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लक्ष्मी अग्रवाल लगातार एसिड अटैक पीड़िताओं को दे रहीं जीने का हौसला, पेश की मिसाल

लक्ष्मी ने बताया ‘वह मेरे चेहरे को बिगाड़ना चाहता था जिससे अगर मैं उसकी नहीं हो पाई तो किसी और की भी न हो पाऊं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 24 Jan 2020 02:01 PM (IST)Updated: Fri, 24 Jan 2020 02:02 PM (IST)
लक्ष्मी अग्रवाल लगातार एसिड अटैक पीड़िताओं को दे रहीं जीने का हौसला, पेश की मिसाल
लक्ष्मी अग्रवाल लगातार एसिड अटैक पीड़िताओं को दे रहीं जीने का हौसला, पेश की मिसाल

पूर्वी दिल्ली, राहुल चौहान। हाल ही में रिलीज हुई दीपिका पादुकोण की फिल्म छपाक के बाद चर्चा में आई तेजाब पीड़िता लक्ष्मी के जज्बे की सब तारीफ कर रहे हैं। दिल्ली के खान मार्केट में रहने वाली लक्ष्मी पर मात्र 15 साल की उम्र में तेजाब से हमला किया गया था। स्कूल में पढ़ने वाली लक्ष्मी पर उनसे दोगुनी उम्र का युवक शादी के लिए दबाव डाल रहा था। इससे इन्कार करने पर 22 अप्रैल 2005 को उसने लक्ष्मी के चेहरे पर तेजाब फेंक दिया था।

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लक्ष्मी ने बताया ‘वह मेरे चेहरे को बिगाड़ना चाहता था, जिससे अगर मैं उसकी नहीं हो पाई तो किसी और की भी न हो पाऊं। ढाई माह अस्पताल में बिताने के बाद जब मैं घर लौटी तो मेरे घर से सारे शीशे हटा दिए गए। बहुत कोशिश के बाद जब मैंने पहली बार शीशे में अपना चेहरा देखा तो मैं डर गई थी। मुझे लगा कि ये मेरे साथ नहीं हो सकता। मैंने उसे सिर्फ मना ही किया था।’

लक्ष्मी ने बताया कि उनके मुंह पर तेजाब फेंकने वाले उस आदमी के साथ एक लड़की भी शामिल थी। तेजाब से लक्ष्मी का चेहरा बुरी तरह से झुलस चुका था, उन्हें तुरंत राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया। बकौल लक्ष्मी, तेजाब गिरते ही किसी प्लास्टिक की तरह मेरी चमड़ी पिघल रही थी। ऐसा लग रहा था कि मानों उनके सिर पर जैसे कई पत्थर रख दिए गए हों। लक्ष्मी ने बताया कि जब डॉक्टर उनकी आंखें सिल रहे थे तब वे होश में थीं।

लक्ष्मी ने आगे बताया ‘एक वक्त ऐसा भी आया जब मुझे लगा कि खुदकुशी कर लूं, लेकिन मेरे पिता ने मुझे समझाया कि एक दिन ऐसा आएगा जब तुम्हें इसी चेहरे से प्यार होगा। आज जो मेरा चेहरा दिख रहा है इसकी 2005 से 2009 तक सात सर्जरी हुई है। कई लड़कियों की तो 70-80 सर्जरी भी होती हैं। इस हादसे ने मुझे ही नहीं, बल्कि मेरे पूरे परिवार को बिखेर दिया था। इस घटना के कुछ वक्त बाद मेरे पिता और भाई दोनों चल बसे थे। आखिर कौन इतना दर्द झेलना चाहेगा।’ उस पीड़ा और हादसे को भुला पाना तो बेशक असंभव था, लेकिन फिर भी उसने सब कुछ फिर से शुरू किया।

लक्ष्मी ने एसिड अटैक के खिलाफ सबसे बुलंद आवाज उठाई। कोर्ट में जनहित याचिकाएं डालीं। लक्ष्मी के इसी जज्बे को देखते हुए 2014 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की पत्नी मिशेल ओबामा ने उन्हें ‘इंटरनेशनल वूमन ऑफ करेज’ अवॉर्ड से नवाजा था। लक्ष्मी 2016 में लंदन फैशन वीक में हिस्सा लेकर सुर्खियां भी बटोर चुकी हैं। अगर आप चाहते हैं कि कोई लक्ष्मी दोबारा न हो तो सबसे पहले आपको अपना डर निकालना होगा। अपने साथ हुई घटना से उबरने के बाद लक्ष्मी लड़कियों को जागरूक कर रही हैं और उनको ऐसी घटनाओं से लड़ने को प्रेरित कर रही हैं।

करीब पांच साल पहले लक्ष्मी को एसिड अटैक सरवाइवर्स के लिए काम कर रहे आलोक दीक्षित से प्यार हुआ। दोनों ने शादी नहीं की, बल्कि लिव इन में रहने का फैसला किया था। उनकी एक बेटी (पीहू) भी है। कुछ समय पहले दोनों अलग हो गए। आज वे अकेले अपनी बेटी की परवरिश कर रही हैं। लक्ष्मी अग्रवाल की जिंदगी पर आधारित छपाक फिल्म 10 जनवरी को रिलीज हुई है।

लक्ष्मी की मेहनत से हुए ये बदलाव: 2006 में लक्ष्मी अग्रवाल की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई। इसके बाद जुलाई 2013 सुप्रीम कोर्ट ने आदेश पारित किया। इसके तहत एसिड की बिक्री का नियमन हुआ। साथ ही एसिड अटैक पीड़ितों की देखभाल, पुनर्वास, सरकार से सीमित मुआवजा, शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण और नौकरियों का प्रावधान किया गया।


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