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मौसम विज्ञानियों ने खोले रहस्य, आखिर दिल्ली-एनसीआर में क्यों पड़ रही है 'अनोखी सर्दी'

Delhi Cold Weather18 दिनों से बादलों ने दिल्ली में डेरा डाला हुआ है जिससे न सूरज निकल पा रहा है और न ही धूप खिल पा रही है। जनवरी में बारिश 122 साल का रिकार्ड तोड़ चुकी है तो दिसंबर-जनवरी में कोहरा पिछले 30 सालों में सबसे कम पड़ा है।

By Jp YadavEdited By: Published: Wed, 26 Jan 2022 08:04 AM (IST)Updated: Wed, 26 Jan 2022 10:18 AM (IST)
मौसम विज्ञानियों ने खोले रहस्य, आखिर दिल्ली-एनसीआर में क्यों पड़ रही है 'अनोखी सर्दी'
Cold Weather in Delhi: मौसम विज्ञानियों ने खोले रहस्य, आखिर दिल्ली-एनसीआर में क्यों पड़ रही है 'अनोखी सर्दी'

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। पढ़ने या सुनने में थोड़ी हैरानी भले ही हो, लेकिन सच यही है कि इस साल सात जनवरी में दिल्ली में अनोखी सर्दी पड़ रही है। 18 दिनों से बादलों ने राजधानी दिल्ली में ऐसा डेरा डाला हुआ है कि न सूरज निकल पा रहा है और न ही धूप खिल पा रही है। जनवरी में बारिश 122 साल का रिकार्ड तोड़ चुकी है तो इस बार दिसंबर-जनवरी में कोहरा पिछले 30 सालों में सबसे कम पड़ा है। 1991-92 के बाद इस बार कोहरे के दिन और घंटे दोनों ही सबसे कम दर्ज हुए हैं। विशेषज्ञों ने इस स्थिति के लिए मौसमी परिस्थितियों को मुख्य कारक बताया है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक दिसंबर-जनवरी में औसतन 52 दिन 570 घंटे का कोहरा पड़ता है। लेकिन इस बार 25 जनवरी तक 45 दिन 252 घंटे ही कोहरा पड़ा। इससे पहले 1991-92 में यह 44 दिन 255 घंटे रहा था। हालांकि माह के छह दिन अभी बचे हुए हैं, लेकिन मौसम विभाग का कहना है कि अब ज्यादा कोहरा पड़ने की कोई संभावना नहीं दिख रही है।

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मौसम विज्ञानियों की कहना है कि अब अगर दिसंबर और जनवरी के कोहरे पर अलग अलग बात करें तो इस बार दिसंबर में 22 दिन 75 घंटे 1000 मीटर से कम ²श्यता वाला कोहरा पड़ा। जबकि माह औसत कोहरा 26 दिन 278 घंटे का होता है। दिसंबर का कोहरा 1982 के बाद यानी 40 सालों में सबसे कम है। तब 14 दिन 75 घंटे का कोहरा रहा था। इसी तरह इस साल जनवरी में 25 तारीख तक 252 घंटे कोहरा पड़ा जबकि इसका औसत स्तर 290 घंटे है। यह सन 2008 के बाद यानी 14 सालों में सबसे कम है।

गर्मियों के दिन बढ़े और सर्दियों के घटे

मौसम विज्ञानियों के अनुसार जलवायु परिवर्तन के चलते साल दर साल एक्सट्रीम वेदर इवेंटस यानी चरम मौसमी घटनाएं बढ़ रही हैं, जबकि सामान्य घट रही हैं। बारिश के दिन घट गए हैं तो शीत लहर के दिन भी कम हुए हैं। जून की बजाय अब बारिश जुलाई से शुरू होती है और सितंबर के बजाय अक्टूबर तक चलती है। गर्मियों के दिन भी बढ़े हैं जबकि सर्दियों के घटे हैं।

फरवरी में कोहरे और बारिश को लेकर सस्पेंस

वरिष्ठ मौसम विज्ञानी आर के जेनामणि की मानें तो इस बार दिसंबर में बारिश ज्यादा नहीं हुई। हवा चलती रही और नमी की मात्रा भी वातावरण में ज्यादा नहीं रही। लिहाजा कोहरा भी ज्यादा नहीं पड़ा। जनवरी में बारिश हुई तो थोड़ा कोहरा भी पड़ा। फरवरी के विषय में अभी ज्यादा कुछ कहा नहीं जा सकता। 

जलवायु परिवर्तन की वजह से हो रहे हैं ये बदलाव

वहीं, महेश पलावत (उपाध्यक्ष, मौसम विज्ञान एवं जलवायु परिवर्तन, स्काईमेट वेदर) का कहना है कि कोहरा तभी पड़ता है, जब बारिश हो और वातावरण में नमी भी बढ़े। बारिश के लिए पश्चिमी विक्षोभ आना जरूरी है। दिसंबर में पश्चिमी विक्षोभ ज्यादा नहीं आए। जनवरी में कई आए तो थोड़ा कोहरा भी पड़ा। इन सब स्थितियों के पीछे जलवायु परिवर्तन का भी असर तो देखा ही जा रहा है। 

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