Covid-19: मेडिकल वेस्ट के प्रबंधन को लेकर लापरवाही कहीं बढ़ा न दे संक्रमण का खतरा, रहें सावधान
पश्चिमी दिल्ली में चिकित्सा अपशिष्ट के प्रबंधन को लेकर स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही देखने को मिल रही है। जांच के बाद चिकित्सा अपशिष्ट का प्रबंधन ठीक से हो रहा है या नहीं इस दिशा में न प्रशासन का ध्यान है और न ही स्वास्थ्य विभाग का।
नई दिल्ली [मनीषा गर्ग]। कोरोना संक्रमण पर रोकथाम के तमाम उपायों में कूड़ा प्रबंधन भी एक महत्वपूर्ण उपाय है। विशेषकर चिकित्सा अपशिष्ट का प्रबंधन पर्यावरण व स्वास्थ्य दोनों ही लिहाज से और भी अधिक जरूरी है। पर जमीनी स्तर की बात करें तो पश्चिमी दिल्ली में चिकित्सा अपशिष्ट के प्रबंधन को लेकर स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही देखने को मिलती है। असल में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने के साथ ही कोरोना जांच का दायरा भी बढ़ा दिया गया है। जगह-जगह टैंट लगाकर सड़क किनारे, मेट्रो स्टेशन, बस डिपो आदि स्थानों पर लोगों की कोराेना जांच हो रही है। पर जांच के बाद चिकित्सा अपशिष्ट का प्रबंधन ठीक से हो रहा है या नहीं इस दिशा में न प्रशासन का ध्यान है और न ही स्वास्थ्य विभाग का।
बीते दो सप्ताह से नियमित रूप से उत्तम नगर ईस्ट मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर-1 के सामने कोरोना जांच शिविर का आयोजन किया जा रहा है। सोमवार को जांच के बाद स्वास्थ्य कर्मचारी पीपीई किट और दस्ताने को शिविर के अंदर खुले में छोड़कर चलते बने। न सिर्फ चिकित्सा अपशिष्ट बल्कि साधारण कूड़ा जिसमें आरटी-पीसीआर जांच किट के प्लास्टिक के पैकेट शामिल है, को भी खुले में छाेड़ दिया।
ऐसा नहीं है कि स्वास्थ्य कर्मचारियों को चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन की जानकारी नहीं होगी या उन्हें अपशिष्ट रखने के लिए पालीथिन मुहैया नहीं कराई गई होगी। क्योंकि अपशिष्ट के पास चिकित्सा अपशिष्ट को रखने वाली लाल रंग की पालीथिन भी पड़ी थी। आश्चर्य की बात यह है कि अगले दिन दोपहर तक भी न निगम कर्मचारियों और न स्वास्थ्य विभाग ने शिविर की सुध ली।
इस तरह की लापरवाही कई अन्य शिविरों में देखने को मिली है। सड़क की दूसरी तरफ लगने वाले शिविर में भी चिकित्सा अपशिष्ट खुले में पड़े हुए थे। हालांकि यहां सिर्फ दस्ताने ही थे। द्वारका मोड पर लगे शिविर में भी लापरवाही साफ देखी जा सकती है।
क्या कहता है नियम
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो चिकित्सा अपशिष्ट केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी दिशानिर्देशानुसार होना चाहिए। इसके प्रबंधन में जरा सी लापरवाही स्वास्थ्य के लिए खतरा है। चिकित्सा अपशिष्ट के संपर्क में आकर एचआइवी और हेपेटाइटिस की शिकायत हो सकती है। इसके अलावा चिकित्सा अपशिष्ट में पीपीई किट और दस्ताने भी है, ऐसे में इससे कोरोना संक्रमण का भी प्रसार हो सकता है।
नियम के मुताबिक जिस भी एजेंसी द्वारा शिविर का आयोजन किया जाएगा, चिकित्सा अपशिष्ट व साधारण अपशिष्ट के प्रबंधन की जिम्मेदारी भी उसी की है। मेट्रो स्टेशन व डिपो के अलावा नजफगढ़ रोड काफी व्यस्त सड़कों में शुमार है, ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितने लोग इस चिकित्सा अपशिष्ट के संपर्क में आए होंगे।
इस बाबत जब जिला उपायुक्त डा. नवीन अग्रवाल व द्वारका एसडीएम पंकज राय गुप्ता से वाट्एसप के माध्यम से पूछा गया तो उन्होंने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। हालांकि शिकायत के बाद अपशिष्ट को कैंप से हटा लिया गया, लेकिन वह भी ऊपरी मन से। चिकित्सा अपशिष्ट का कुछ हिस्सा अभी भी शिविर में पड़ा है।