Move to Jagran APP

मौलाना अरशद मदनी लगातार सातवीं बार चुने गए जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष

मौलाना मदनी ने कहा कि हम एक बार फिर अपनी यह बात दोहराना चाहेंगे कि मुसलमान पेट पर पत्थर बांध कर अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाएं और जीवन में कामयाबी के लिए हमारी नई नस्ल को शिक्षा का असली हथियार बनाएं।

By Mangal YadavEdited By: Published: Tue, 09 Mar 2021 05:42 PM (IST)Updated: Tue, 09 Mar 2021 05:42 PM (IST)
मौलाना अरशद मदनी लगातार सातवीं बार चुने गए जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष
मुस्लिम धर्म गुरु मौलाना अरशद मदनी की फाइल फोटो

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। प्रमुख धार्मिक गुरु व समाज सुधारक मौलाना अरशद मदनी को लगातार सातवीं बार देश के प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद का सर्वसम्मति से राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है। मंगलवार को आइटीओ स्थित जमीयत के केंद्रीय कार्यालय में संगठन के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुईं। यह बैठक मुफ्ती किफायतुल्ला मीटिंग हॉल में आयोजित की गई। इसी में जमीयत के अगले कार्यकाल की अध्यक्षता के लिए राज्य इकाई की कार्यसमिति की सिफारिशों की समीक्षा की गई। इस सभा में सभी राज्य इकाइयों ने सर्वसम्मति से मौलाना अरशद मदनी के नाम की सिफारिश की। जिसपर कार्यसमिति ने जमीयत के अगले कार्यकाल की अध्यक्षता के लिए मौलाना अरशद मदनी के नाम की घोषणा की। नियमों के अनुसार जमीयत उलेमा-ए-हिंद की हर दो साल में सदस्यता होती है।

prime article banner

इस बैठक में देश की वर्तमान स्थिति, शासन प्रशासन की ओर से लगातार जारी लापरवाही के साथ अन्य महत्वपूर्ण राष्ट्रीय और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा हुई। विशेष रूप से शिक्षा और मुसलमानों के शैक्षिक पिछड़ेपन पर गहरी चिंता व्यक्त की गई।

जमीयत के प्रति बढ़ रहा है लोगों का आकर्षण

बैठक में सदस्यों ने कहा कि लॉकडाउन में जमीयत की तरफ से नागरिकों की गई निःस्वार्थ सेवा, दिल्ली दंगा पीड़ितों और अभियुक्तों को कानूनी और सामाजिक सहायता व तब्लीगी जमात पर नकारात्मक प्रोपेगंडा करने वालों के खिलाफ कानूनी संघर्ष आदि की वजह से नए लोगों का जमीयत की तरफ आकर्षण बढ़ा है, यही वजह है कि लोग जमीयत की सदस्यता पाने में बहुत उत्सुक हो रहे हैं और प्रत्येक प्रांत में जमीयत के कार्यालयों के साथ महत्वपूर्ण संख्या में नए लोग लगातार संपर्क में हैं। पिछले कार्यकाल में जमीयत के सदस्यों की संख्या लगभग एक करोड़ 15 लाख थी, जिसमें इस वर्ष बड़ी वृद्धि की संभावना है।

