Manish Sisodia का खुलासा, इस वजह से कांग्रेस से गठबंधन करना चाहती थी AAP
लोकसभा चुनाव से जुड़े तमाम मुद्दों पर वीके शुक्ला ने आप के दूसरे नंबर के नेता व दिल्ली सरकार में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से बात की है।
नई दिल्ली। दिल्ली की सियासी जंग के लिए आखिरी सप्ताह शुरू हो चुका है। इसमें जो तीन प्रमुख दल लड़ाई में हैं, उनमें दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी भी शामिल है। आप सरकार के चार साल पूरे हो चुके हैं और पार्टी दिल्ली में कराए गए विकास कार्यो के आधार पर वोट मांग रही है। आप का मुख्य चुनावी मुद्दा दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाने की मांग है। लोकसभा चुनाव से जुड़े तमाम मुद्दों पर वीके शुक्ला ने आप के दूसरे नंबर के नेता व दिल्ली सरकार में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से बात की है। प्रस्तुत हैं बातचीत के मुख्य अंश:
इस लोकसभा चुनाव को किस रूप में देख रहे हैं?
पिछले चार साल में हमने खूब काम किए। हालांकि हमारे कामों में खूब रोड़े भी लगाए गए। अब दिल्ली वालों को ऐसे सांसद चुनने हैं, जो दिल्ली के काम नहीं रोकेंगे। यदि केंद्र में दिल्ली के काम रोकने वाली सरकार बनी तो दिल्ली का ही नुकसान होगा।
चुनाव में आप के मुख्य मुद्दे क्या हैं?
देखिए रोजमर्रा की बात करें तो दिल्ली सरकार काम कर ही रही है, लेकिन पूर्ण राज्य मुख्य मुद्दा है। हम इसे लेकर ही चुनाव लड़ रहे हैं। पूर्ण राज्य दिल्ली के लोगों की भावना है।
लोकसभा चुनाव में पूर्ण राज्य का मुद्दा कितना कारगर मान रहे हैं?
हम लोगों को यह समझाने में कामयाब हो रहे हैं कि पूर्ण राज्य होने के बाद दिल्ली के लोगों को लाभ मिल सकेगा। जमीन व पुलिस भी दिल्ली सरकार के अंतर्गत होगी।
भाजपा या कांग्रेस में से किससे अपनी लड़ाई मानते हैं?
कांग्रेस 3-4 फीसद पर है, इसलिए वह कहीं नहीं है। हम बार-बार कह रहे हैं कि कांग्रेस को वोट देने का मतलब भाजपा को जिताना है। हमारी सीधी लड़ाई भाजपा से है, भाजपा की केंद्र में सरकार है। मोदी और अमित शाह प्रचार के मास्टर हैं, लेकिन दिल्ली की सातों सीटों पर इस बार उनके लिए कोई गुंजाइश नहीं है।
मोदी के लिए कोई गुंजाइश नहीं होने का दावा आप किस आधार पर कर रहे हैं?
उनके सांसदों ने तो कोई काम किया नहीं और न ही दिल्ली की जनता की समस्याओं को लेकर संसद में कोई सवाल उठाए। सीलिंग को लेकर इन सांसदों ने कुछ नहीं किया। हम कहते रह गए कि संसद में भाजपा सरकार बिल लेकर आए लेकिन मोदी सरकार ने नहीं सुनी। नौकरीपेशा से लेकर व्यापारी वर्ग तक सभी की मोदी ने कमर तोड़ दी है।
यही नहीं बात अगर विकास की करें तो मोदी ने पिछले पांच साल में विपक्षी दलों को परेशान करने और अस्थिर करने के अलावा किया क्या है? भाजपा वाले एक काम नहीं गिना पाएंगे, जबकि हमारा एक-एक कार्यकर्ता बता देगा कि दिल्ली सरकार ने क्या काम किया है।
कांग्रेस से गठबंधन को लेकर आप अधिक प्रयासरत दिखी, क्या कारण है?
बिल्कुल हम चाहते थे। हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़ और गोवा में हम साथ मिलकर लड़ने के प्रयास में थे। हमारा 33 सीटों को लेकर गणित था, लेकिन कांग्रेस राजी नहीं हुई। इसमें कांग्रेस को ही फायदा था हम 33 सीटें जीतते तो केंद्र में विपक्ष की स्थिति मजबूत होती। मगर कांग्रेस केवल दिल्ली पर अड़ी रही। दिल्ली में कांग्रेस को सीट देने का मतलब सीट गंवाना था, इसलिए दिल्ली में कांग्रेस से गठबंधन नहीं किया।
मायापुरी के सीलिंग मामले में सामने आया कि दिल्ली सरकार के अधिकारी राज्य सरकार को विश्वास में लिए बिना ही कार्रवाई करने चले गए। क्या अधिकारी सरकार की नहीं सुन रहे हैं ?
कैसे सुनेंगे, जब उन्हें पता है कि मुख्यमंत्री को चपरासी के तबादले का भी अधिकार नहीं है। अधिकारों को लेकर गत जुलाई का सुप्रीम कोर्ट का आदेश हमारे पक्ष में है। हालांकि, सेवाएं विभाग पर अभी फैसला आना है। फैसला आने के बाद हालात बदलेंगे।
भाजपा का आरोप है कि आप ने जो घोषणा पत्र तैयार किया है, उसे इस तरह तैयार किया गया है कि जो भी काम करेंगे पूर्ण राज्य होने पर करेंगे?
