Ramadan 2021: रमजान माह के पहले दिन जामा मस्जिद के आसपास की ज्यादातर दुकानें बंद
इस पूरे माह लोग रोजा रखते हुए खुदा की इबादत में समय गुजारते हैं। दिनभर उपवास के बाद शाम को इफ्तारी होती है। इसमें लोग रोजा खोलते हुए खाते-पीते हैं। ऐसे में रमजान की तैयारियों को लेकर बाजार भी सज गए हैं।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। रमजान का पाक महीना शुरू हो गया है। रमजान को रमादान और माह-ए-रमजान भी कहा जाता है। इस पूरे महीने अल्लाह की सच्चे मन से इबादत की जाती है। इस पूरे माह लोग रोजा रखते हुए खुदा की इबादत में समय गुजारते हैं। दिनभर उपवास के बाद शाम को इफ्तारी होती है। इसमें लोग रोजा खोलते हुए खाते-पीते हैं। ऐसे में रमजान की तैयारियों को लेकर बाजार भी सज गए हैं। वहीं, कोरोना वायरस संक्रमण के चलते रमजान माह के पहले दिन जामा मस्जिद के आसपास की ज्यादातर दुकानें बंद हैं।
एक स्थानीय शख्स का कहना है कि लोग खुदा की इबादत घर पर ही करें और हमें कोरोना प्रॉटोकाल का पूरा पालन करना चाहिए। वहीं, इससे पहले मंगलवार को पुरानी दिल्ली के बाजारों में इसे लेकर खूब चहल-पहल रही। जामा मस्जिद के नजदीक मटिया महल के अलावा तुर्कमान गेट, चावड़ी बाजार, दरियागंज, सीताराम बाजार व चितली कब्र समेत अन्य बाजारों में रमजान के मद्देनजर सजावट के विशेष इंतजाम किए गए हैं। इस खास माह में ग्राहकों को लुभाने के लिए दुकानों को भी खूब सजाया गया है। रमजान से जुड़े सामान में इस बार खास उतार-चढ़ाव नहीं है। यहां 150 रुपये प्रति किलो से खजूर शुरू हैं, वहीं सेवइयां और फेनी 100 रुपये किलो के आसपास बिक रही हैं। बाजार में कई किस्म के खजूर उपलब्ध हैं। फलों की दुकानों पर ज्यादा मोलभाव नजर आया। जामा मस्जिद के गेट पर टोपी की खरीदारी खूब हो रही है। यह दूसरा माहे रमजान है, जो कोरोना संक्रमण के बीच आया है। पिछले वर्ष तो लाकडाउन के बीच ही रमजान का महीना आया था।
वहीं इस वर्ष रात्रि कर्फ्यू है। ऐसे में लोग जल्द खरीदारी को लेकर बाजारों में आए। इससे शाम को दुकानों पर काफी भीड़ देखी गई। रमजान के दौरान निगम की ओर से बाजारों में सफाई व्यवस्था को दुरुस्त किया गया है, ताकि लोगों को समस्या न हो। साथ ही दुकानदारों ने अपनी ओर से बाजार को भी व्यवस्थित रखने की कोशिश की, जिससे यहां जाम की समस्या न होने पाए। बाजार की भीड़ को देखते हुए पुलिस भी मुस्तैद हो गई है। कोरोना के मद्देनजर लोगों को मस्जिदों से जागरूक भी किया जा रहा है। इस बार भी नमाज और इफ्तारी के लिए मस्जिदों की जगह घरों को ही तरजीह देने की हिदायत दी जा रही है।
मुफ्ती मोहम्मद मुकर्रम अहमद (शाही इमाम, फतेहपुरी मस्जिद) का कहना है कि आजकल के हालात को देखते हुए तरावीह की नमाज घरों में ही पढ़े, यही बेहतर है, जिस तरह पिछले साल लाकडाउन में इबादत की थी। तरावीह की नमाज के लिए मस्जिदों में और जमात में शरीक होना वाजिब नहीं है, रोजा फर्ज है। कोशिश करें कि घरों में ही इफ्तार करें। मस्जिदों में जमा न हों। इस मर्तबा संक्रमण ज्यादा है। इसलिए लापरवाही ठीक नहीं है। सरकारी दिशानिर्देशों का पूरा-पूरा अमल करें।