पढ़िए- क्यों खतरे में है दिल्ली में 20 हजार देशी-विदेशी पर्यटकों की जान
देश की राजधानी दिल्ली के करोलबाग से चंद दूरी पर संकरी गलियों में बसा होटलगंज नाम से मशहूर पहाड़गंज में शायद प्रशासन को किसी हादसे का इंतजार है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। करोलबाग की हृदय विदारक घटना ने सभी को झकझोर के रख दिया है। इसे प्रशासन की लापरवाही कहें या अनदेखी जिसका खामियाजा बेकसूर लोगों को अपनी जान देकर चुकाना पड़ा। ऐसे में करोलबाग से चंद दूरी पर संकरी गलियों में बसा होटलगंज नाम से मशहूर पहाड़गंज में शायद प्रशासन को किसी हादसे का इंतजार है। यही कारण है कि प्रशासन अभी तक इस इलाके से अंजान बनकर बैठा हुआ है। यहां करीब 800 होटल हैं, जिनमें 16,000 से भी अधिक कमरे हैं। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के नजदीक होने के कारण प्रतिदिन यहां दस हजार से भी अधिक देशी व विदेशी सैलानी आते हैं।
नहीं पहुंच सकते हैं आपातकालीन वाहन
पहाड़गंज के किसी होटल में कोई हादसा हो जाए तो यहां आपातकालीन वाहन शायद ही पहुंच पाए, क्योंकि यहां की तंग गलियों में बमुश्किल से दोपहिया वाहन आमने-सामने से निकल पाए।
तारों का जंजाल दे सकता है हादसे को दावत
पहाड़गंज में तमाम ऐसी गलियां हैं जहां पहुंचने पर होटल के आगे लटकता तारों का जंजाल दिख जाएगा। कहीं-कहीं तो ये तार जमीन से सटे हैं। वहीं, खंभों की हालत भी अपने ऊपर के बोझ को बयां कर रहे हैं। इलाके की गली मंदिर मार्ग, गली कसेरू वालान आदि पर तारों का अधिक जंजाल है।
नहीं है वेंटिलेशन की जगह
पहाड़गंज के संकरी गलियों में बने यह होटल्स देखने में जितने आकर्षक लगते हैं, उतने ही यह किसी आगजनी की घटना में घातक साबित हो सकते हैं। संकरी गलियों में छत से छत मिलाकर बने इन होटलों में वेंटिलेशन की जगह न के बराबर है।
मॉनिटरिंग कमेटी ने कार के अंदर से देखी व्यवस्था
निगम के मॉनिटरिंग कमेटी के सदस्य बुधवार को होटल अर्पित का मुआयना करने पहुंचे। कमेटी के सदस्य गुपचुप तरीके से वहां पहुंचे और कार से होटल और आसपास के इलाके की अनियमितताएं देख लौट आए। हालांकि कमेटी इसपर क्या कार्रवाई करेगी इसपर निर्णय अभी नहीं हो सका है। दरअसल यह क्षेत्र स्पेशल प्रोविजन एक्ट के तहत आता है। इसकी वजह से सीलिंग के फैसले पर स्टे लगा हुआ है। इस स्थिति में कमेटी असमंजस में है। कमेटी के एक सदस्य ने बताया कि होटल का एफएआर 15 मीटर है। लेकिन, उसकी ऊंचाई ज्यादा है। वहीं, छत पर अवैध तरीके से रेस्टोरेंट भी चल रहा था। ये गतिविधियां अवैध हैं। सूत्रों के मुताबिक अवैध निर्माण के कारण होटल अर्पित को पहले भी 6 बार बुक किया गया था, लेकिन उसके खिलाफ कभी कार्रवाई नहीं की गई।
करोलबाग के 12 होटलों की एनओसी होगी रद
करोलबाग स्थित होटल अर्पित पैलेस में आग से 17 लोगों की मौत के बाद एजेंसियों ने होटलों पर सख्ती शुरू कर दी है। अग्निशमन विभाग की टीम ने बुधवार को करोलबाग के 35 होटलों में आग से बचाव की व्यवस्था का निरीक्षण किया। इनमें से एक दर्जन होटलों में भारी अनियमितता पाई गई। वर्तमान में करोलबाग में करीब 250 होटल चल रहे हैं। इनमें से कई होटल लग्जरी हैं।
