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युवाओं के लिए लैब टेक्‍नीशियन की फील्ड में जॉब की अपार संभावनाएं, जानें क्या-क्या योग्यताएं जरूरी

कोरोना जैसी महामारी को देखते हुए पिछले एक साल में सरकारी और निजी क्षेत्र में अधिक से अधिक लैब खोले जाने पर जोर दिये जाने से इस फील्‍ड में प्रशिक्षित युवाओं के लिए करियर के मौके काफी बढ़ गए हैं...

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 29 Apr 2021 09:04 AM (IST)Updated: Thu, 29 Apr 2021 09:15 AM (IST)
युवाओं के लिए लैब टेक्‍नीशियन की फील्ड में जॉब की अपार संभावनाएं, जानें क्या-क्या योग्यताएं जरूरी
कोरोना महामारी की दूसरी तीव्र लहर के बीच बड़ी संख्‍या में टेस्‍ट होने से लैब टेक्‍नीशियंस की मांग

नई दिल्ली, जेएनएन। तेजी से फैल रहे वायरस के संक्रमण से लोगों को बचाने के लिए फिलहाल केंद्र और राज्‍य सरकार सभी का टेस्टिंग, ट्रेसिंग और ट्रीटमेंट पर सबसे अधिक जोर है। कोविड से लड़ाई में इसे अति महत्वपूर्ण मंत्र माना जा रहा है। यही वजह है कि महामारी के बाद पिछले एक साल में देश में जांच का दायरा कई गुना तक बढ़ गया है। शुरुआत में केवल सरकारी लैब को इस टेस्ट की अनुमति थी, लेकिन बाद में प्राइवेट लैब को भी इसमें शामिल किया गया। कोरोना के वर्तमान संकट के दौर में लैब टेक्‍नीशियंस की भूमिका बढ़ने के पीछे एक वजह यह भी है कि वायरस के संक्रमण का सही-सही पता लगाने के लिए आरटीपीसीआर रिपोर्ट आने में अभी तीन से दस दिन तक लग जा रहे हैं, जबकि सीटी स्‍कैन या चेस्‍ट एक्‍सरे जैसी जांच की रिपोर्ट तुरंत आ जाती है और इससे डॉक्‍टरों को भी समय पर सही उपचार शुरू करने में काफी मदद मिल है।

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यही कारण है कि ऐसे विशेषज्ञों की देशभर में भारी जरूरत देखी जा रही है। दरअसल, लैब टेक्‍नीशियन किसी भी बीमारी की रोकथाम के लिए रोगों की सही पहचान करने में डॉक्‍टरों की मदद करते हैं। लैब टेक्‍नीशियन द्वारा किया गया टेस्ट बीमारी को पहचानने से लेकर उसके इलाज तक में सहायता पहुंचाता है। इसके लिए इन प्रोफेशनल्‍स द्वारा विभिन्‍न तरह के सैंपल्‍स की जांच की जाती है, जैसे कि एक्‍सरे, अल्‍ट्रासाउंड, सीटी स्‍कैन, ब्‍लड टेस्‍ट, बॉडी फ्लूड्स, टिश्‍यू, स्क्रीनिंग, केमिकल एनालिसिस इत्‍यादि। कुशल लैब टेक्‍नीशियंस की जरूरत आज छोटे-बड़े शहरों के प्राय: सभी सरकारी और निजी अस्‍पतालों के लैब, निजी पैथोलॉजी लैब्‍स, क्‍लीनिक, ब्‍लड बैंक जैसे स्थानों में है।

बहुआयामी संभावनाएं: कुछ समय पहले पैरामेडिकल स्‍टॉफ की जरूरत और महत्‍व को देखते हुए केंद्र सरकार इस संबंध में एक बिल भी पास कर चुकी है, ताकि ऐसे विशेषज्ञों की समुचित पढ़ाई और प्रशिक्षण पर विशेष ध्‍यान दिया जा सके। इससे यह समझा जा सकता है कि सरकार का इस ओर कितना जोर है और प्रोफेशन में आगे चलकर कितनी संभावनाएं बढ़ने वाली है। आज के समय में एक लैब टेक्नीशियन/पैरामेडिकल स्‍टाफ डॉक्टरों के निर्देश पर काम करने के अलावा उपकरणों की रख-रखाव समेत और भी कई तरह की जिम्‍मेदारियां निभाते हैं। किसी भी लैब में मरीजों का सैंपल लेने से लेकर उसकी जांच और जांच में काम आने वाला घोल भी यही प्रोफेशनल तैयार करते हैं। जांच के दौरान मेडिकल लैब टेक्‍नीशियन (एमएलटी) कुछ सैंपलों को आगे की जांच के लिए उन्हें सुरक्षित भी रखते हैं। ऐसे में यह सारा काम करने के लिए इन प्रोफेशनल्‍स को पढ़ाई के दौरान मेडिकल साइंस के साथ-साथ लैब सुरक्षा नियमों और जरूरतों के बारे में समुचित प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रामाणिक संस्‍थानों से लैब टेक्‍नीशियन/मेडिकल लैब टेक्निशियन का समुचित कोर्स करने वाले ऐसे प्रोफेशनल्‍स की आवश्‍यकता हॉस्पिटल और लैब्‍स के अलावा रिसर्च सेंटर, मेडिकल इक्विपमेंट बनाने और बेचने वाली कंपनियों में भी होती है। इसके अलावा, बतौर रिसर्चर रिसर्च टीम के रूप में ये अपनी सेवाएं देते हैं। तमाम अनुभवी प्रोफेशनल्‍स यह पढ़ाई करने और कुछ समय लैब में काम करने का अनुभव लेने के बाद खुद का लैब भी संचालित करते हैं। मेडिकल लैब टेक्‍नीशियन की देश के साथ-साथ विदेश में भी हमेशा डिमांड रहती है।

