भारत की वास्तविक पहचान इसकी हजारों वर्ष पुरानी आध्यात्मिक धरोहर है: संघ
नई शिक्षा नीति पर वामपंथी संगठनों द्वारा सवाल उठाए जाने के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने इसकी सराहना करते हुए कहा है कि भारत की वास्तविक पहचान इसकी हजारों वर्ष पुरानी आध्यात्मिक धरोहर है। यहां की जीवन पद्धति है। जिसे पूर्व की शिक्षा व्यवस्था में स्थान नहीं मिला है।
नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। नई शिक्षा नीति पर वामपंथी संगठनों द्वारा सवाल उठाए जाने के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने इसकी सराहना करते हुए कहा है कि भारत की वास्तविक पहचान इसकी हजारों वर्ष पुरानी आध्यात्मिक धरोहर है। यहां की जीवन पद्धति है। जिसे पूर्व की शिक्षा व्यवस्था में स्थान नहीं मिला है। संघ के सह सरकारर्यवाह डा मनमोहन वैद्य ने कहा कि यहां के अध्यात्म व जीवन दर्शन में अंतिम लक्ष्य मोक्ष की प्राप्ति है और उसके लिए समाज से लेकर समाज को देना है। अगर इसे उभारा गया होता तो समाज आगे रहता है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
नई शिक्षा नीति में जोर है कि देश की शिक्षा भारत आधारित कैसे हो? हजारों सालों पहले से देश के लोग व्यापार करने पूरे विश्व में जाते रहे हैं, लेकिन उन्होंने कहीं जाकर जमीन नहीं कब्जाई। न ही किसी का मतांतरण कराया। बल्कि यहां की जमीन पर हजाराें सालों से पूरे विश्व में सताएं और प्रताड़ित हुए लोग आएं।
उन्होंने कहा कि स्वाधिनता आंदोलन के बाद देश के स्वाधिनता मिली, इस स्व की अलग पहचान है। भारत की अलग पहचान है, लेकिन आजादी के बाद देश को एकजुट रखने का प्रयास नहीं हुआ। एक सूत्र में बांधने का प्रयास नहीं हुआ, बल्कि एकता का भाव जगाने के जब भी प्रयास हुए तो टूकड़े-टूकड़े गैंग विरोध में उतर आएं। उनकी आवाज खूब सुनी जाती थी, क्योंकि उनके पास, पैसा, शक्ति और मीडिया थी, जबकि संघ के पास कार्यकर्ता, समाज व सत्य था।
बता दें कि हैदराबाद में संघ के तीन दिवसीय समन्वय बैठक में नई शिक्षा नीति को लागू करने को लेकर अब तक के प्रयासों और कामों पर गंभीर मंथन किया गया है और आगे इसे लागू करने की योजना तैयार की गई है। इस बैठक में संघ के 36 आनुषांगिक संगठनों के तकरीबन 190 पदाधिकारी भाग ले रहे हैं।
यह बैठक आज शाम तक चलेगी। इसमें नई शिक्षा नीति को जमीनी स्तर पर ले जाने के लिए संघ संगठनों के प्रयासों पर चर्चा हुईं। इसमें अखिल भारतीय शिक्षण मंडल, अखिल भारतीय अध्यापक परिषद, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, विद्या भारती