Kisan Andolan: जानिये- क्यों आज सुबह से ट्विटर पर क्यों ट्रेंड कर रहा है 'किसानों दिल्ली चलो'
Kisan Andolan SKM ने पंजाब हरियाणा राजस्थान और यूपी के लोगों से अपील की है कि दिल्ली के बार्डर पर बड़ी संख्या में पहुंचे। यही वजह है कि ट्विटर पर बुधवार सुबह से ही किसान दिल्ली चलो ट्रेंड कर रहा है।
नई दिल्ली, जागरण डिजिटल डेस्क। दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बार्डर (कुंडली बार्डर) पर पंजाब के युवक लखबीर सिंह की बेरहमी से हत्या ने किसान आंदोलन की साख को नुकसान पहुंचाया है। संयुक्त किसान मोर्चा (Sanyukt Kisan Morcha) इसके नुकसान को लेकर लगातार चिंतित है। यही वजह है कि हत्या में निहंगों का नाम सामने आने के बाद से SKM ने इनसे दूरी बना ली है।
इस बीच SKM ने पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और यूपी के लोगों से अपील की है कि दिल्ली के बार्डर पर बड़ी संख्या में पहुंचे। यही वजह है कि ट्विटर पर बुधवार सुबह से ही 'किसान दिल्ली चलो' ट्रेंड कर रहा है। बताया जा रहा है कि किसान समर्थक यह बखूबी जानते हैं कि पिछले 9 महीने के दौरान लाल किला पर हिंसा, टिकरी बार्डर पर युवती से दुष्कर्म और अब दलित युवक की हत्या से किसान संगठनों की छवि धूमिल हुई है। ऐसे में ट्विटर पर 'किसानों दिल्ली चलो' ट्रेंड करवाया जा रहा है।
नेहा परवीन ने ट्वीट किया है 'उनको डरा रहे हो, पानी की बौछार से.... जो करते हैं "कुल्ला" भी, ट्यूबवेल की धार से...'
वहीं, मिस्टर सिंह देओल नाम के शख्स ने ट्वीट किया है -'सभी से अनुरोध है कि यदि संभव हो तो कृपया दिल्ली #FarmersProtest साइटों पर पहुंचे।'
इसी तरह एक अन्य शख्स नव सिद्धू ने ट्वीट किया है 'संयुक्त किसान मोर्चा ने किसानों से बड़ी संख्या में दिल्ली सीमा पर पहुंचकर आंदोलन तेज करने की अपील की।'
घटती प्रदर्शनकारियों की संख्या बनी चिंता का सबब
एक ओर जहां किसान संगठनों की छवि लगातार खराब हो रही है, वही दिल्ली-एनसीआर के चारों बार्डर (सिंघु, टीकरी, शाहजहांपुर और गाजीपुर) पर प्रदर्शनकारियों की कम होती तादाद ने संयुक्त किसान मोर्चा की चिंता बढ़ा दी है। आगामी 27 अक्टूबर को किसान आंदोलन को 11 महीने पूरे हो जाएंगे। ऐसे में संयुक्त किसान मोर्चा ने बड़े आयोजन की तैयारी की थी, लेकिन सिंघु बार्डर पर दलित युवक की बेरहमी से कई हत्या ने किसान आंदोलन की छवि को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा है।
निहंगों पर लगे प्रदर्शन को बदनाम करने के आरोप
यहां पर बता दें कि पिछले सप्ताह दलित युवक लखबीर सिंह की हत्या में निहंगों का हाथ सामने आने पर संयुक्त किसान मोर्चा ने उनसे दूरी बना ली थी। इतना ही नहीं, मामले के तूल पकड़ने पर संयुक्त किसान मोर्चा ने इस घटना से पल्ला झाड़ लिया था। राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव, बलवीर सिंह राजेवाल और अभिमन्यु कोहाड़ ने पुलिस और कानून को अपना काम करने की सलाह दी थी। निहंगों पर प्रदर्शन को बदनाम करने, कई बार विकट स्थिति में डाल देने के आरोप लगाए थे।
SKM कर चुका है टिप्पणी, धर्म रक्षक निहंगों का यहां क्या काम
निहंगों के किसान नहीं होने के बावजूद प्रदर्शन में शामिल होने पर चर्चा होने लगी। संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से कहा गया कि बार्डर पर कोई धर्म की रक्षा के लिए प्रदर्शन नहीं हो रहा है। ऐसे में धर्म रक्षक निहंगों का यहां पर क्या काम है। संयुक्त किसान मोर्चा के बयान के बाद पुलिस ने कार्रवाई शुरू कर दी।
SKM और निहंगों के बीच बढ़ी दूरी
निहंगों का मानना है कि मोर्चा नेताओं के साथ छोड़ देने से पुलिस की हिम्मत बढ़ गई। मोर्चा के पल्ला झाड़ लेने को निहंग अपना अपमान मान रहे हैं। इसी के चलते उन्होंने महापंचायत बुलाई है। इससे मोर्चा नेताओं की नींद उड़ गई है। उनसे न तो निहंगों का साथ देते बन रहा है और न ही छोड़ते। यदि निहंग प्रदर्शन से हट जाते हैं तो इसका कमजोर होना तय है।
निहंग धर्म की रक्षा के लिए हैं
बाबा अमनदीप सिंह (निहंग प्रमुख) का कहना है कि पहले धर्म है, खेती बाद में है। धर्म नहीं बचेगा तो खेती कौन करेगा? हम धर्म की रक्षा के लिए हैं। मोर्चा नेताओं के बयान आहत करने वाले हैं। धर्म की बेअदबी के बाद हमारा कदम एकदम सही था। हम उस पर अडिग हैं। जो इस कदम को वाजिब मानकर हमारा साथ देगा, निहंग केवल उन्हीं का साथ देंगे।