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सोनीपत बनी दिल्ली-NCR की सबसे 'हॉट सीट', पूर्व सीएम की जीत-हार पर लगी निगाहें

दिल्ली से सटी हरियाणा की सोनीपत लोकसभा सीट पर पिछले पांच चुनाव से कांग्रेस हर बार अपना प्रत्याशी बदल देती है यानी पुराने उम्मीदवार को दोबारा इस सीट से मौका नहीं मिलता है।

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 22 Apr 2019 06:35 PM (IST)Updated: Thu, 23 May 2019 06:24 AM (IST)
सोनीपत बनी दिल्ली-NCR की सबसे 'हॉट सीट', पूर्व सीएम की जीत-हार पर लगी निगाहें
सोनीपत बनी दिल्ली-NCR की सबसे 'हॉट सीट', पूर्व सीएम की जीत-हार पर लगी निगाहें

नई दिल्ली [बिजेंद्र बंसल]। दिल्ली से सटे सोनीपत लोकसभा क्षेत्र के चुनावी समर में इस बार राजनीति के दिग्गज उतरे हैं। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा कांग्रेस से और आम आदमी पार्टी व जननायक जनता पार्टी गठबंधन से दिग्विजय सिंह चौटाला की सोनीपत से उम्मीदवार के बाद यह पूरे एनसीआर की सबसे हॉट सीट हो गई है। 23 मई के चुनाव नतीजे हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का नए सिरे से राजनीतिक भविष्य भी तय करेंगे। 

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यूं तो सोनीपत भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गढ़ माना जाता है क्योंकि 2005 से 2014 तक उनके मुख्यमंत्रित्व काल में उन पर यही आरोप लगता रहा कि उन्होंने प्रदेश की बजाए सिर्फ सोनीपत,रोहतक और झज्जर का ही विकास किया।

फरीदाबाद सहित गुरुग्राम के लोगों सहित दक्षिण हरियाणा के अहीरवाल के लोग तो इस कारण हुड्डा से खासे नाराज भी रहते हैं। भूपेंद्र सिंह हुड़्डा पहली बार सोनीपत से चुनाव लड़ रहे हैं। हालांकि ,जब सोनीपत पुरानी रोहतक लोकसभा सीट में समाहित थी तब उनके पिता चौधरी रणबीर सिंह हुड्डा इस सीट से चुनाव जीत चुके हैं।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा राेहतक से सांसद रह चुके हैं तथा फिलहाल भी रोहतक से लगातार तीन 2019 के महासमर में भाजपा के गैर जाट और ब्राह्मण उम्मीदवार रमेश कौशिक के सामने कांग्रेस के भूपेंद्र हुड्डा, आप-जजपा के दिग्विजय चौटाला और इनेलो के सुरेंद्र छिकारा तीनों ही प्रमुख उम्मीदवार जाट हैं।

ऐसे में देखना होगा कि जाट बनाम गैर जाट के इस चुनाव में बाजी किसके हाथ लगती है, मगर यहां मुकाबला दिलचस्प होगा। भाजपा के रमेश कौशिक के सामने जाट मतदाताओं को रिझाने तो तीनों जाट उम्मीदवारों के सामने गैर जाट मतदाताओं में सेंध लगाने की चुनौती रहेगी।

वर्तमान स्थिति

सोनीपत लोकसभा क्षेत्र में कुल नौ विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इनमें सोनीपत जिले की सभी छह सोनीपत, गन्नौर, राई, खरखौदा, गोहना व बरोदा व जींद जिले की तीन जींद, जुलाना व सफीदों सीट शामिल हैं। इस लोस क्षेत्र में 1527895 मतदाता हैं। इनमें 829273 पुरुष व 698622 महिला मतदाता हैं। इसके अलावा 18 से 19 साल के बीच करीब 16180 मतदाता हैं, जो पहली बार अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।

