डॉक्टरों में मानिसक परेशानी बढ़ी, इस तरफ ध्यान दिए जाने की जरूरत
Doctors Day एम्स के निदेशक डॉ.रणदीप गुलेरिया ने कहा कि डाक्टरों को अपनी प्रतिष्ठा वापस पाने के लिए समाज का मार्गदर्शक व लोगों के लिए रोल माडल बनना पड़ेगा। कोरोना से बचाव के नियमों के पालन व टीकाकरण से संक्रमण को रोकना संभव है।
नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। डॉक्टर्स दिवस के मद्देनजर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) द्वारा आयोजित कार्यक्रम में देश भर में कोरोना से शहीद हुए करीब 1500 डाक्टरों को श्रद्धांजलि दी गई। साथ ही कोरोना के इलाज में डाक्टरों द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की गई। इस कार्यक्रम को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पाल, एम्स के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया सहित कई डाक्टरों ने संबंधित किया। इस दौरान डा. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि डाक्टरों को अपनी प्रतिष्ठा वापस पाने के लिए समाज का मार्गदर्शक व लोगों के लिए रोल माडल बनना पड़ेगा। कोरोना से बचाव के नियमों के पालन व टीकाकरण से संक्रमण को रोकना संभव है। इसके लिए लोगों को जागरूक करने में डाक्टरों की अहम भूमिका हो सकती है। दरअसल, डॉक्टरों में मानिसक परेशानी बढ़ी है। इस तरफ ध्यान दिए जाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि पिछले एक साल में स्वास्थ्य का मुद्दा चर्चा के केंद्र में रहा। इससे यह बात भी समझ में आई कि जब तक देश स्वस्थ नहीं होगा तक आर्थिक गतिविधियां व पर्यटन भी बेहतर नहीं हो सकता है। इस महामारी ने यह महसूस कराया कि हमने चिकित्सा के पेशे का चयन क्यों किया? शुरुआत में कोरोना जैसी बीमारियों के इलाज में कई डाक्टरों की विशेषज्ञता नहीं थी। फिर भी जरूरत पड़ने पर डाक्टरों ने कोरोना मरीजों के इलाज से इंकार नहीं किया। देश के लोगों को सुरक्षित रखने के लिए अपनी और अपने परिवार के लोगों की जिंदगी को जोखिम में डालकर मरीजों का इलाज किया।
उन्होंने कहा कि डॉक्टरों को रोल मॉडल होना चाहिए और समाज में खोई प्रतिष्ठा वापस पाने का प्रयास करना चाहिए। उनका इशारा हाल के वर्षों में चिकित्सा के पेशे को लेकर उठाए जाने वाले कई तरह के सवालों को लेकर था। उन्होंने कहा कि दशकों तक डाक्टर समाज के लिए मार्ग दर्शक व दोस्त की तरह होते थे। उसे वापस लाना होगा ताकि लोग डाक्टर को उनका जख्म भरने वाला समझें। कोरोना से बचाव के नियमों के पालन व टीकाकरण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए भी डाक्टर रोल मॉडल बन सकते हैं। इसके अलावा देश की जरूरतों के अनुसार संक्रामक बीमारियों व गैर संचारी बीमारियों की रोकथाम व योग के संदर्भ में शोध को बढ़ावा देना होगा। अमेरिका में हुई सीटी स्कैन जांच की रिपोर्ट जब यहां बैठकर देखा जा सकता है तो गांवों के मरीजों को महानगरों के बड़े अस्पतालों के डाक्टर टेलीकंसल्टेशन के जरिये रिपोर्ट देखकर चिकित्सकीय सलाह क्यों नहीं दे सकते। इस दिशा में कदम बढ़ाना होगा। उन्होंने कहा कि कोरोना के दौर में जूनियर डाक्टरों व रेजिडेंट डाक्टरों को लंबे समय तक काम करना पड़ा है। इससे डॉक्टरों में मानिसक परेशानी बढ़ी है। इस तरफ ध्यान दिए जाने की जरूरत है।