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जानिये- क्यों अपने 4 बर्खास्त पुलिसकर्मियों के पीछे पड़ी दिल्ली पुलिस

Hemp Smuggling Case पुलिस अधिकारी का कहना है कि आरोपितों के पुलिस में होने के कारण उन्हें सब कुछ पता है कि छिपने के लिए क्या सब सर्तकता बरती जानी चाहिए। उक्त तरीके अपनाने के कारण ही विजिलेंस उन्हें नहीं पकड़ पा रही है।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 08:58 AM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 08:58 AM (IST)
जानिये- क्यों अपने 4 बर्खास्त पुलिसकर्मियों के पीछे पड़ी दिल्ली पुलिस
फिलहाल चारों को भगौड़ा घोषित किए जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

नई दिल्ली [राकेश कुमार सिंह]। बाहरी दिल्ली के जहांगीरपुरी में तस्कर से बरामद 163 किलो गांजा गायब कर देने के मामले में नौकरी से बर्खास्त किए गए जहांगीरपुरी थाने में तैनात चारों पुलिसकर्मियों को विजिलेंस विभाग की टीम अबतक गिरफ्तार नहीं कर पाई है। पुलिस आयुक्त के निर्देश पर बीते 28 सितंबर को विशेष आयुक्त कानून एवं व्यवस्था संजय सिंह ने दो सब इंस्पेक्टर शेखर खान, सपन और दो हवलदार हरफूल व सोनू राठी को बर्खास्त कर दिया था। साथ ही इनके खिलाफ बाराखंभा स्थित विजिलेंस थाने में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम, अमानत में खयानत, मादक पदार्थ अधिनियम, सबूत मिटाने, आपराधिक साजिश रचने आदि 10 धाराओं में मुकदमा दर्ज करा दिया था। मुकदमा दर्ज होते ही चारों कर्मी मोबाइल बंद कर अपने-अपने घरों से फरार हो गए थे। इनकी तलाश में कई बार संभावित जगहों पर छापेमारी भी की गई लेकिन विजिलेंस को सफलता नहीं मिल रही है।

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पुलिस अधिकारी का कहना है कि आरोपितों के पुलिस में होने के कारण उन्हें सब कुछ पता है कि छिपने के लिए क्या सब सर्तकता बरती जानी चाहिए। उक्त तरीके अपनाने के कारण ही विजिलेंस उन्हें नहीं पकड़ पा रही है। अब इन्हें भगौड़ा घोषित किए जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। शेखर खान, कराला गांव व सपन, नांगलोई और सोनू राठी व हरफूल बुराड़ी के रहने वाले हैं। हरफूल मूलरूप से राजस्थान का रहने वाला है। थानाध्यक्ष सर्वेश कुमार को भी जांच के बाद निलंबित कर दिया दिया गया है। एसीपी संजय बराल की भूमिका की जांच जारी है।

यह है घटना

जहांगीरपुरी बी ब्लाॅक मेें रहने वाला अनिल कुमार मूलरूप से बैशाली, बिहार का रहने वाला है और अपनी मां रीता देवी के साथ तस्करी का धंधा करता था। उसने घर के पास ही किराए पर एक कमरा लेकर उसमेें गांजा रखने का काम करता था। बीते 11 सितंबर को भारत नगर थाने में तैनात एएसआइ प्रदीप कुमार की मुखबिरी पर हरफूल व सोनू राठी ने अनिल के घर छापा मार वहां से 164 किलो गांजा बरामद कर उसे थाने न लेजाकर धोबीघाट पुलिस बूथ में ले आए थे। अनिल को भी पकड़कर पुलिस बूथ ले आया गया। सूचना मिलने पर शाम को रीता देवी बेटे को छुड़ाने बूथ में आ गई थी। तब पुलिसकर्मियों ने बेटे को छोड़ने के एवज में पैसे मांगे थे। उस दाैरान बूथ में शेखर व सपन भी मौजूद थे। रीता ने रिश्तेदारों व भाईयों से डेढ़ लाख मंगवा पुलिसकर्मियों को सौंप दिया था और बेटे को छोड़ देने का अनुरोध किया था। तब पुलिसकर्मियों ने 920 ग्राम गांजे की बरामदगी दिखाने के बाद अनिल को जमानत पर छोड़ दिया था। मां-बेटे के बूथ से जाने के बाद शेखर खान 163 किलो गांजा अपनी कार में डाल सपन के साथ थाने आ गया था। कार से गांजा निकालकर दोनों उसे अपने कमरे में ले आए थे। थाने के सीसीटीवी कैमरे में उनकी तस्वीरें कैद हो गई थी। धीरे-धीरे पुलिसकर्मियों में यह बात फैल गई थी। प्रदीप को बराबर हिस्सा न मिलने पर उसने साथी कर्मियों के कारनामे की जहां तहां पोल खोल दी थी। भेद खुलने के डर से शेखर व सपन ने 163 किलो गांजा थाने से निकाल कर जहांगीरपुरी थाने के ही घोषित अपराधी अली शेर को बेच दिया था। मुख्यालय को जानकारी मिलने के बाद चारों के खिलाफ कार्रवाई की गई। गायब गांजा भी पुलिस बरामद नहीं कर पाई है।

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