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मुआवजा राशि का भुगतान करने से इनकार कर रही थी बीमा कंपनी, दांव-पेंच को जागरूकता से दी मात

मृतक की मां सरस्वती और पिता प्रताप सिंह ने कड़कड़डूमा स्थित मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल में वाद दायर कर दुर्घटना करने वाली कार के मालिक से 50 लाख रुपये मुआवजा मांगा था। इस मामले में पांच साल तक इस मामले में ट्रिब्यूनल में सुनवाई चली।

By Mangal YadavEdited By: Published: Sat, 03 Apr 2021 07:56 PM (IST)Updated: Sat, 03 Apr 2021 07:56 PM (IST)
मुआवजा राशि का भुगतान करने से इनकार कर रही थी बीमा कंपनी, दांव-पेंच को जागरूकता से दी मात
ट्रिब्यूनल ने बीमा कंपनी को मुआवजा राशि का भुगतान करने का आदेश दिया है।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। पांच साल पहले हुए हादसे में मरने वाले युवक के स्वजन को मुआवजा राशि का भुगतान करने से बचने के लिए बीमा कंपनी ने काफी दांव-पेंच लगाए। यहां तक कह डाला कि जिस कार से दुर्घटना हुई, उसके चालक का डाइविंग लाइसेंस वैध नहीं है। बीमा शर्तों का उल्लंघन होने के कारण मुआवजा देने का उसका दायित्व नहीं बनता। यहां चालक की जागरूकता काम आई। उसने सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के पोर्टल के जरिये मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल के समक्ष अपने लाइसेंस को सही साबित करते हुए बीमा कंपनी के दावाें को झुठला दिया। जिस पर ट्रिब्यूनल ने बीमा कंपनी को मुआवजा राशि का भुगतान करने का आदेश दिया है।

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19 फरवरी 2016 को नोएडा सेक्टर-63 में गाजियाबाद विजय नगर सेक्टर-12 निवासी अरुण कुमार को एक कार ने पीछे से टक्कर मार दी थी। हादसे में उनकी मौत हो गई थी। नोएडा फेज-तीन थाने में इसका मुकदमा दर्ज हुआ था। इस मामले में मृतक की मां सरस्वती और पिता प्रताप सिंह ने कड़कड़डूमा स्थित मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल में वाद दायर कर दुर्घटना करने वाली कार के मालिक से 50 लाख रुपये मुआवजा मांगा था। इस मामले में पांच साल तक इस मामले में ट्रिब्यूनल में सुनवाई चली। गवाह और साक्ष्य पेश किए गए। ट्रिब्यूनल ने उसके आधार पर मृतक के माता-पिता के लिए 10.70 लाख रुपये का मुआवजा निर्धारित किया।

जिस कार से दुर्घटना हुई थी, उसका बीमा करने वाली कंपनी ने ट्रिब्यूनल के समक्ष पक्ष रखा कि दुर्घटना को अंजाम देने वाले चालक का ड्राइविंग लाइसेंस वैध नहीं है। चालक ने उत्तर प्रदेश के गाजीपुर आरटीओ से बने लाइसेंस की प्रति जमा कराई थी। जो डीएल नंबर उस पर अंकित था, उसका कोई रिकार्ड गाजीपुर आरटीओ में नहीं है। चालक बीमा कंपनी के दाव-पेंच को भली भांति जानता था। उसने बताया कि उसका लाइसेंस अब बलिया में पंजीकृत है। वह लाइसेंस को गाजीपुर से बलिया हस्तांतरित करा ले गया था। उसने समय गंवाए बिना सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के परिवहन पोर्टल खोल कर अपने लाइसेंस का ब्योरा दिखा दिया। जिस पर ट्रिब्यूनल ने आदेश जारी किया कि मुआवजा बीमा कंपनी को ही देना होगा।


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