रोचक तथ्य 

सोनीपत लोकसभा क्षेत्र से 1980,1984 में दो बार पूर्व उपप्रधानमंत्री ताऊ देवीलाल भी चुनाव लड़ चुके हैं। देवीलाल सिर्फ 1980 में ही चुनाव जीते थे। इस बार ताऊ के परिवार से 35 साल बाद सोनीपत से उनके प्रपौत्र दिग्विजय चौटाला चुनाव लड़ेंगे।

सोनीपत लोकसभा में अभी तक 11 बार चुनाव हुए हैं, जिसमें 9 बार जाट उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है, जबकि दो बार गैट जाट ब्राह्मण उम्मीदवार को कामयाबी मिली है। पहली बार 1996 में अरविंद शर्मा सोनीपत से निर्दलीय चुनाव लड़े थे और जीत हासिल की थी, जबकि दूसरी बार 2014 में रमेश चंद्र कौशिक विजयी रहे।

सोनीपत लोकसभा सीट पर पिछले पांच चुनाव से कांग्रेस हर बार अपना प्रत्याशी बदल देती है, यानी पुराने उम्मीदवार को दोबारा इस सीट से मौका नहीं मिलता है। 2014 में जगबीर मलिक को टिकट दिया गया था। इससे पहले 2009 में जितेंद्र मलिक को, जबकि 2004 में धर्मपाल मलिक, 1999 में चिरंजी लाल शर्मा और 1998 में बलबीर सिंह को कांग्रेस ने मैदान में उतारा था। इस बार पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा यहां से कांग्रेस के उम्मीदवार बने हैं।

वर्ष 1972 में सोनीपत जिला बना। इससे पहले सोनीपत रोहतक जिले की तहसील हुआ करती थी। यहां की 83 प्रतिशत हिस्से में खेती होती है। इतिहास के तौर पर सोनीपत में अब्दुल नसीरुद्दीन की मस्जिद, ख्वाजा खिजर का मकबरा और पुराना किला खास आकर्षण के केंद्र हैं।

सोनीपत लोकसभा क्षेत्र में इस बार 247 मतदाता ऐसे हैं जो 100 वर्ष की आयु पूरी कर चुके हैं। इसके अलावा 756007 मतदाता 70 वर्ष और 24831 मतदाता 80 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुके हैं।

वर्ष 1977 में जब यहां पहली बार लोकसभा के चुनाव हुए तो मात्र पांच प्रत्याशी ही मैदान में थे, जो कि अब तक का रिकार्ड है। इसके बाद वर्ष 1999 में यहां से छह उम्मीदवारों ने ही चुनाव लड़ा था, जबकि वर्ष 1996 में सबसे अधिक 28 उम्मीदवार मैदान में थे। यहां से पांच बार ऐसा मौका आया है जब 20 या उससे अधिक प्रत्याशी चुनााव मैदान में खड़े थे।

सोनीपत लोकसभा क्षेत्र से अब एक भी महिला संसद में नहीं पहुंच पाई है। 1977 के पहले चुनाव के बाद किसी भी पार्टी यहां से किसी महिला को टिकट नहीं दिया है। वर्ष 1977 में कांग्रेस पार्टी की ओर से सुभाषिनी चुनाव मैदान में थी, लेकिन इमरजेंसी को लेकर लोगाें के गुस्से का सामना उन्हें भी करना पड़ा और भारतीय लाेकदल के मुखत्यार सिंह ने उन्हें करारी शिकस्त दी थी।

सोनीपत लोकसभा क्षेत्र के चुनाव में अब तक दो बार ऐसा मौका आया है जब हार-जीत का अंतर दो लाख या उससे ज्यादा रहा है। पहली बार हुए चुनाव में मुखत्यार सिंह ने कांग्रेस के सुभाषिनी को 280233 मतों के अंतर से हराया था, जो कि अब तक का रिकार्ड है। इसके बाद किशन सिंह सांगवान ही वर्ष 1999 में कांग्रेस को चिरंजी लाल को 266138 वोटों से हराकर इसके करीब पहुंचने का प्रयास किया था। 

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