दिल्ली पुलिस को मिला NCFL, जानिए- राजनाथ सिंह ने क्यों किया 'जामताड़ा' का जिक्र
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को द्वारका इलाके में नेशनल साइबर फोरेंसिक लैब (NCFL) का उद्घाटन किया। यह लैब दिल्ली पुलिस के अंतर्गत है।
नई दिल्ली, जेएनएन। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को द्वारका इलाके में नेशनल साइबर फोरेंसिक लैब (NCFL) का उद्घाटन किया। यह लैब दिल्ली पुलिस के अंतर्गत है। बता दें कि साइबर क्राइम पर नकेल कसने व साइबर क्राइम से जुड़े मामले की त्वरित छानबीन की दिशा में बेहतर प्रदर्शन के लिए इस लैब का निर्माण कराया गया है।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि यदि डिजिटल इंडिया आज के समय एक बड़ी सच्चाई है, तो हमें यह भी स्वीकारना होगा कि साइबर क्राइम डिजिटल इंडिया की सबसे बड़ी चुनौती है। यह केंद्र इस चुनौती का मुकाबला करने में सक्षम होगा।
अपने संबोधन में गृह मंत्री ने झारखंड के जामताड़ा का भी उल्लेख किया और कहा कि यह जगह साइबर अपराध का बड़ा केंद्र बन चुका था। गृह मंत्री ने उद्घाटन समारोह में साइबर जागरूकता फैलाने वाले सायबर मित्रों को किया सम्मानित किया।
आइए जानते हैं क्यों गृहमंत्री को जामताड़ा का जिक्र करना पड़ा
देश के किसी कोने में साइबर अपराध हो, अधिकांश के तार झारखंड के जामताड़ा से जुड़े होते हैं। यह जगह साइबर अपराध के गढ़ के रूप में कुख्यात है। जामताड़ा के करीब 90 साइबर अपराधियों को चिन्हित किया गया है, जिन्होंने 50 करोड़ से अधिक की चल-अचल संपत्ति अर्जित की है। झारखंड पुलिस कई महीनों से इन सभी साइबर अपराधियों की संपत्ति जब्त कराने की दिशा में कार्रवाई कर रही है।
जामताड़ा के नारायणपुर व करमाटांड़ थाना के विभिन्न इलाकों में रहने वाले इन साइबर अपराधियों ने कई साल में यूपी, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, दिल्ली, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल, पंजाब, अंडमान निकोबार तक के लोगों के बैंक खातों से रकम उड़ाई है। पुलिस रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2013 से यहां इस अपराध की शुरुआत हुई। छह साल में देश के विभिन्न हिस्सों से आई पुलिस ने 110 अपराधियों को गिरफ्तार किया। आज पूरे देश में जामताड़ा के साइबर अपराधी छा गए है।
जामताड़ा के साइबर अपराधी इतने शातिर हैं कि आपकी गोपनीय जानकारी मिनटों में आपसे ही फोन कॉल कर निकाल लेते हैं। इसके लिए ये बकायदा प्रशिक्षण लेते हैं। इनके पास खाताधारकों की सूची रहती है। वे खाताधारक को फोन करते हैं। अपना परिचय कभी बैंक शाखा अधिकारी तो कभी मुख्यालय के अधिकारी का देकर सीधे कहते हैं कि अब आपका एटीएम काम नहीं करेगा। तुरंत अपना पासवर्ड और कार्ड में अंकित नंबर बताएं। कई और प्रकार से भी बरगलाते हैं। बातचीत में खनक के साथ ऐसा विश्वास कि खाताधारक खुद ही सारी जानकारी दे देते हैं। फिर शुरू होता है इनका मायाजाल और खाताधारक के खाते से रुपये मिनटों में उड़ जाते हैं।