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JNU Violence case: आखिर क्यों नामुमिकन है जेएनयू हिंसा के आरोपितों की पहचान !

JNU Violence case दिल्ली पुलिस ने दावा किया है कि नकाबपोशों की पहचान सीसीटीवी कैमरे के जरिये कर ली जाएगी। लेकिन ऐसा होना संभव नहीं होगा।

By JP YadavEdited By: Published: Tue, 07 Jan 2020 09:02 AM (IST)Updated: Tue, 07 Jan 2020 09:02 AM (IST)
JNU Violence case: आखिर क्यों नामुमिकन है जेएनयू हिंसा के आरोपितों की पहचान !

नई दिल्ली राकेश कुमार सिंह]। जेएनयू में बाहर के नकाबपोशों द्वारा घुसकर छात्र-छात्रओं को बुरी तरह से पिटाई करने को लेकर चारों तरफ हल्ला मचा हुआ है। दिल्ली पुलिस ने दावा किया है कि नकाबपोशों की पहचान सीसीटीवी कैमरे के जरिये कर ली जाएगी। लेकिन, ऐसा होना संभव नहीं होगा। क्योंकि पिछले पांच दिनों में जेएनयू में लगे सभी सीसीटीवी कैमरों का सर्वर ही खराब पड़ा हुआ है। ऐसे में अब जेएनयू प्रशासन व पुलिस के होश उड़ गए हैं कि आखिर नकाबपोशों की पहचान कैसे की जाए? कुछ नकाबपोशों की तस्वीरें जो मीडिया में सामने आई हैं वे पेरियार व गोदावरी ढाबे के बीच स्थित एसबीआई बैंक में लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज हैं। बैंक के बाहर दो-तीन सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं।

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जेएनयू सूत्रों के मुताबिक, बाहर से आने वाले नकाबपोशों की संख्या करीब 300 थी। लेकिन बैंक के सीसीटीवी कैमरे में आठ-दस नकाबपोशों की तस्वीरें ही कैद हो पाई हैं। ऐसे में सभी नकाबपोशों की पहचान कर पाना स्थानीय वसंतकुंज उत्तरी थाना पुलिस समेत क्राइम ब्रांच के लिए काफी मुश्किल साबित हो सकता है। जांच में यह बात सामने आई है कि पहले वामपंथी समर्थक नकाबपोशों ने एबीवीपी समर्थक छात्रों पर हमला बोला। उनमें अधिकतर जेएनयू के ही छात्र शामिल थे। बाद में एबीवीपी समर्थक नकाबपोश जो बाहर से जेएनयू के अंदर घुसकर वामपंथी समर्थक विद्यार्थियों पर बुरी तरह से हमला बोला। उनकी संख्या अधिक थी।

वहीं दिल्ली पुलिस प्रवक्ता एडिशनल पुलिस कमिश्नर मंदीप सिंह रंधावा ने सोमवार को आइटीओ स्थित पुराने पुलिस मुख्यालय में पत्रकार वार्ता में कहा कि स्थानीय थाना पुलिस के साथ मिलकर क्राइम ब्रांच ने जांच शुरू कर दी है। पुलिस को नकाबपोशों के बारे में कुछ महत्वपूर्ण सुराग मिले हैं। पुलिस मोबाइल से बनाए गए वीडियो व सीसीटीवी कैमरे के जरिये नकाबपोशों की पहचान करने में जुटी हुई है। कई वरिष्ठ अधिकारियों ने भी जेएनयू पहुंचकर मौके का मुआयना किया। प्रॉक्टर, कुलपति व छात्रों से बात की। जल्द ही नकाबपोशों की पहचान उजागर हो जाएगी। रंधावा ने कहा कि जेएनयू में प्रवेश करने वालों की जेएनयू के निजी सुरक्षाकर्मी गेट पर रजिस्टर में नाम व पता दर्ज करते हैं। उसके बाद उन्हें अंदर जाने दिया जाता है। उससे भी पुलिस सुराग ढूंढने की कोशिश करेगी। पुलिस ने कुछ रजिस्टर व अन्य दस्तावेज जब्त किए हैं। कुछ वर्ष पूर्व संसद हमले के दोषी अफजल गुरु की बरसी पर जेएनयू में सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रम आयोजित किए जाने पर देश विरोधी नारे लगाए गए थे। तब तत्कालीन भाजपा के एक सांसद की शिकायत पर पुलिस ने कन्हैया कुमार समेत कई छात्रों के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया था। उसके बाद जेएनयू में जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे भी लगाए थे।


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