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कोरोना ने पूरे विश्व को बताया सुख-शांति का मार्ग भारत से ही निकलता है : मोहन भागवत

Mohan Bhagwat मोहन भागवत ने कहा कि जब कोरोना काल आया तो विश्व को पता चला कि इसके लिए भारत के पास जाना होगा। क्योंकि भारत उस मूल तक जाता है जहां से सुख की भावना पैदा होती है।

By Jp YadavEdited By: Published: Sat, 03 Apr 2021 08:44 AM (IST)Updated: Sat, 03 Apr 2021 08:50 AM (IST)
कोरोना ने पूरे विश्व को बताया सुख-शांति का मार्ग भारत से ही निकलता है : मोहन भागवत
दीनदयाल उपाध्याय मार्ग स्थित संस्कार भारती के नवनिर्मित मुख्यालय कला संकुल का लोकार्पण करते सर संघचालक मोहन भागवत (दाएं)।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत ने कहा कि कोरोना ने पूरे विश्व को बताया कि सुख-शांति का मार्ग भारत से ही निकलता है। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि कला केवल मनरंजन का विषय मात्र नहीं, बल्कि अभिव्यक्ति का सुंदर साधन भी है। कला संवेदना की अभिव्यक्ति है और हम सबको इसके प्रवाह को सुरक्षित रखना होगा। भागवत दीनदयाल उपाध्याय मार्ग स्थित संघ के सहयोगी संगठन संस्कार भारती के नवनिर्मित मुख्यालय कला संकुल के लोकार्पण के मौके पर अपने विचार रख रहे थे।

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उन्होंने कहा कि विश्व ने पश्चिम की मनरंजन आधारित कला को चुना था, जिसमें पूर्णता नहीं है। इसलिए विश्व भटक रहा है। जब कोरोना काल आया तो विश्व को पता चला कि इसके लिए भारत के पास जाना होगा। क्योंकि भारत उस मूल तक जाता है जहां से सुख की भावना पैदा होती है। वहां तक जाने पर कभी न मिटने वाले और कभी न फीका पड़ने वाले सुख की प्राप्ति होती है। इसके अलावा कहीं और तृप्ति नहीं मिलेगी। उन्होंने आशा व्यक्त की कि ‘कला संकुल’ के माध्यम से सभी कलाओं के संवर्धन एवं संरक्षण के लिए ठोस प्रयास होंगे। इसके साथ ही उन्होंने चेताते हुए कहा कि साधन कभी लक्ष्य पर भारी नहीं पड़ना चाहिए। यह कला संकुल भी साधन मात्र है।

समाज को जोड़ने का होगा काम

संस्कार भारती के संरक्षक पद्मश्री बाबा योगेंद्र ने कहा कि कलाकारों के माध्यम से समाज को जोड़ने और दिशा देने का काम इस ‘कला संकुल’ के माध्यम से होगा। हमारा ध्येय है कि देश में शांति, आनंद, परिश्रम और भक्ति का माहौल बने। हमारा यह गतिविधि केंद्र कला एवं कला साधकों को साथ लेकर राष्ट्र निर्माण में जुटेगा।

ऑनलाइन माध्यम से जुड़े संस्कार भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष वासुदेव कामत ने कहा कि स्थापना से आज तक संस्कार भारती का कोई केंद्रीय कार्यालय नहीं था। ऐसी स्थिति में कार्यकर्ता और कला साधक जहां कार्यरत थे, वही स्थान कार्यालय बन जाता था। कार्यक्रम की अध्यक्षता फिल्म अभिनेता व राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के अध्यक्ष परेश रावल ने ऑनलाइन माध्यम से की। भागवत व संघ के नए सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने दीप प्रज्ज्वलन कर इसका उद्घाटन किया।

कलाकारों ने प्रस्तुत किया रागदेश

इस अवसर पर लोक गायिका मालिनी अवस्थी, भजन गायक अनूप जलोटा के अलावा अनवर आली खान, सुगंधा शर्मा, वसीफुद्दीन डागर, पंडित धर्मनाथ मिश्र और पंडित रामकुमार मिश्र समेत अन्य कलाकारों ने मनमोहक ‘रागदेश’ प्रस्तुत किया। समारोह में संस्कार भारती की चार दशक की यात्र और कला संगम की संपूर्ण कल्पना पर आधारित एक संक्षिप्त वृत्तचित्र प्रस्तुत किया गया व एक स्मारिका का विमोचन किया गया। उद्घाटन के साथ ही इस कला संकुल में शनिवार से एक कला प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है, जो राममंदिर पर आधारित है।

इस मौके पर केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर, केंद्रीय युवा एवं खेल राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) किरण रिजिजू, संघ के पूर्व सरकार्यवाह भैय्या जी जोशी, सह सरकार्यवाह डा. मनमोहन वैद्य व अरुण कुमार, संघ के अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख रामलाल, वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार व प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक जे. नंदकुमार उपस्थित रहे।


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