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World Cancer Day 2021: आखिरी स्टेज में कैंसर को मात देकर लोगों का हौंसला बढ़ा रहीं दीपिका

World Cancer Day 2021 दीपिका ने भी मन में यह ठान लिया था कि हार नहीं मानूंगी। उनके पिता की मौत भी कैंसर से हुई थी। आखिरकार परिवार से मिले हौसले ने सब ठीक कर दिया और जिंदगी के चार डरावने साल निकल गए।

By Mangal YadavEdited By: Published: Wed, 03 Feb 2021 05:04 PM (IST)Updated: Wed, 03 Feb 2021 05:34 PM (IST)
World Cancer Day 2021: आखिरी स्टेज में कैंसर को मात देकर लोगों का हौंसला बढ़ा रहीं दीपिका
डाइटिशियन दीपिका भाटिया की फाइल फोटोः सौ. स्वंय

नई दिल्ली [शिप्रा सुमन]। जीवन सरल नहीं होता लेकिन जीवन चलने का नाम है, रुकना नहीं है। हर कदम पर कुछ नया सीखना और चुनौतियों का डटकर सामना करने का हौसला भी इसी जीवन से मिलता है। कैंसर से जीतकर दूसरों को प्रेरणा देने वाली डा. दीपिका भाटिया भी यही मानती हैं मन में सकारात्मकता का भाव होना जरूरी है। इससे कठिनाईयों से लड़ने के लिए साहस प्राप्त होता है। अपनी संकल्प शक्ति और अपनों के साथ कैंसर जैसी बीमारी को हराकर उन्होंने लोगों को भी इस बीमारी के प्रति जागरूक करने का बीड़ा उठाया।

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बतौर डाइटिशियन दीपिका आज सैकड़ों लोगों को कैंसर से जुड़ी बातों की जानकारी दे रही हैं। साथ ही उन्हें यह भी समझाने का प्रयास कर रही हैं एक बेहतर दिनचर्या और अच्छे खान-पान से हर प्रकार की बीमारी को दूर भगाया जा सकता हैं।

2015 में जीवन में कैंसर की दस्तक

दीपिका ने बताया कि वर्ष 2015 में उन्हें कैंसर के होने का पता चला और पता तब चला जब वह आखिरी स्टेज पर पहुंच गया। इससे पहले ही उन्हें पेट में दर्द और उल्टियां हो रही थी। टेस्ट में इनकी कोई वजह पता नहीं लग पाई। दो वर्ष ऐसे ही निकलने के बाद जब एक दिन हालत बहुत बिगड़ने लगी तो कई जांचों के बाद डाक्टर ने बताया कि पेट में 28 ट्यूमर पनप रहे थे जो पूरी बड़ी आंत को लगभग खत्म कर चुके थे। सभी इस बात को लेकर आश्चर्यचकित थे कि इतनी बड़ी बीमारी दो सालों तक सामने क्यों नहीं आ रही थी। 7-8 घंटे की सर्जरी की गई जो सफल रही लेकिन हालात अब भी ठीक नहीं थे।

मन की संकल्प शक्ति ने दिया शरीर को बल

दीपिका ने बताया कि सर्जरी के बाद कीमोथेरेपी करवाना बहुत पीड़ादायक था। डाक्टर का कहना था सर्जरी के बाद भी जीवन बचने की उम्मीद केवल 30 फीसद ही है लेकिन मन की मजबूती से सफलता पाई जा सकती है। इसलिए भयानक दर्द सहते हुए दीपिका ने भी मन में यह ठान लिया था कि हार नहीं मानूंगी। उनके पिता की मौत भी कैंसर से हुई थी। आखिरकार परिवार से मिले हौसले ने सब ठीक कर दिया और जिंदगी के चार डरावने साल निकल गए।

डाक्टर बनने का सपना

बतौर मेधावी छात्रा दीपिका छात्र जीवन से डाक्टर बनने का सपना देखती थी। पिता भी डाक्टर थे, जिनसे प्रेरणा मिली। उनके सानिध्य में बेहतर खान-पान से जुड़ी जानकारी थी। इसलिए इसी क्षेत्र में पढ़ाई कर डायटिशियन का कोर्स कर डाक्टर बन गई।

मन की मजबूती

नियमित योग, मन में सकारात्मक भाव, उचित आहार और परिवार के लिए उठने की शक्ति के साथ दीपिका ने इस भंवर को पार किया। उन्होंने बताया कि ठीक होने के बाद स्वयं भी इसपर विचार किया कि गलतियां कहां हुई जिससे बीमारी को पनपने का मौके मिला। इस बीच एक दुर्घटना में दायां हाथ टूट गया लेकिन फिर से उठकर उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की।

लोगों को किया जागरूक

प्रयास नामक संस्था की शुरुआत कर दीपिका ने लोगों को बताया कि कैंसर से बचने के लिए जरूरी सावधानियां क्या हैं। ब्लड कैंसर, ह्रदय की बीमारी, किडनी, मोटापा को दूर करने के लिए उन्हें उचित आहार की जानकारी देकर दिनचर्या को बेहतर बनाने के लिए भी प्रेरित किया। क्योंकि उचित आहार बेहद जरूरी है। कालेज, सामाजिक संस्थाओं समेत सार्वजनिक स्थानों पर जागरुकता शिविर भी लगाया।

पुरस्कार

- नारी शक्ति सम्मान अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार (कैंसर जागरुकता के लिए) 2018

- इंडियन लीजेंड अवॉर्ड (मेजर जनरल गगन दीप बख्शी द्वारा व अभिनेता विवेक ओबेराय द्वारा) 2019

- राजा हरि सिंह सम्मान (जम्मू) 2019

- वूमन एचीवर अवार्ड (कैंसर जागरुकता के लिए) 2018

- कैंसर वॉरियर चैंपियनशिप अवार्ड (अभिनेता राजीव खंडेलवाल द्वारा) 2019

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