ऐसा नहीं है, उन्होंने घोषणा पत्र ठीक से पढ़ा नहीं है। उसमें दो भाग हैं, एक भाग में हमने पूर्ण राज्य न होने पर भी जो काम किए हैं, उनके बारे में बताया है। दूसरे भाग में ऐसे काम हैं, जो पूर्ण राज्य होने पर हो सकते हैं, उनके बारे में कहा गया है।
12वीं कक्षा का परीक्षा परिणाम 94 फीसद आया है। यह सुखद है, लेकिन क्या इसे चुनौती नहीं मानते? इस औसत को कैसे बनाकर रख सकेंगे?
पहले तो इस बेहतर परिणाम के लिए शिक्षक, प्रधानाचार्य व शिक्षा विभाग के अधिकारी और शिक्षा के तंत्र में लगा हर व्यक्ति बधाई का पात्र है। हां, यह बात भी सही है कि हमारे लिए चुनौती बढ़ गई है, मगर जिन शिक्षकों और प्रधानाचार्यों की बदौलत हम यहां तक पहुंचे हैं। उन्हीं के माध्यम से और आगे बढ़ेंगे। स्कूलों में अब माहौल बदल चुका है। हमारे शिक्षक बहुत मेहनत कर रहे हैं।
अतिथि शिक्षकों की नौकरी के मुद्दे पर पर क्या कहेंगे?
अतिथि शिक्षकों को नौकरी पर रखे जाने का फैसला लेकर हमारी सरकार ने फाइल उपराज्यपाल के पास भेजी हुई है। सेवाएं विभाग उपराज्यपाल के पास है, उन्हें ही फैसला लेना है, मगर वह इसे रोके हुए हैं। सेवाएं विभाग का मामला कोर्ट में है। हमारे पास यह विभाग आता है, तो बगैर देर किए हम अतिथि शिक्षकों को नौकरी पर रख लेंगे।
कहा जा रहा है कि आप अब भी राजनीतिक दल नहीं बन पाई है, आंदोलन से बाहर नहीं निकल पाई है?
हम क्यों आंदोलन से बाहर निकलेंगे? यह पार्टी ही आंदोलनकारियों की पार्टी है। हम आंदोलनकारी हैं, यही हमारी पहचान है।
क्या कारण है कि आशुतोष व आशीष खेतान जैसे वरिष्ठ नेता पार्टी छोड़ गए?
इस पार्टी का जन्म आंदोलन से हुआ था। जो लोग जुड़े वे सभी आंदोलनकारी थे, अपने-अपने हिसाब से जो व्यक्ति जितने दिन तक समय दे सकता था उसने दिया।
आपका आरोप है कि पार्टी के सात विधायकों को भाजपा खरीदने की साजिश कर रही है। यह जानकारी होने के बाद भी अनिल वाजपेयी भाजपा में कैसे शामिल हो गए?
हमने यह बात पहले ही कही थी, वाजपेयी के जाने से इसकी पुष्टि हो गई है। मोदी जी की राजनीति बहुत ही घटिया और तोड़फोड़ की है। किसी के विधायक खरीद लो, किसी सरकार को काम नहीं करने दो, कोई संगठन कमजोर कर दो, यही उनकी राजनीति है। मगर, जनता इसे पसंद नहीं करती है, इसका उन्हें मुंहतोड़ जवाब जनता ही देगी।
क्या आप लोगों ने वाजपेयी को रोकने की कोशिश नहीं की?
कोशिश की थी, अब यह उनकी मर्जी है, वह रुके नहीं।
चुनाव प्रचार चरम पर है। ऐसे में वाजपेयी के पार्टी छोड़ने का क्या असर पड़ेगा?
कोई असर नहीं पड़ेगा। इससे भाजपा को ही नुकसान होगा। भाजपा ने पहले भी इस तरह की हरकत की है, जिसके बाद उन्हें मुंह की खानी पड़ी है। गांधीनगर में मुख्यमंत्री के रोड शो में जुटी भीड़ से साफ है कि इस बार दिल्ली में भाजपा की दाल नहीं गलने वाली है। नोटबंदी और जीएसटी से मोदी सरकार ने व्यापारी वर्ग की कमर तोड़ दी है, हर कारोबारी रो रहा है।
आप के कुछ विधायक पार्टी नेतृत्व पर ही सवाल खड़े करते हैं। इसकी क्या वजह है?
जो लोग अरविंद केजरीवाल और आप के नाम पर चुनाव जीत कर आए हैं। यह बात नैतिकता के आधार पर उन्हें ही देखनी है कि वे क्या कर रहे हैं? दूसरी बात दिल्ली की जनता बहुत समझदार है, उसने पहले ही समझ लिया था कि ये लोग नए-नए राजनीति में आए हैं। कुछ विधायक बिकेंगे, फिसलेंगे, कुछ छिटकेंगे। इसलिए जनता ने पहले ही इतने विधायक दे दिए कि सरकार आराम से काम कर रही है।
क्या कुमार विश्वास अभी आप में हैं?
यह बात कुमार विश्वास ही बता पाएंगे कि वह पार्टी में हैं या नहीं। मगर किसी के लिए उसके कर्म बहुत महत्व रखते हैं। वह चाहें पार्टी का नेता हो या विधायक हो। यह बात सभी पर लागू होती है, जनता भी यह सब देखती है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर हमला हुआ है, क्या कहेंगे?
यह मुख्यमंत्री की सुरक्षा में बड़ी लापरवाही है। इसके लिए मोदी सरकार जिम्मेदार है और जिस तरह से हमला करने वाले को बचाने के लिए हल्की धाराएं लगाकर उसे छोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। इससे भाजपा की साजिश का पता चलता है।
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