छात्रवृति 50 लाख रुपये से बढ़ाकर किए एक करोड़ रुपये

जमीयत ने होनहार छात्रों की छात्रवृत्ति के लिए 50 लाख रुपये की जगह एक करोड़ रुपये की राशि आवंटित की है, जिसके लिए देश भर से लगभग 600 छात्रों का चयन किया गया है, उनमें से अब तक लगभग 500 छात्रों को छात्रवृति दी जा चुकी है। मौलाना अरशद मदनी ने छात्रवृति की आवश्यकता और उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमारी इस छोटी सी कोशिश से बहुत से ऐसे होनहार और मेहनती बच्चों का भविष्य किस हद तक संवर सकता है जिन्हें अपनी आर्थिक परेशानियों की वजह से अपने शैक्षिक सिलसिले को जारी रखने में मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि देश में जिस तरह धार्मिक उन्माद और विचारधारा का विद्वेष फैल रहा है उसका मुकाबला किसी हथियार या जंग से नहीं किया जा सकता, बल्कि उसके साथ मुकाबले का एक मात्र रास्ता यह है की हम अपनी नई नस्ल को उच्च शिक्षा दिला कर इस काबिल बना दें कि वह अपनी शिक्षा और हुनर के हथियार से इस विचारधारा की लड़ाई में अपने प्रतिद्वंदी को परास्त कर सके और वह कामयाबी की मंजिल को हासिल कर सके जिस तक हमारी पहुंच को सियासत के रूप में कठिन से कठिन बना दिया गया है।

मौलाना मदनी ने कहा कि हम एक बार फिर अपनी यह बात दोहराना चाहेंगे कि मुसलमान पेट पर पत्थर बांध कर अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाएं और जीवन में कामयाबी के लिए हमारी नई नस्ल को शिक्षा का असली हथियार बनाएं।

स्कूल कालेजों की सख्त जरूरत

हमें ऐसे स्कूलों और कालेजों की बहुत जरूरत है जिन में धार्मिक पहचान के साथ-साथ हमारे बच्चे उच्च शिक्षा भी बिना किसी रूकावट के हासिल कर सकें। उन्होंने राष्ट्र के उच्च पदस्थ लोगों का आह्वान किया कि वह ऐसे स्कूल खुलवाएं जहां बच्चे अपनी धार्मिक पहचान के साथ आसानी से शिक्षा प्राप्त कर सकें। हर शहर में कुछ मुसलमान मिलकर कालेज खोल सकते हैं।

उन्होंने कहा बदकिस्मती यह है कि मुसलमानों को दूसरी चीजों पर तो गौर करने में दिलचस्पी होती है मगर शिक्षा की तरफ ध्यान नहीं करते। यह हमें अच्छी तरह समझना होगा कि देश की वर्तमान बदतर दशा का मुकाबला सिर्फ और सिर्फ शिक्षा के द्वारा ही किया जा सकता है। मौलाना मदनी ने कहा कि जमीयत का दायरा बहुत बड़ा है और वह हर क्षेत्र में कामयाबी के साथ काम कर रही है। अतः एक तरफ जहां यह मकतब और मदरसा खोल रही हैं वहीं दूसरी तरफ उसने अब ऐसी शिक्षा पर भी जोर देना शुरू कर दिया है जो रोजगार प्रदान करता है।

रोजगारपरक शिक्षा पर जोर

रोज़गार प्रदान कराने वाली शिक्षा से तात्पर्य यह है कि तकनीकी और हुनर प्रदान करने वाली शिक्षा है ताकि जो बच्चे इस तरह शिक्षा प्राप्त करके निकलें उन्हें तुरंत रोजगार मिल सके और नौकरी हासिल कर सकें। इस सिलसले में नए सिरे से मुहिम शुरू करने की आवश्यकता है। हमने फैसला लिया है कि जमीयत अपने प्लेटफार्म से मुसलमानों में शिक्षा को आम करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन चलाएगी और जहां कहीं भी आवश्यकता हुई वहां स्कूल और मदरसे बनाएगी और उच्च शिक्षण संस्थाएं भी खोलेगी, जिन में राष्ट्र के उन गरीब मगर काबिल बच्चो को भी अवसर प्रदान किया जाएगा ताकि वह भी उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकें जिनके अभिभावक शिक्षा का बोझ वहन नहीं कर सकते और जो खर्च नहीं उठा सकते उन्हें भी मौका दिया जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि जीवन में घर बैठे इंकलाब नहीं आते बल्कि उस के लिए कार्य क्षमता के साथ कोशिश की आवश्यकता होती है और कुर्बानियां भी देनी पड़ती हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.