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कलम की ताकत से नक्सलवाद के अनछुए पहलुओं को सामने ला रहे कमांडेंट राकेश, केंद्रीय मंत्री भी कर चुके हैं तारीफ

आरएएफ बटालियन में बतौर कमांडेंट तैनात राकेश कुमार सिंह हथियार के साथ-साथ कलम पर भी हाथ आजमा रहे हैं। वह पिछले 27 वर्ष से उग्रवाद और दंगा प्रभावित क्षेत्रों में कानून व्यवस्था को संभालने के दौरान मिले अनुभवों को अब तक पांच किताबों के जरिए कलमबद्ध कर चुके हैं।

By Mangal YadavEdited By: Published: Sun, 24 Oct 2021 12:27 PM (IST)Updated: Sun, 24 Oct 2021 12:34 PM (IST)
कलम की ताकत से नक्सलवाद के अनछुए पहलुओं को सामने ला रहे कमांडेंट राकेश, केंद्रीय मंत्री भी कर चुके हैं तारीफ
कलम की ताकत से नक्सलवाद के अनछुए पहलुओं को सामने ला रहे कमांडेंट

नई दिल्ली [सोनू राणा]। बवाना स्थित सीआरपीएफ कैंप की 194 आरएएफ बटालियन में बतौर कमांडेंट तैनात राकेश कुमार सिंह हथियार के साथ-साथ कलम पर भी हाथ आजमा रहे हैं। वह पिछले 27 वर्ष से उग्रवाद और दंगा प्रभावित क्षेत्रों में कानून व्यवस्था को संभालने के दौरान मिले अनुभवों को अब तक पांच किताबों के जरिए कलमबद्ध कर चुके हैं। हाल में ही उन्होंने छत्तीसगढ़ के बस्तर के जंगलों में नक्सलियों द्वारा बिछाए गए बारूदों के ढेर पर गुलाब उगाने के प्रयास के रूप में ‘कलर्स आफ रेड’ को उपन्यास का रूप दिया है। जिसका विमोचन बीते दिनों कानून व न्याय मंत्री किरण रिजिजू ने किया और कमांडेट राकेश कुमार की सराहना भी की।

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मूल रूप से बिहार के दरभंगा जिले की पावन नगरी कुशेश्वरस्थान के रहने वाले राकेश कुमार सिंह ने उग्रवाद व नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्रों के उन अनछुए पहलुओं को सामने लाया है जो अब तक पर्दे में ही रहे थे। उनका मकसद देश की शांति व्यवस्था को भंग करने वालों की जड़ों पर प्रहार करना है, ताकि उग्रवाद व नक्सलवाद की आड़ में भटके युवाओं को समाज की मुख्यधारा में लाया जा सके।

कश्मीर, छत्तीसगढ़, मणिपुर समेत उत्तर-पश्चिमी राज्यों में जहां भी उनकी पोस्टिंग होती है वह पुलिस के दृष्टिकोण से वहां की स्थिति का सही तरीके से आंकलन कर उसे उपन्यास का रूप देते हैं। राकेश कुमार सिंह ने कहा, ‘आतंक के खात्मे व नक्सलियों की सच्चाई सबके सामने लाने के लिए हमारा कलम उठाना जरूरी है। क्योंकि अगर हमने कलम नहीं उठाई तो सिर्फ नक्सलियों की ही बात कही जाएगी और उनकी ही बातों को सच माना जाएगा।’

लिख चुके हैं पांच किताब

राकेश कुमार अब तक पांच किताबें व 150 से ज्यादा लेख लिख चुके हैं।इनमें पुलिस ट्रेनिंग व नक्सलवाद की उन परतों को सामने लाया गया है, जिनके बारे में ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं है। सबसे पहले वर्ष 2012 में नक्सलवाद: अनकहा सच, वर्ष 2015 में बियोंड दा बैटन, वर्ष 2017 में एक घूंट चांदनी, वर्ष 2020 में नक्सलवाद व पुलिस की भूमिका और 2021 में कलर्स आफ रेड उपन्यास लिखा।

इनमें से दो उपन्यास (नक्सलवाद: अनकहा सच, नक्सलवाद व पुलिस की भूमिका) को गोविंद बल्लभ पंत पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्होंने बताया कि उनके पिता भी मैथली कवि थे व अब उनकी बेटी ने भी एक किताब लिखी है।

बेहद खूबसूरत जगह है बस्तर

कमांडेंट राकेश कुमार सिंह ने बताया कि वह छह वर्ष छत्तीसगढ़ व तीन वर्ष बस्तर में ही रहे हैं।इस दौरान उन्होंने क्षेत्र का बारीकी से मुआयना किया। सभी पहलुओं की जांच की व उसके बाद सभी पहलुओं को उन्होंने लोगों के सामने रखा है। कमांडेंट राकेश कुमार सिंह ने कहा, ‘बस्तर बेहत खूबसूरत जगह है। वहां पर सिर्फ प्यार ही पनपता है, बस आपको खोजने की आवश्यकता है।’ उन्होंने कहा कि वहां पर नदी, पहाड़, झरने तो आपको शांति देते ही हैं, साथ ही हवा भी इतनी साफ है कि आपको थकान महसूस ही नहीं होगी।


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