CAA Delhi Protests:शाहीन बाग में धरने से ठप पड़ा ट्रैफिक, DND समेत कई रूटों पर लगा भीषण जाम
CAA Delhi Protests शाहीन बाग में एक माह से अधिक समय से चल रहे धरने ने लोगों की जिंदगी दुश्वार कर दी है।
नई दिल्ली अरविंद कुमार द्विवेदी। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी के विरोध में शाहीन बाग में एक माह से अधिक समय से चल रहे धरने ने लोगों की जिंदगी दुश्वार कर दी है। इस धरने के कारण लोगों में गुस्सा बढ़ता जा रहा है। जो रास्ता पहले लोग 20-25 मिनट में तय करते थे उसे तय करने में एक तीन से चार घंटे लग रहे हैं। लोगों का अधिकतर समय अब सड़कों पर बीत रहा है। वहीं, एक तरफ जहां पुलिस-प्रशासन इस धरने को समाप्त करवा पाने में नाकाम साबित हो रहा है।
वहीं, जाम को संभालने की बजाय यातायात पुलिस सड़कों से नदारद है। शुक्रवार को इस जाम के कारण पूरी दक्षिणी दिल्ली जैसे ठहर सी गई। शाहीन बाग धरने के कारण कालिंदी कुंज पर दिल्ली-नोएडा मार्ग बंद होने से मथुरा रोड, आउटर रिंग रोड, रिंग रोड, डीएनडी, बारापुला से लेकर एमबी रोड तक पूरी तरह से ठप हो गया। लोगों को दो-चार किलोमीटर की दूरी तय करने में भी तीन-चार घंटे लगे।
बारापुला पर उल्टा चला ट्रैफिक
मथुरा रोड व डीएनडी ठप होने के कारण बारापुला का हजरत निजामुद्दीन से सराय कालेखां व डीएनडी जाने वाले लूप से जा रहे लोग जाम में फंस गए। आगे रास्ता नहीं मिला तो करीब तीन-चार दर्जन कार चालकों ने किसी तरह से गाड़ी मोड़ ली और इसी लूप पर वापस उल्टा चल दिए। दो लेन की वन-वे सड़क पर यातायात के उल्ट चल देने से जो वाहन थोड़ा खिसक भी रहे थे वे भी जाम में फंस गए। इस कारण यह पूरा कैरिजवे ठप हो गया। लोग घंटों जाम में फंसे बिलबिलाते रहे लेकिन गाड़ियां टस से मस न हुईं। कई घंटे बाद लोग इस जाम से निकल पाए।
मुख्य मार्ग का ट्रैफिक घुस रहा कॉलोनियों में
मथुरा रोड हर वक्त जाम रहता है। इसक कारण इस मार्ग से आने-जाने वाले हजारों लोग आसपास की कॉलोनियों में घुसकर शाॅर्टकट के लिए घुस जाते हैं। ऐसे में पूरी कॉलोनी में वाहन ही वाहन नजर आते हैं। जिन कॉलोनियों में गेट लगे हैं वहां लोग गेट खोलने के लिए गार्डों पर दबाव बनाते हैं। ऐसे में कई बार वाद-विवाद भी बढ़ जाता है।
न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी, सरिता विहार, सुखदेव विहार, सुंदर नगर, आश्रम, सनलाइट कॉलोनी, लाजपत नगर, मदनपुर खादर गांव, आली गांव, बदरपुर, जैतपुर के लोग बाहर से आने वाले इस ट्रैफिक से पेरशान हैं। लोगों का कहना है कि इन इलाकों में पहले से ही यातायात का भारी दबाव रहता था। लेकिन अब तो उनका घर से निकलना भी बंद होता जा रहा है।