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Delhi Pollution 2020: अगले 24 घंटे में बिगड़ेंगे हालात, सांस लेना होगा दुश्वार; आने वाले दिनों में 'गैस चैंबर' बन सकती है दिल्‍ली

Delhi Pollution 2020 पड़ोसी राज्यों में पराली जलाए जाने से दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण बढ़ सकता है और शुक्रवार को हवा की गुणवत्ता बहुत खराब श्रेणी में पहुंच सकती है। लिहाजा काेरोना के संक्रमण के बीच लोगों की सांस पर भी आफत शुरू हो सकती है।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 02:43 PM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 03:31 PM (IST)
Delhi Pollution 2020: अगले 24 घंटे में बिगड़ेंगे हालात, सांस लेना होगा दुश्वार; आने वाले दिनों में 'गैस चैंबर' बन सकती है दिल्‍ली
दिल्ली के साथ एनसीआर में भी बढ़ा प्रदूषण का स्तर।

नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। दिल्ली में बृहस्पतिवार सुबह स्मॉग की चादर में लिपटी रही। इस वजह से हवा की गुणवत्ता खराब रही। दिल्ली में आठ जगहों पर प्रदूषण का स्तर इतना अधिक रहा कि उन जगहों पर हवा बहुत खराब श्रेणी में पहुंच गई। वैसे तो मौजूदा समय में प्रदूषण बढ़ने के लिए स्थानीय कारण अधिक जिम्मेदार है, लेकिन चिंताजनक यह है कि हरियाणा, पंजाब सहित दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की घटनाएं अचानक ज्यादा बढ़ गई हैं। इस वजह से सफर इंडिया ने चेतावनी दी है कि पड़ोसी राज्यों में पराली जलाए जाने से दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण बढ़ सकता है और शुक्रवार को हवा की गुणवत्ता बहुत खराब श्रेणी में पहुंच सकती है। लिहाजा, काेरोना के संक्रमण के बीच लोगों की सांस पर भी आफत शुरू हो सकती है। हालात ऐसे ही रहे तो आने वाले कुछ हफ्तों गैस चैंबर जैसे हालात बन सकते हैं।

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बृहस्पतिवार को दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) 254 दर्ज किया गया, जो खराब श्रेणी में है। लेकिन कई जगहों पर एक्यूआइ 300 के पार पहुंच गई। मुंडका में एक्यूआइ 365, नरेला में 358, वजीरपुर में 352, रोहिणी में 342, बवाना में 332, विवेक विहार में 313, जहांगीरपुरी में 310 व आनंद विहार में 306 दर्ज की गई। हवा की गति कम होने के कारण स्मॉग की स्थिति बनी। 23 व 24 अक्टूबर को हवा की गुणवत्ता बहुत खराब श्रेणी में पहुंच सकती है।

सफर इंडिया के अनुसार हरियाणा, पंजाब और दिल्ली के आसपास के क्षेत्रों में बुधवार को पराली जलाने की 1428 घटनाएं हुई, जो इस मौसम में सर्वाधिक है। एक दिन पहले पराली जलाने की 849 घटनाएं हुई थीं। इस तरह एक दिन में ही पराली जलने की घटनाएं करीब 68 फीसद बढ़ गई है। गनीमत यह रही कि धुआं दिल्ली पहुंचने के लिए हवा की दिशा पूरी तरह अनुकूल नहीं है। इस वजह से इसका असर दिल्ली में कम हुआ। सफर इंडिया के मुताबिक दिल्ली के वातावरण में मौजूदा पीएम 2.5 के स्तर में नौ फीसद हिस्सेदारी पराली की रही।

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