शैक्षिक योग्‍यता: प्रशिक्षित लैब टेक्‍नीशियन बनने के लिए देश के विभिन्‍न संस्‍थानों में इससे संबंधित सर्टिफिकेट, डिप्लोमा और डिग्री कोर्स ऑफर किये जा रहे हैं। इस कोर्स के दौरान छात्रों को बेसिक फिजियोलॉजी, बेसिक बायोकेमिस्ट्री ऐंड ब्लड बैंकिंग, एनाटॉमी ऐंड फिजियोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, पैथोलॉजी, एनवॉयर्नमेंट, बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट, मेडिकल लेबोरेटरी टेक्नोलॉजी तथा हॉस्पिटल से संबंधित ट्रेनिंग व शिक्षा दी जाती है। सर्टिफिकेट इन मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी (सीएमएलटी) छह महीने का कोर्स है। इसके लिए न्‍यूनतम योग्यता दसवीं है। वहीं डिप्लोमा इन मेडिकल लैब टेक्‍नोलॉजी कोर्स के लिए पीसीबी विषयों के साथ बारहवीं पास होना जरूरी है। इस कोर्स की अवधि एक साल है। विज्ञान विषयों के साथ बारहवीं के बाद आप बीएससी इन एमएलटी का कोर्स भी कर सकते हैं। इस कोर्स की अवधि तीन वर्ष है। लेकिन यदि एमएससी इन मेडिकल लेबोरेटरी टेक्नोलॉजिस्ट (एमएलटी) प्रोग्राम में प्रवेश पाना चाहते हैं, तो इसके लिए पहले हाईस्कूल डिप्लोमा और उसके बाद दो साल का एसोसिएट प्रोग्राम करना होता है। यह प्रोग्राम कम्युनिटी कॉलेज, टेक्निकल स्कूल, वोकेशनल स्कूल या विश्‍वविद्यालयों में कराया जाता है।

सैलरी पैकेज: एक प्रशिक्षित एमएलटी को शुरुआत में 20 से 25 हजार रुपये की सैलरी आसानी से मिल जाती है, जबकि पैथोलॉजिस्ट शुरू में ही 40 हजार रुपये तक सैलरी पाते हैं। अनुभव के आधार पर इनका यह वेतन बढ़ता भी रहता है।

प्रमुख संस्थान

  • www.ipu.ac.in यूनिवर्सिटी स्‍कूल ऑफ मेडिसिन ऐंड पैरामेडिकल हेल्‍थ साइंसेज, आइपी यूनिवर्सिटी, नई दिल्‍ली
  • www.aiims.edu एम्‍स, नई दिल्‍ली
  • www.du.ac.in दिल्‍ली यूनिवर्सिटी
  • www.dpmiindia.com  दिल्ली पैरामेडिकल ऐंड मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली

एमएलटी के क्षेत्र में और बढ़ेंगी जॉब संभावनाएं: प्रो. (डॉ.) यतीश अग्रवाल ने बताया कि कोविड के वर्तमान दौर में पैरामेडिकल स्‍टाफ की अहमियत अस्‍पतालों के साथ-साथ आम लोगों को भी अच्‍छी तरह से समझ में आ गई है। नि:संदेह पैरामेडिकल स्‍टॉफ की आवश्‍यकता आगे और बढ़ेगी, क्‍योंकि यही प्रोफेशनल शरीर के अंदर रोग की गंभीरता का अध्‍ययन करते हैं। आज की तारीख में अमेरिका जैसे देशों में पैरामेडिकल या नर्स का जो ओहदा डॉक्‍टर से कम नहीं माना जाता। ऐसे ही अपने देश में भी ही आने वाले समय में इस पेशे की मांग के साथ-साथ इसकी मर्यादा, गरिमा और बढ़ेगी।

इसलिए युवाओं के लिए इसमें अच्‍छी करियर अपॉर्च्‍युनिटी पैदा होने वाली है। आप देख रहे हैं कि प्राइवेट हॉस्पिटल बढ़ रहे हैं। क्‍योंकि यह समय की जरूरत भी है। जैसे-जैसे लोगों के पास आर्थिक संपन्‍नता आएगी कि वे अपना अच्‍छा इलाज कराने में सक्षम हो सकेंगे। जाहिर है इससे टेस्टिंग के कार्य भी बढ़ेंगे और जॉब भी सृजित होंगे। कुल मिलाकर, पैरामेडिकल फील्‍ड में जॉब की संभावनाएं बढ़नी तय है। ऐसे में अगर आप की इच्‍छा है कि लैबोरेटरी मेडिसिन से जुड़े इस फील्‍ड में आएं, लोगों के लिए काम करें, समाज हित में काम करें, तो आप जरूर इसमें आइए। लेकिन एक अच्‍छी जगह पर जाइये जहां आपको उचित प्रशिक्षण मिले, उचित शिक्षा मिले, जो मर्यादित हो।

डीन, यूनिवर्सिटी स्‍कूल ऑफ मेडिसिन ऐंड पैरामेडिकल हेल्‍थ साइंसेज, आइपी यूनिवर्सिटी, नई दिल्‍ली


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