आतंकी हक्कानी को अफगानिस्तान का गृहमंत्री बनाए जाने पर कुमार विश्वास ने कुछ इस अंदाज में कसा तंज, आप भी जानें
अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा और वहां मची उठापटक किसी से छिपी नहीं है। इन दिनों ये अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बना हुआ है। भारत के साथ कई अन्य देश भी अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे और वहां बनने वाली सरकार को लेकर चिंतित है।
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा और वहां मची उठापटक किसी से छिपी नहीं है। इन दिनों ये अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बना हुआ है। भारत के साथ कई अन्य देश भी अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे और वहां बनने वाली सरकार को लेकर चिंतित है। भारत भी अफगानिस्तान में चल रही तमाम तरह की उठापटक को लेकर चिंतित है और दूसरे देशों के साथ संबंध सौहार्द्रपूर्ण बनाए रखने के लिए बातचीत कर रहा है।
अब इस मामले में पर देश के जाने-माने कवि कुमार विश्वास ने भी तंज कसा है। उन्होंने अपने टि्वटर हैंडल से एक ट्वीट किया है जिसमें उन्होंने शायराना अंदाज में अफगानिस्तान के नए गृहमंत्री हक्कानी की कारस्तानियों के बारे में लिखा है। एक ट्वीट को रिट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा है कि आतंकियों को न देखा करो हिकारत से, न जाने कौन सा जाहिल वजीर हो जाए।
ऐसा कहा जा रहा है कि हक्कानी भारत का दुश्मन है। वो यहां पर आतंकी गतिविधियों को संचालित करता रहता है। स्लीपर सेल और अन्य माध्यमों से आतंकी गतिविधियों को अंजाम दिया जाता रहता है। आतंकी गतिविधियों में उसकी संलिप्तता को देखते हुए उस पर 37 करोड़ का इनाम भी है। इसके अलावा उसके सीवी में भारतीय दूतावास पर हमला कर 58 लोगों को, पेशावर के स्कूल पर हमला कर 200 बच्चों को और काबुल में हमला कर 150 से ज्यादा लोगों को मौत के घाट उतारने के कारनामे जो थे, इन्हीं चीजों को देखते हुए हक्कानी को गृहमंत्री का पद दिया गया जिससे वो भारत के खिलाफ अन्य आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे सके।
भारत ने रूस के साथ पहले हुई वार्ताओं में अपनी चिंता के बारे में खुलकर बात की है। भारत रूस के जरिए चाहता है कि अफगानिस्तान उसके लिए भविष्य में किसी तरह का कोई खतरा न बने। साथ ही भारत ये भी चाहता है कि चीन और पाकिस्तान को भी भारत के खिलाफ आने में रूस उसकी मदद करे। वहीं आज होने वाली इस वार्ता का एक मकसद अफगानिस्तान में हुआ भारतीय निवेश भी है।
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आपको बता दें कि पिछले दिनों भारत के कतर में तैनात राजदूत ने तालिबानी नेता स्तानिकजई से बातचीत की थी। ये बातचीत तालिबान की पहल पर की गई थी। इसमें भारत ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि अफगानिस्तान की जमीन को भारत के खिलाफ ने होने दिया जाए। इस पर स्तानिकजई ने भी भारत को भरोसा दिलाया था।
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