कोरोना से जूझ रहे लाखों व्यापारियों को आयकर में राहत की आस, जानिए क्या हैं इनकी मांगें
महापंचायत में सीटीआइ महासचिव विष्णु भार्गव ने कहा कि बुजुर्ग करदाताओं को उनके टैक्स के आधार पर लाभ मिलना चाहिए। उन्हें सामाजिक सुरक्षा और सेवानिवृति लाभ मिले। इसी तरह तिमाही टीडीएस रिटर्न को खत्म कर सभी जानकारी टीडीएस चालान के साथ ही ले ली जाए।
नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। आम बजट से दिल्ली के व्यापारियों को राहत की आस है। दो वर्ष से कोरोना और उसके चलते बंदी जैसी हालात से जूझते व्यापारी चाहते हैं कि उन्हें आयकर में राहत मिले। बजट को लेकर चैंबर आफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआइ) ने शनिवार को दिल्ली के कारोबारियों की महापंचायत बुलाई। इंटरनेट माध्यम से हुई इस महापंचायत में दिल्ली की 100 बड़ी व्यापारिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
इस संबंध में सीटीआइ के चेयरमैन बृजेश गोयल ने बताया कि एक फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में बजट पेश करेंगी। इसी पर दिल्ली के व्यापारियों से विचार विमर्श किया गया। सीटीआइ अध्यक्ष सुभाष खंडेलवाल ने कहा कि कोरोना महामारी के दौर में तमाम सेक्टर को सरकार से राहत की दरकार है, किस क्षेत्र में कितना नुकसान हुआ है, उन्हें सरकार से किस तरह की मदद चाहिए , इन्हीं तमाम विषयों पर चर्चा हुई और उनके सुझावों को उन्हें भेजा गया है।
बृजेश गोयल ने बताया कि पांच प्रतिशत और 20 प्रतिशत के बीच 10 प्रतिशत का टैक्स स्लैब वापस लाया जाए। 10 लाख तक अधिकतम 10 प्रतिशत और उसके बाद कॉर्पोरेट टैक्स की तरह अधिकतम 25 प्रतिशत टैक्स होना चाहिए।
महापंचायत में सीटीआइ महासचिव विष्णु भार्गव ने कहा कि बुजुर्ग करदाताओं को उनके टैक्स के आधार पर लाभ मिलना चाहिए। उन्हें सामाजिक सुरक्षा और सेवानिवृति लाभ मिले। इसी तरह तिमाही टीडीएस रिटर्न को खत्म कर सभी जानकारी टीडीएस चालान के साथ ही ले ली जाए।
इसी तरह व्यापारी की मृत्यु होने पर आइटीआर फाइल करने की समय सीमा में छूट दी जाए। सीटीआइ महासचिव रमेश आहूजा ने कहा कि कोरोना काल में कई मामले सामने आए, जहां करदाताओं का निधन हो जाने पर समय से पूरे दस्तावेज और लेन-देन का रिकार्ड उपलब्ध न होने पर उनकी आइटीआर फाइल नहीं हो पाई। इसी तरह नकद लेन-देन की सीमा कई वर्षों से नहीं बढ़ी। पांच साल पहले डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए नकद भुगतान की सीमा 20 हजार से घटाकर 10 हजार रुपये कर दी गई।
सुगम व्यापार के लिए नकद भुगतान की पुरानी सीमा बहाल की जाए। दिल्ली हिंदुस्तानी मर्केंटाइल एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्रीभगवान बंसल ने कहा कि सात साल से आयकर छूट की सीमा नहीं बढ़ाई गई। पांच लाख रुपये तक की आय वालों को कर नहीं देना पड़ता, लेकिन बीते सात साल से छूट की सीमा 2.5 लाख रुपये ही बनी हुई है। इसकी वजह से टैक्स नहीं लगने के बावजूद पांच लाख की आयवालों को भी रिटर्न जमा करानी पड़ती है। इसीलिए आयकर छूट की सीमा बढ़ाकर 10 लाख रुपये की जानी चाहिए।