कोई राहुल गांधी की 'भक्ति' में लीन तो कोई हुआ अरविंद केजरीवाल से प्रभावित, पढ़िये- दिल्ली कांग्रेस का हाल
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से दिल्ली की जनता ही नहीं प्रदेश कांग्रेस के नेता भी खासे प्रभावित नजर आ रहे हैं। ऊपर से भले ही वे आम आदमी सरकार का विरोध करते रहें लेकिन अंदरखाते उनके राजनीतिक तौर तरीके उन्हें भी लुभा रहे हैं।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। राजस्थान के जयपुर स्थित विपश्यना केंद्र से 10 दिन की कठिन साधना के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली लौटने के एक दिन बाद ही सक्रिय हो गए हैं। इस कड़ी में वह सक्रियता की कड़ी में शुक्रवार शाम 7 बजे महा गणेश आरती में शामिल होंगे। इस बीच अरविंद केजरीवाल की सक्रिया के साथ ही भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के नेता भी सक्रिय हो गए हैं।
अरविंद केजरीवाल से प्रभावित हो रहे कांग्रेसी
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से दिल्ली की जनता ही नहीं, प्रदेश कांग्रेस के नेता भी खासे प्रभावित नजर आ रहे हैं। ऊपर से भले ही वे आम आदमी सरकार का विरोध करते रहें, लेकिन अंदरखाते उनके राजनीतिक तौर तरीके उन्हें भी लुभा रहे हैं। यही वजह है कि हाल ही में जब पार्टी के शीर्ष नेतृत्व राहुल गांधी ने दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष और पांचों उपाध्यक्षों को मुलाकात के लिए बुलाया तो एक उपाध्यक्ष ने साफगोई से यह सब बयां भी कर दिया। इन जनाब ने तो पार्टी की विचारधारा को ही सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया। इनका कहना था कि आम आदमी पार्टी सुपीमो अरविंद केजरीवाल की छवि किसी एक वर्ग विशेष से जुड़ी नहीं है। इसीलिए उन्हें हिन्दू भी वोट देता है और मुस्लिम भी। जबकि कांग्रेस से हिन्दू वोटर दूर हो गया है, इसलिए हमें अपनी सोच और विचारधारा बदलनी चाहिए। मौन साधे अन्य नेता भी इससे सहमत नजर आए।
युवा कांग्रेस की राहुल भक्ति
राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी लेने से साफ इनकार कर चुके हैं। लेकिन कांग्रेसियों को इनके अलावा कोई नजर ही नहीं आ रहा। नतीजा, लंबे समय से अध्यक्ष पद खाली पड़ा है और पार्टी की मजबूती भी अधर में लटकी है। बावजूद इसके अभी भी पार्टी के तमाम संगठन और इकाइयां राहुल भक्ति में लीन हैं। पिछले दिनों प्रदेश कांग्रेस ने एक प्रस्ताव पास कर राहुल को ही पार्टी का अध्यक्ष बनाने की वकालत की थी तो अब भारतीय युवा कांग्रेस ने भी ऐसा ही प्रस्ताव पारित कर दिया। युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी के नेतृत्व में यह प्रस्ताव कार्यकारिणी की बैठक में पारित हुआ। हैरानी की बात यह कि पिछले सप्ताह जी=23 के नेताओं की एक बैठक हुई तो उसमें भी इस पर चिंता जताई गई कि या तो राहुल खुद अध्यक्ष बनें या फिर किसी और को बनने दें। अन्यथा पार्टी धीरे-धीरे और कमजोर होती जाएगी।