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Delhi Oxygen Crisis: हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के हाथों में है दिल्ली के लोगों की जीवन की डोर

Delhi Oxygen Crisis स्वास्थ्य सुविधाओं में ऑक्सीजन सबसे पहली प्राथमिकता है लेकिन देश की राजधानी में सभी सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों को इसकी आपूर्ति के लिए अन्य राज्यों पर निर्भर रहना पड़ता है। यहां मूलत हरियाणा राजस्थान और उत्तर प्रदेश से लिक्विड फार्म में ऑक्सीजन आती है।

By Jp YadavEdited By: Published: Thu, 22 Apr 2021 10:34 AM (IST)Updated: Thu, 22 Apr 2021 10:51 AM (IST)
Delhi Oxygen Crisis: हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के हाथों में है दिल्ली के लोगों की जीवन की डोर
दिल्ली का अपना इकलौता ऑक्सीजन प्लांट भी करीब दो दशक पहले यहां से खत्म कर दिया गया।

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। आज भले ऑक्सीजन की उपलब्धता को लेकर सियासी संग्राम छिड़ा हो, लेकिन कड़वा सच यह है कि दिल्ली में इस प्राणवायु की चिंता कभी किसी सरकार ने की ही नहीं। ऑक्सीजन प्लांट लगाना किसी सरकार की प्राथमिकता में नहीं रहा। सरकारी लापरवाही का इससे बड़ा नमूना और क्या हो सकता है कि दिल्ली का अपना इकलौता ऑक्सीजन प्लांट भी करीब दो दशक पहले यहां से खत्म कर दिया गया। स्वास्थ्य सुविधाओं में ऑक्सीजन सबसे पहली प्राथमिकता है, लेकिन देश की राजधानी में सभी सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों को इसकी आपूर्ति के लिए अन्य राज्यों पर निर्भर रहना पड़ता है। यहां मूलत: हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से लिक्विड फार्म में ऑक्सीजन आती है जिसे गैस में तब्दील कर सिलेंडरों में भरा जाता है। जिन अस्पतालों में पाइपलाइन नेटवर्क है, वहां उनके जरिये बेड तक इसकी आपूर्ति सुनिश्चित की जाती है। एक समय कीर्ति नगर में इंडियन ऑक्सीजन लिमिटेड नाम से एक प्लांट होता था, लेकिन लालफीताशाही में वह भी बड़ी औद्योगिक इकाइयों को दिल्ली से बाहर का रास्ता दिखाने के क्रम में खत्म कर दिया गया।

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बड़े अस्पतालों में हैं केवल ऑक्सीजन के केवल भंडार गृह

दिल्ली के सभी छोटे-बड़े अस्पताल ऑक्सीजन के लिए पूर्णतया बाहरी राज्यों पर ही आश्रित हैं। ऐसे में मांग बढ़ने पर ऑक्सीजन की आपूर्ति ना केवल बाधित होती है बल्कि उसके दाम भी कई गुना बढ़ जाते हैं। बड़े अस्पतालों में भी ऑक्सीजन के केवल भंडार गृह हैं जहां उसे लिक्विड से गैस में बदला जाता है। विडंबना यह कि पिछले साल जब कोरोना महामारी ने भयंकर रूप लिया, तब भी तात्कालिक उपाय करके ही इतिश्री कर ली गई। दिल्ली का स्वास्थ्य ढांचा मजबूत करने की दिशा में तब भी नहीं सोचा गया।

खतरनाक श्रेणी में नहीं आता ऑक्सीजन प्लांट

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अपर निदेशक डॉ. एसके त्यागी के मुताबिक ऑक्सीजन प्लांट प्रदूषण की खतरनाक श्रेणी में नहीं आता। इस प्लांट में किसी जहरीली गैस के रिसाव होने की भी कोई आशंका नहीं रहती। हालांकि अन्य गैस सिलेंडरों की तरह विस्फोट जरूर हो सकता है, लेकिन उस स्थिति से बचाव के मानक तय हैं। लिहाजा, दिल्ली में अपना कोई आक्सीजन प्लांट नहीं होने की वजह कुछ औैर ही है।

डॉ. आरएन कालरा (प्रबंध निदेशक, कालरा अस्पताल, कीर्ति नगर) का कहना है कि ऑक्सीजन के बगैर कोई भी अस्पताल चल ही नहीं सकता। यह जानते हुए भी पिछले एक वर्ष में इस बाबत कुछ नहीं किया गया। आज मरीज ही नहीं अस्पताल प्रबंधन भी परेशान है। दिल्ली में अपना आक्सीजन प्लांट लगाने की दिशा में गंभीरता से काम होना चाहिए। 

डॉ. किरण वालिया (पूर्व स्वास्थ्य मंत्री, दिल्ली सरकार) का कहना है कि कांग्रेस सरकार ने सभी अस्पतालों में आक्सीजन की आपूर्ति के लिए पाइपलाइन की व्यवस्था की थी, लेकिन आक्सीजन प्लांट लगाने के किसी प्रस्ताव या योजना की कोई जानकारी नहीं है। 


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