऐसे में याचिकाकर्ता को लोक नायक जय प्रकाश नारायण अस्पताल में प्रत्येक शनिवार और रविवार को एक महीने तक यानी एक फरवरी से दो मार्च तक सामुदायिक सेवा करने का निर्देश दिया जाता है। एक फरवरी को उसे अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक के समक्ष रिपोर्ट करना होगा। अदालत ने यह भी कहा कि एक माह पूरा होने के बाद याचिकाकर्ता को आदेश का अनुपालन दर्शाने वाला प्रमाण पत्र दाखिल करना होगा।
साथ ही चेतावनी दी है कि वह भविष्य में इस तरह के कार्यों को नहीं करेगा। इसके अलावा पीठ ने याचिकाकर्ता पर 35 हजार रुपये का जुर्माना लगाते हुए उक्त धनराशि सशस्त्र सेना युद्ध हताहत कल्याण कोष में जमा करने का निर्देश दिया है।
उल्लेखनीय है कि एक महिला ने वर्ष 2016 में अपने मकान मालिक पर बदतमीजी और छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया था। पीडि़ता की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज किया था। बाद में दोनों पक्षों के बीच समझौता हो गया और याचिकाकर्ता ने एफआइआर रद करने की याचिका दायर की थी।