मोहन सिंह की दहाड़ से कांप जाती थी दुश्मनों की रूह, शेर की तरह लड़ा था ये जवान
मोहन के साथियों ने बताया कि युद्ध में मोहन सिंह बंकर में शेर की तरह मौजूद रहते थे। उनकी दहाड़ से पाकिस्तानी सैनिकों की रूह कांप जाती थी।
गाजियाबाद [गौरव शशि नारायण]। महफूज है सरहद हमारी, तुम्हारे जज्बे से वीरों। नहीं तो क्या हुआ होता, बताने की जरूरत क्या है। कारगिल युद्ध के दौरान नायक मोहन सिंह बिष्ट ने दुश्मनों के दांत खट्टे कर दिए थे। वे जब शेर की तरह दहाड़ते थे तो पाक सैनिकों की रूह कांप जाती थी। तीन जुलाई 1999 को इस वीर योद्धा ने अपने प्राण देश के लिए न्यौछावर कर दिए। गोली लगने के बाद भी उन्होंने भारत माता की जय और वंदे मातरम बोलना बंद नहीं किया था। जब मोहन सिंह बिष्ट शहीद हुए थे तब उनकी पत्नी विमला देवी चार माह की गर्भवती थीं।
छुट्टी नहीं मिली
साहिबाबाद के लाजपत नगर में रह रहीं विमला देवी बताती हैं कि मोहन सिंह अंतिम बार अप्रैल 1999 में छुट्टी लेकर आए थे। जाते समय कहा था कि एक से दो महीने में लौटकर आ जाएंगे, लेकिन पाकिस्तान के साथ छिड़ी जंग के दौरान उन्हें छुट्टी नहीं मिली। वह पति के खत का इंतजार करती रहीं। विमला कहती हैं कि जब मोहन सिंह का पार्थिव शरीर अल्मोड़ा स्थित उनके पैतृक गांव खड़ाऊं पहुंचा तो उनके साथियों ने बताया कि युद्ध में मोहन सिंह बंकर में शेर की तरह मौजूद रहते थे। उनकी दहाड़ से पाकिस्तानी सैनिकों की रूह कांप जाती थी।
बेटे को भेजूंगी सेना में
मोहन सिंह बिष्ट की तीन बेटियां और एक बेटा है। बड़ी बेटी सुमन की शादी हो चुकी है। दीपू पत्रकारिता कर रही हैं तो नीतू डीयू से बीएड कर रही हैं। बेटा रॉबिन बीए की पढ़ाई कर रहा है। विमला कहती हैं कि वह अपने बेटे को भी राष्ट्र की सेवा के लिए सेना में भेजेंगी।