लाइफस्टाइल: बदल रही है घरों की तस्वीर, मेडिटेशन स्पेस को मिल रहा है खास स्थान
घरों के आकार के आधार पर इंटीरियर विशेषज्ञ मेडिटेशन स्पेस बना रहे हैं। इसमें घर के गार्डन एरिया से लेकर टैरेस या फिर एक पूरे कमरे को मेडिटेशन स्पेश की शक्ल दी जाती है।
गुरुग्राम [प्रियंका दुबे मेहता]। स्वास्थ्य जागरूकता का प्रभाव लाइफस्टाइल के हर पहलू को प्रभावित करने लगा है। इसकी छाप अब घरों के इंटीरियर पर भी दिखने लगी है। कुछ समय पहले तक घरों में जिम बनाने का ट्रेंड आया तो लोगों ने जबरदस्त अंधानुकरण करते हुए इसके लिए एक रूम या कॉर्नर बनाया लेकिन इसका खास लाभ न देखते हुए यह ट्रेंड धीरे धीरे खत्म होने लगा। अब नया ट्रेंड आया है 'मेडिटेशन स्पेस' बनाने का। इसमें लोग घरों में एक ऐसा कोना बना रहे हैं, जिसमें सुकूनदायक इंटीरियर के साथ खूबसूरत व 'सूदिंग' स्पेस को जगह दी जा रही है।
ऐसे बन रहे हैं मेडिटेशन स्पेस
घरों के आकार के आधार पर इंटीरियर विशेषज्ञ मेडिटेशन स्पेस बना रहे हैं। इसमें घर के गार्डन एरिया से लेकर टैरेस या फिर एक पूरे कमरे को मेडिटेशन स्पेश की शक्ल दी जाती है। इंटीरियर डिजाइनर मोना कपूर का कहना है कि इसमें रंग और वातावरण का विशेष ध्यान रखा जाता है। हल्के हरे व सफेद रंग की दीवारों पर मेडिटेशन के लिए किसी तरह की एक पेंटिंग और आवश्यक सामान ही रखा जाता है ताकि मेडिटेशन के दौरान किसी तरह से एकाग्रता भंग न हो। इंटीरियर विशेषज्ञ के मुताबिक ज्यादातर लोग इस कोने को गार्डन एरिया के पास के कमरे में बना रहे हैं। प्रकृति के करीब व सबसे कम डिस्ट्रैक्शन वाले इस एरिया में आराम से घंटों मेडिटेट किया जा सकता है।
क्यों पड़ी आवश्यकता
आर्किटेक्ट मनु गुप्ता के मुताबिक घरों में स्टडी रूम से लेकर ड्रॉइंग रूम तक को अत्याधुनिक चीजों से सजाया जाता है। इन कमरों में लोगों का आना जाना बना रहता है। ऐसे में ध्यान लगाया जाना संभव नहीं हैं। मनोचिकित्सक विचित्रा दर्गन का कहना है कि घर में एक कोना ऐसा रखा जाना चाहिए जहां कि सुकून के कुछ पल अपने आप की खोज में बिताए जा सकें। यह आज के दौर के तनाव व अवसाद से बचने का बेहतर तरीका हो सकता है।
बदल रही है मांग
इंटीरियर डिजाइनर तान्या कहती हैं कि बदलते वक्त में घर से लेकर बाहर तक इतनी चमक दमक है कि लोगों को सुकून की जगह ही नहीं मिल पाती। इन दिनों लोग मेडिटेशन को तेजी से अपना रहे हैं। ऐसे में अब इंटीरियर में भी इसी तरह की मांग कर रहे हैं। हम घर के एक हिस्से में आवश्यक फर्नीचर या मैट लगाकर शांत रंगों से बनी पेंटिंग आदि से मेडिटेशन स्पेस बना रहे हैं।
प्राकृतिक रोशनी को न रोकें
वास्तु विशेषज्ञ ऋषभ का कहना है कि प्राकृतिक टच देने के लिए कुछ पौधों का भी सहारा लिया जाता है। घरों में इस तरह के कोने बनाए जाने की जरूरत थी। अब लोग इसके प्रति जागरूक हुए हैं। ऐसे में इंटीरियर डिजाइनर्स को हम सलाह देते हैं कि घर के नॉर्थ ईस्ट हिस्से यानी कि वायव्य कोण पर ही इस तरह का स्पेस बनाया जाना चाहिए। इस हिस्से में सफेद व हल्के रंगों का समावेश होना चाहिए। जिसमें प्राकृतिक रोशनी आ सके। गहरे रंगों व भारी फर्नीचर इस हिस्से में बिलकुल नहीं रखा जाना चाहिए।