होटलों के निरीक्षण के लिए अग्निशमन विभाग द्वारा 12 लोगों की 6 टीमें बनाई गई हैं। प्रत्येक टीम में डीसीपी रैंक के एक डिविजनल ऑफिसर और एसीपी रैंक के एक असिस्टेंट डिविजनल ऑफिसर को रखा है। प्रत्येक अधिकारी को होटलों में यह जांचने के निर्देश दिए गए हैं कि वहां अग्निशमन यंत्र लगे हैं अथवा नहीं। यदि लगे हैं तो खराब तो नहीं हैं। होटलों में कोई अवैध निर्माण तो नहीं कराया गया है अथवा विभाग से एनओसी लेने के बाद वहां कोई बदलाव तो नहीं किया गया है। क्या कर्मियों को अग्निशमन यंत्र चलाने का प्रशिक्षण दिया गया है? होटल मालिक अग्नि सुरक्षा से संबंधित अन्य नियमों की अनदेखी तो नहीं कर रहे। वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बुधवार को कुल 35 होटलों का निरीक्षण किया गया। इनमें से 12 में भारी अनियमितता पाई गई है।
दिल्ली अग्निशमन विभाग के निदेशक डॉ. जीसी मिश्र ने बताया कि फिलहाल करोलबाग से यह कार्रवाई शुरू की गई है, लेकिन बाद में पूरी दिल्ली के होटलों का निरीक्षण कराया जाएगा। खामियां पाए जाने पर सभी की एनओसी रद की जाएगी।
हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर
करोलबाग अग्निकांड को लेकर हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर जांच की मांग की गई है। तुषार सहदेव और रमन खुल्लर की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया है कि नियमों को ताक पर रख चल रहे होटलों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। याचिका को पीआइएल कमेटी के पास भेज दिया गया है और जल्द ही संबंधित विभागों को नोटिस दिया जा सकता है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि अर्पित पैलेस को गेस्ट हाउस की मंजूरी है, जबकि यह 57 कमरों के होटल में तब्दील हो चुका था। इतना बड़ा होटल 80 फुट चौड़ी सड़क पर होना चाहिए, जबकि यह होटल कम चौड़ी सड़क पर बना है। इसके अलावा होटल में आने-जाने के दरवाजे भी अलग से नहीं हैं। याचिका में कुछ अखबारों में प्रकाशित समाचार को आधार बनाया गया है।
लापता लालचंद के शिनाख्त के लिए होगा डीएनए टेस्ट
हादसे के बाद से 24 घंटे बाद भी होटल के किचन के सुपरवाइजर लालचंद का पता नहीं चला है। राम मनोहर लोहिया अस्पताल की मोर्चरी में अब केवल एक ही शव बचा है। जिसकी शिनाख्त नहीं हो सकी है। ऐसे में परिवार को किसी अनहोनी का डर भी सता रहा है। होटल में पिछले 25 सालों से कार्यरत लालचंद घटना के वक्त से लापता है। ऐसे में मंगलवार को परिजन पूरा दिन एक से दूसरे अस्पताल में लालचंद को ढूंढ़ने के लिए चक्कर काटते रहे। ऐसे में हादसे में मृतकों के शवों में से आरएमल की मोर्चरी में एक जला हुआ शव बचा है। परिवार का मानना है कि वह शव लालचंद का हो सकता है। डीएनए टेस्ट के लिए लालचंद की पत्नी व बेटे ने अपने खून के नमूने भी दे दिए हैं। जिसकी रिपोर्ट तीन से चार दिन में आ सकती है।