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दिल्ली-NCR के बॉर्डर पर बैठे किसानों को मोदी सरकार ने दी 2 बड़ी राहत, क्या आंदोलन स्थगित होगा

Kisan Agitation Delhi-NCR दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलनरत किसानों को बड़ी राहत देते हुए केंद्र सरकार ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग का पुनर्गठन कर इस आशय की नई अधिसूचना से उक्त दोनों ही प्रविधान हटा लिए हैं।

By Jp YadavEdited By: Published: Tue, 27 Apr 2021 09:59 AM (IST)Updated: Tue, 27 Apr 2021 10:13 AM (IST)
दिल्ली-NCR के बॉर्डर पर बैठे किसानों को मोदी सरकार ने दी 2 बड़ी राहत, क्या आंदोलन स्थगित होगा
केंद्र सरकार ने यूपी, हरियाणा और पंजाब के साथ राजस्थान के किसानों को भी एक बड़ी राहत प्रदान की है।

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को पूरी तरह से वापस लेने की मांग को लेकर दिल्ली-एनसीआर के बॉर्डर पर पिछले तकरीबन 5 महीने से किसान प्रदर्शनकारी डटे हुए हैं। उनकी जिद है कि तीनों कृषि कानून पूरी तरह से वापस लिए जाएं। आलम यह है कि कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन के बावजूद किसान गाजीपुर, टीकरी और सिंघु बॉर्डर पर जमा हैं। इस बीच केंद्र सरकार ने यूपी, हरियाणा और पंजाब के साथ-साथ राजस्थान के किसानों को भी एक बड़ी राहत प्रदान की है। इसके तहत पराली जलाकर दिल्ली-एनसीआर की हवा प्रदूषित करने वाले इन चार राज्यों के किसानों को अब जेल नहीं होगी। किसान आंदोलन के मद्देनजर इसे बड़े फैसले के रूप में देखा जा रहा है। 

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किसान संगठन स्थगित करेंगे प्रदर्शन

दरअसल, केंद्र में सत्तासीन नरेंद्र मोदी सरकार ने किसानों के हितों को देखते हुए पराली जलाने पर एक करोड़ रुपये तक के मोटे जुर्माने का प्रविधान भी समाप्त कर दिया गया है। दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलनरत किसानों को बड़ी राहत देते हुए केंद्र सरकार ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग का पुनर्गठन कर इस आशय की नई अधिसूचना से उक्त दोनों ही प्रविधान हटा लिए हैं। इसके अलावा आयाेग में एक सदस्य कृषि क्षेत्र से भी शामिल किया जा रहा है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि गाजीपुर, टीकरी और यूपी गेट पर बैठे किसान क्या आंदोलन समाप्त करने और खत्म करने के बारे में विचार कर सकते हैं। स्थानीय लोगों के साथ  बुद्धिजीवी वर्ग, सामाजिक संगठन भी किसान संगठनों से लगातार अपील करते आ रहे हैं कि किसान अपना आंदोलन कोरोना के मद्देनजर स्थगित कर दें।

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किसानों को दी गई है कई और बड़ी राहत

इससे पहले जब अक्टूबर 2020 में 18 सदस्यीय आयोग का गठन हुआ था तो आयोग को पराली जलाने वाले किसानों पर सख्त से सख्त कार्रवाई करने के अधिकार दिए गए थे। इनमें दोषी किसानों पर एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाने और पांच साल तक के लिए जेल भेजने का प्रविधान भी था।

कुछ और मांगें भी स्वीकारीं

कृषि कानून विरोधी आंदोलनकारियों की मांगों में एक मांग यह प्रविधान हटाने की भी थी। पिछले दिनों जब केंद्र सरकार और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच विज्ञान भवन में बैठक हुई, तब भी इस मांग पर प्रमुखता से जोर दिया गया था। इसी के मददेनजर केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों में संशोधन से जुड़ी अन्य मांगों के साथ किसानों की इस मांग को भी स्वीकार कर लिया है।

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बिना मांगें माने प्रदर्शन नहीं होगा खत्म

गौरतलब है कि दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर केंद्र सरकार के तीनों नए केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले साढ़े चार महीने से भी अधिक समय से हजारों की संख्या में किसान आंदोलन कर रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत लगातार कह रहे हैं कि बिना मांगें पूरी कराए प्रदर्शनकारी यहां से नहीं उठेंगे। उन्होंने तो यहां तक कहा है कि किसान मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के बचे साढ़े तीन साल तक दिल्ली की सीमाओं पर बैठे रहने को तैयार हैं।

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किसानों के विरोध को कुचल नहीं सकते

राकेश टिकैत का कहना है कि किसी भी तरह से इस विरोध को कुचल नहीं सकते। यह तब तक जारी रहेगा जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होतीं। इस सरकार का कार्यकाल साढ़े तीन साल का है, और हम उसके कार्यकाल के अंत तक आंदोलन जारी रख सकते हैं।

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धरना खत्म करने की साजिश रच रही है सरकार

यूपी बॉर्डर पर मौजूद राकेश टिकैत ने अपने ताजा बयान में कहा है कि तीनों कृषि कानूनों के वापस होने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनने के बाद ही आंदोलन खत्म होगा। राकेश टिकैत सोमवार को यूपी गेट धरना स्थल पर मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि सरकार कोरोना की आड़ में आंदोलन को खत्म करने की साजिश रच रही है, लेकिन ऐसा होने नहीं दिया जाएगा।

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संयुक्त किसान मोर्चा के कुछ बड़े नेता कई बार कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर नरमी दिखा चुके हैं। संयुक्त किसान मोर्चा के अग्रणी नेता डॉ. दर्शनपाल का कहना है कि कोरोना वायरस संक्रमण बड़ी चिंता है, लेकिन आंदोलन को स्थगित करने की बात पर वह कुछ भी स्पष्ट नहीं बोलते हैं।

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पिछले दिनों हरियाणा के सीएम मनोहर लाल ने भी दिल्ली की सीमाओं पर करीब पांच महीने से केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हजारों किसानों से अपील की थी कि कोरोन वायरस संक्रमण के मामलों में अचानक वृद्धि के कारण विरोध प्रदर्शन को स्थगित कर दें। इसके साथ ही सीएम मनोहर लाल ने किसानों के स्वास्थ्य और भलाई के बारे में चिंता जताते हुए अनुरोध किया था कि देश और राज्य में मामलों की बढ़ती संख्या के कारण हमें कड़ी सावधानी बरतनी चाहिए।

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कोविड-19 मामलों और इसके टीकाकरण की समीक्षा के लिए एक बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा था कि विरोध करना हर व्यक्ति का संवैधानिक अधिकार है। हमें विरोध करने वालों से कोई दिक्कत नहीं है। साथ ही कहा था कि इस समय कोविड-19 के कारण उनका जीवन खतरे में पड़ सकता है। यह विरोध करने का सही समय नहीं है। मुख्यमंत्री ने किसानों से अपील की थी कि वे मानवीय आधार पर अपना आंदोलन वापस लें। अगर उन्हें अपनी किसी भी मांग के लिए विरोध प्रदर्शन करना है, तो स्थिति में सुधार होने पर वे ऐसा कर सकते हैं।

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